पटना। राजद नेता तेजस्वी यादव के महागठबंधन में बढ़ते कद से नाराज उपेंद्र कुशवाहा ने सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से इस्तीफा दे दिया और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक जनता दल नामक नए दल के गठन की घोषणा की। कुशवाहा 2 साल से भी कम समय तक नीतीश के साथ रहे। कुशवाहा इससे पहले वे 2005 और 2013 में नीतीश का साथ छोड़कर अपनी पार्टी का गठन कर चुके हैं।
कुशवाहा ने 2005 में जदयू से अलग होकर राष्ट्रीय समता पार्टी का गठन किया था। 2010 में वे फिर जदयू में शामिल हो गए। 2013 में उन्होंने जदयू छोड RLSP बनाई थी और 8 साल बाद अपने इस दल का जदयू में फिर से विलय कर लिया था।
वहीं, जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने अपनी पार्टी के संसदीय बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष कुशवाहा को अति महत्वाकांक्षी करार दिया।
उन्होंने कहा कि उनकी (कुशवाहा) पार्टी के भीतर वापसी का सभी के द्वारा विरोध किया गया था, लेकिन मुख्यमंत्री के आग्रह पर उनकी जदयू में फिर से वापसी हुई थी और कुशवाहा ने आश्वासन दिया था कि अब मैं यहीं जिऊंगा और मरूंगा।
कुशवाहा ने यह भी घोषणा की कि वह बिहार विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा देने के लिए सदन के सभापति से मिलने का समय दिए जाने की मांग करेंगे।
कुशवाहा ने आरोप लगाया कि नीतीश ने यह संकेत देकर कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव महागठबंधन के भावी नेता होंगे, राजनीतिक पूंजी गिरवी रख दी।
हालांकि, ललन ने कहा कि कुशवाहा, जो उस समय राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) के प्रमुख थे, ने 2018 में राजग छोड़ने के बाद राजद के साथ गठबंधन किया था और उन्हें तब तेजस्वी यादव ठीक लग रहे थे।
जदयू प्रमुख ने कुशवाहा के इस आरोप को भी खारिज कर दिया कि पार्टी के वास्तविक नेता नीतीश अब स्वयं निर्णय नहीं लेते बल्कि निहित स्वार्थों वाली एक मंडली की सलाह पर काम करते हैं। ललन ने कहा कि अगर ऐसा होता तो कुशवाहा 2021 में जदयू में कभी नहीं लौट सकते थे। पार्टी में एक भी व्यक्ति उनकी वापसी के पक्ष में नहीं था क्योंकि सभी उनकी महत्वाकांक्षा को जानते थे जिसके कारण वह पूर्व में भी पार्टी को छोड़ेकर चले गए थे। लेकिन, मुख्यमंत्री ने कुशवाहा की इस घोषणा कि जीना-मरना अब यहीं है, उनपर भरोसा किया।
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा, 'समस्या यह है कि कुशवाहा अपने लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी से कम कुछ नहीं सोच सकते। इसने उन्हें राजग छोड़ने और राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ अपने अवसरों की कल्पना करने के लिए प्रेरित किया।'
उन्होंने कहा कि वह वहां भी नहीं रह सके और 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने मायावती की बसपा और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के साथ आनन-फानन में गठबंधन किया क्योंकि ये दल उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने पर सहमत हो गए थे।
Edited by : Nrapendra Gupta