इंदौर। इंदौर के कनाड़िया क्षेत्र में भीषण सड़क हादसे में दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) के चार बच्चों और ड्राइवर की दर्दनाक मौत की घटना से सबक लेते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने सूबे में चल रहीं 15 साल से अधिक पुरानी 2,514 स्कूल बसों को हटाने का फैसला किया है।
दुर्घटना में मारे गए स्कूली बच्चों के शोकाकुल परिजनों से मुलाकात और शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती घायल छात्रों का हाल जानने के बाद मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि हम प्रदेश में 15 साल से अधिक पुरानी स्कूल बसों को किसी भी हालत में नहीं चलने देंगे।
इन बसों को तीन महीने के भीतर हटाने के लिए आवश्यक निर्देश जारी किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने बताया कि सूबे में परिवहन विभाग की मंजूरी से फिलहाल करीब 17,400 स्कूल बसें चल रही हैं। इनमें से 2,514 बसें 15 साल से अधिक पुरानी हैं। इन पुरानी बसों को सिलसिलेवार तरीके से हटाया जाएगा।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक यहां कनाड़िया क्षेत्र के बायपास रोड पर 5 जनवरी की शाम डीपीएस की स्कूल बस (एमपी 09 एफए 2029) भीषण हादसे का शिकार हो गई थी। बस 15 वर्ष पुरानी थी। बस में गति नियंत्रक (स्पीड गवर्नर) लगाने के संबंध में एक निजी कंपनी ने कुछ पैसे लेकर कथित तौर पर बगैर किसी जांच-पड़ताल के फर्जी प्रमाण-पत्र जारी कर दिया था और इसी के आधार पर परिवहन विभाग ने निजी स्कूल की इस बस को फिटनेस प्रमाण-पत्र भी जारी कर दिया, जिसके महज 10 दिन बस हादसे का शिकार हो गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम बसों की फिटनेस की उचित जांच के लिए हर जिले में स्वचालित केंद्र शुरू करेंगे ताकि इस सिलसिले में किसी भी तरह का मानवीय हस्तक्षेप खत्म किया जा सके। शिवराज ने बताया कि तेज रफ्तार के चलते होने वाली सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश सरकार ने स्कूल बसों की अधिकतम गति सीमा 40 किलोमीटर प्रति घंटा तय करने का फैसला भी किया है।
उन्होंने बताया कि जीपीएस के जरिए बसों की स्थिति (लोकेशन) और इनकी गति पर निगरानी के लिए प्रदेश सरकार एक केंद्रीयकृत डेटा इकाई का भी गठन करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार के पास खासकर निजी स्कूलों को लेकर पालकों की अलग-अलग शिकायतें आती हैं, जिनमें अनाप-शनाप फीस वसूली की शिकायतें शामिल हैं।
इनके निपटारे के लिए पालकों एवं स्कूल प्रबंधन की समिति गठित करने का प्रावधान किया जाएगा। उन्होंने चेताया कि अगर स्कूल प्रबंधन के लोग इस समिति की बैठकों में पालकों की समस्याओं का संतोषप्रद निवारण नहीं करेंगे, तो प्रदेश सरकार मामले में जरूरी कदम उठाएगी।
शिवराज ने इंदौर के क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) एमपी सिंह की आज मीडिया में छपी एक तस्वीर पर संज्ञान लेते हुए अधिकारी को हटाए जाने के फैसले की जानकारी दी। इस तस्वीर में आरटीओ डीपीएस बस हादसे के बारे में पुलिस के एक आला अधिकारी को हंसते-हंसते जानकारी देते नजर आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने समाचार-पत्रों में यह तस्वीर देखी है। ऐसी भीषण दुर्घटना के बाद भी आरटीओ का बर्ताव ठीक नहीं है। लिहाजा मैंने आरटीओ को तत्काल हटाने का फैसला किया है। कई लोगों ने आरटीओ की विवादास्पद तस्वीर को सोशल मीडिया पर भी साझा किया है और आला अधिकारी के कथित असंवेदनशील रवैए को लेकर तीखा आक्रोश जताया है।
शिवराज ने बताया कि हादसे की जांच भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के एक अधिकारी कर रहे हैं। जांच रिपोर्ट 15 दिन में आ जाएगी। रिपोर्ट के तथ्यों के आधार पर उचित कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि हादसे में घायल स्कूली बच्चों की बेहतर चिकित्सा के लिए प्रदेश सरकार की ओर से हरसंभव प्रयास किए जाएंगे।
मीडिया से बातचीत से पहले, मुख्यमंत्री जब दुर्घटना के शिकार स्कूली बच्चों के शोक संतप्त परिजनों को ढांढस बंधाने उनके घर गए तो उन्हें मामले में स्कूल प्रबंधन के अनुचित रवैए और परिवहन विभाग की भारी अव्यवस्थाओं को लेकर कुछ पालकों का गुस्सा झेलना पड़ा। मुख्यमंत्री ने आक्रोशित पालकों को भरोसा दिलाया कि वे मामले की जांच के आधार पर संबंधित लोगों के खिलाफ उचित कदम उठाएंगे। (भाषा)