अगरतला/ कोलकाता। त्रिपुरा में माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा एवं भाजपा के बीच चुनावी जंग पर सबकी निगाहें टिकी हैं, हालांकि पूर्वोत्तर राज्य में कभी उभरती ताकत रही तृणमूल कांग्रेस को अब आगामी विधानसभा चुनावों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने 18 फरवरी को होने वाले चुनाव के लिए इंडीजीनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ त्विपरा (आईएनपीटी) एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ त्रिपुरा के साथ गठबंधन किया है। पार्टी ने राज्य में कुल 60 विधानसभा क्षेत्रों की 24 सीटों में अपने उम्मीदवार उतारे हैं।
तृणमूल के त्रिपुरा प्रभारी एवं पश्चिम बंगाल विधानसभा में विधायक सब्यसाची दत्ता ने बताया कि वे बेहद सकारात्मक हैं कि तृणमूल राज्य में उभरती ताकत बनेगी। यह पूछे जाने पर कि क्या वे आश्वस्त हैं कि यह गठबंधन सत्ता में आएगा? इस पर उन्होंने कहा कि देखते हैं कि क्या होता है? भाजपा की तरह हमारे पास धन की ताकत नहीं है लेकिन हम कड़ी टक्कर देने की कोशिश कर रहे हैं।
त्रिपुरा के एक तृणमूल नेता ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि पार्टी राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए लड़ रही है। कभी हम राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में उभरे थे लेकिन अब हमें एक बार फिर शून्य से शुरू करना पड़ रहा है। न तो हमारे पास पैसा है और न ही चुनाव लड़ने के लिए लोग। (भाषा)