लखनऊ। एन्फ्लुएन्जा-ए (एच1 एन 1) से ग्रस्त रोगियों के उपचार के लिए सभी सरकारी चिकित्सालयों में बेहतर प्रबंध किए गए हैं। स्वाइन फ्लू के रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, महानिदेशालय, भारत सरकार द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रदेश के सभी अस्पतालों में रोगियों के उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
इन निर्देशों के तहत लक्षण के आधार पर रोगियों को ‘ए’, ‘बी’ एवं ‘सी’ श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है। इसमें से केवल ‘सी’ श्रेणी के मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता होती है। निदेशक, संचारी रोग, डा. बद्री विशाल ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि श्रेणी ‘सी’ में उन मरीजों को रखा गया है, जिनको सांस फूलने, सीने में दर्द, उनींदापन, रक्त चाप का निम्न होना, बलगम के साथ खून आने, नाखूनों के नीला पड़ने के लक्षण हैं। स्वाइन फ्लू से ग्रस्त ऐसे बच्चे जिनमें उच्च स्थिर ज्वर, अच्छी तरह से भोजन न कर पाने, मूर्छा, सांस की कमी तथा सांस लेने में दिक्कत हो रही है। इन लक्षण वाले मरीजों को तत्काल चिकित्सालय में भर्ती करने की आवश्यकता होती है।
इसके अलावा हल्के बुखार, कफ, गले में खराश, बदन दर्द, सर दर्द, डायरिया से प्रभावित रोगियों को स्वाइन फ्लू की जांच की आवश्यकता नही होती है। इन मरीजों को अपने घरो में रहने, जन-सामान्य तथा घर परिवार के उच्च, जोखिम वाले सदस्यों से मेल-मिलाप से बचने की जरूरत है। चिकित्सक द्वारा ऐसे मरीजों की निगरानी के साथ ही 24 से 48 घण्टे में उनका पुर्नमूल्यांकन किया जाएगा। (भाषा)