Maharashtra news : महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नासिक के प्रसिद्ध त्र्यंबकेश्वर मंदिर (trimbakeshwar) में दूसरे धर्म के एक समूह द्वारा जबरदस्ती घुसने के प्रयास मामले की जांच के लिए मंगलवार को एक विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का आदेश दिया है।
मंदिर न्यास के एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि त्र्यंबकेश्वर मंदिर के सुरक्षाकर्मियों ने शनिवार रात लोगों के एक समूह के मंदिर में प्रवेश करने के प्रयास को विफल कर दिया। घटना के बाद मंदिर न्यास ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी।
मंदिर प्रबंधन के अनुसार, केवल हिंदुओं को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
फडणवीस के कार्यालय ने एक बयान में कहा कि अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) रैंक का एक अधिकारी एसआईटी का प्रमुख होगा। एसआईटी न केवल इस घटना की जांच करेगी, बल्कि इसी तरह की एक अन्य घटना की भी जांच करेगी जो पिछले साल उसी मंदिर में हुई थी।
त्र्यंबकेश्वर में ही क्यों होती है कालसर्प दोष की पूजा? कालसर्प दोष की पूजा उज्जैन (मध्यप्रदेश), ब्रह्मकपाली (उत्तराखंड), त्रिजुगी नारायण मंदिर (उत्तराखंड), प्रयाग (उत्तरप्रदेश), त्रीनागेश्वरम वासुकी नाग मंदिर (तमिलनाडु) आदि जगहों पर होती है परंतु त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र) को खास जगह माना जाता है।
यहां पर प्रतिवर्ष लाखों लोग कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए आते हैं। कहते हैं कि यहां के शिवलिंग के दर्शन करने से ही कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। इस मंदिर में कालसर्प शांति, त्रिपिंडी विधि और नारायण नागबलि की पूजा संपन्न होती है।
यहां पर कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए संपूर्ण पूजा विधिवत रूप से की जाती है, जिसमें कम से कम 3 घंटे लगते हैं। अन्य स्थानों की अपेक्षा इस स्थान का खास महत्व है क्योंकि यहां पर शिवजी का महा मृत्युंजय रूप विद्यमान है।