लखनऊ। अपराधियों को पकड़ने और अपराध कम करने के लिए उत्तरप्रदेश पुलिस ने 'त्रिनेत्र' एप लांच किया है। देश के अपनी तरह के इस पहले एप की मदद से उप्र पुलिस के पास 5 लाख अपराधियों का फोटो समेत पूरा लेखा-जोखा होगा जिसमें आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और चेहरा पहचानने जैसी तमाम तकनीकी खूबियां होंगी।
उप्र के पुलिस महानिरीक्षक (अपराध) एसके भगत ने विशेष बातचीत में बताया कि इस एप में लगभग 5 लाख अपराधियों (विभिन्न जिलों के 1 लाख 75 हजार अपराधी और जेल में बंद करीब 3 लाख 25 हजार विचाराधीन कैदियों) का पूरा रिकॉर्ड है।
इस एप की कार्यप्रणाली के बारे में उन्होंने बताया कि पुलिस अगर किसी संदिग्ध को हिरासत में लेती है और उसके आपराधिक रिकॉर्ड की पड़ताल करना चाहती है तो उसे किसी पुलिस स्टेशन से पूछताछ करने की जरूरत नहीं है। वह उस संदिग्ध का फोटो इस मोबाइल एप में डाल देगी और यह पलभर में ही एप में मौजूद अपराधियों के फोटो से उसका मिलान करके उसके बारे में जानकारी मुहैया कराएगा।
इस एप को राज्य पुलिस, जेल विभाग और रेलवे पुलिस के रिकॉर्ड को समायोजित कर तैयार किया गया है। भगत ने बताया कि कि फेस रिकग्निशन, बायोमीट्रिक रेकॉर्ड, फैनेटिक सर्च, टेक्स्ट सर्च, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस जैसी तकनीक के प्रयोग से यह एप अपराधी तक पहुंचने में पुलिस वाले की भरपूर मदद करेगा। आंकड़ों के मिलान के बाद यह एप किसी भी व्यक्ति के आपराधिक जीवन का लेखा-जोखा मुहैया कराएगा। इसमें अपराधियों की उंगलियों की छाप और आवाज के नमूने भी उपलब्ध हैं।
शुरू में यह एप पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के फोन पर उपलब्ध कराया गया था। अब जिला पुलिस के 1,464 थाना प्रभारी, 65 जीआरपी प्रभारी, सभी क्षेत्राधिकारी, समस्त अपर पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस अधीक्षक, रेंज एवं जोन, एटीएस एवं एसटीएफ के अधिकारियों को इस एप के उपयोग की सुविधा प्रदान की जा चुकी है। जल्द ही इसे अन्य अधिकारियों और थानों में उपलब्ध कराया जाएगा। पुलिस की एक विशेष टीम इस एप को समय-समय पर अपडेट करेगी।
भगत ने बताया कि यह अपने आप में पहला एप है, जो सीधे जेल की विचारार्थ कैदी प्रबंधन प्रणाली से जुड़ा है जिससे सजायाफ्ता और विधाराधीन कैदियों के बारे में तमाम जानकारी तत्काल हासिल हो सकेगी। इसे जेल के अंडर ट्रॉयल मैनेजमेंट सिस्टम (यूटीएमएस) के यूपी-100 भवन में स्थापित 'त्रिनेत्र' सर्वर से लिंक किया गया है। (भाषा)