मिर्जापुर। कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता,एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो... दुष्यंत की यह पंक्ति उत्तर प्रदेश की बिटिया सानिया पर सटीक बैठती है। गांव के एक गरीब मुस्लिम परिवार में पैदा हुई बिटिया कुछ दिनों बाद फाइटर प्लेन उड़ाकर दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए तैयार हो जाएगी। देश की हिफाजत के लिए तत्पर सानिया मिर्जापुर के जसोवर गांव की है और इसके पिता शाहिद मिर्जा टीवी मैकेनिक हैं।
मिर्जापुर के जसोवर गांव की रहने वाली सानिया मिर्जा ने प्रारंभिक पढ़ाई गांव में की और फिर उच्च शिक्षा के लिए अपने पिता के पास शहर आ गई। गिटार की तारों को झंकृत करने वाली भारत की इस निडर और साहसी बेटी की सफलता और जज्बे को हम सलाम करते हैं।
सानिया का चयन NDA में हुआ है और महिलाओं की कैटेगरी में उसकी 10वी रैंक है, वहीं वायुसेना की फ्लाइंग कैटेगरी में वह दूसरे स्थान पर है। गरीब मुस्लिम परिवार की इस बेटी ने NDA में जाने के लिए कोई कोंचिग नहीं ली, बल्कि घर में रहकर ही पढ़ाई की। सानिया ने जसोवर गांव से 2019 में यूपी बोर्ड से हाईस्कूल की परीक्षा में स्कूल में टॉप किया था। इसके बाद 2021 में बारहवीं की पढ़ाई शहर के गुरुनानक विद्यालय से की।
सानिया आसमान की बुलंदियों को छूने की हसरत को लेकर प्रयागराज पहुंची और यहां से उसने BSC की पढ़ाई करते समय भारतीय सेना में पहली महिला पायलट अवनी चतुर्वेदी से प्रेरणा लेकर NDA परीक्षा की तैयार शुरू की, लेकिन पहले प्रयास में असफल होने के बाद भी उसने हार नहीं मानी, बल्कि कठिन परिश्रम के साथ NDA में शानदार परिणाम हासिल किया।
छोटे से गांव की इस बिटिया की सफलता से जसोवर में खुशी का माहौल है। सानिया का परिवार भी बेहद खुश है कि अब उनकी बेटी लड़ाकू विमान उड़ाकर भारत की रक्षा करेगी। आकाश में कुलांचे भरने को तत्पर सानिया ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि महिलाएं भी अब लड़ाकू विमान उड़ा सकती हैं। मेरा सपना था कि लड़ाकू विमान उड़ाकर देश की सेवा करूं। मेरा यह सपना अब हकीकत में बदलने जा रहा है।
सानिया ने कहा, मैंने NDA 149 की परीक्षा को क्रैक किया, अब मैं बहुत खुश हूं। मैकेनिक पिता शाहिद मिर्जा भी बेटी की सफलता से खुश हैं, उनका कहना है कि वह बचपन से ही पढ़ाई में तेज रही है और सेना में जाना चाहती थी। बेटी की इस उड़ान पर पिता गर्व से फूले नहीं समा रहे हैं।
Edited By : Chetan Gour