नई दिल्ली। दिल्ली में अपनी खोई जमीन को मजबूत करने की कवायद में जुटी कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता शीला दीक्षित को एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी है।
अजय माकन ने हाल ही में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से इस्तीफा दे दिया था। श्रीमती दीक्षित 1998 में भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थीं और पार्टी के विधानसभा चुनाव में विजयी होने पर उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री की कमान सौंपी गई थी।
इकत्तीस मार्च 1938 को पंजाब के कपूरथला में जन्मीं श्रीमती दीक्षित 1998 से 2013 तक लगातार 15 वर्षों तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रही हैं। वह 2013 में अरविंद केजरीवाल से गोल मार्केट विधानसभा से चुनाव हारी थीं। इस विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को दिल्ली में बहुमत नहीं मिला था। कांग्रेस के समर्थन से केजरीवाल की अगुवाई में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार बनी और 49 दिन चली। इसके बाद 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का पूरी तरह सफाया हो गया।
दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद श्रीमती दीक्षित को 11 मार्च 2014 को केरल का राज्यपाल बनाया गया और केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद उन्होंने 25 अगस्त 2014 को राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया था।
उत्तर प्रदेश विधानसभा के 2017 में होने वाले चुनाव के लिए कांग्रेस ने श्रीमती दीक्षित को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया, लेकिन बाद में उनका नाम वापस ले लिया गया और पार्टी ने वहां समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। श्रीमती दीक्षित 1984 से 89 तक उत्तर प्रदेश के कन्नौज से सांसद भी रहीं। (वार्ता)