कोलकाता। केंद्र सरकार के नोटबंदी के निर्णय के बाद पश्चिम बंगाल में 2 लोकसभा एवं 1 विधानसभा सीट के लिए शनिवार को उपचुनाव कराए जाएंगे।
उपचुनाव कूचबिहार एवं तमलुक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों और मोंटेश्वर विधानसभा क्षेत्र में होंगे। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, वाम मोर्चा और कांग्रेस ने इन तीनों सीटों पर अपने-अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। हालांकि इससे पहले इस साल की शुरुआत में कांग्रेस और माकपा नीत वाम मोर्चा ने एकसाथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन दोनों ने इस उपचुनाव में अलग-अलग लड़ने का फैसला किया है।
उपचुनाव के प्रचार अभियान के आखिरी चरण में नोटों का चलन बंद होना मुख्य मुद्दा बन गया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इन उपचुनावों के लिए प्रचार नहीं किया और यह जिम्मेदारी पार्टी के अन्य नेताओं पर छोड़ दी।
राज्य भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के अलावा केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने भी पार्टी के प्रचार में अहम भूमिका निभाई। डब्ल्यूबीपीसीसी के प्रमुख अधीर चौधरी और माकपा के राज्य सचिव एसके मिश्रा ने भी अपने पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया।
तृणमूल के विधायक एवं तमलुक सीट से पार्टी प्रत्याशी दिव्येंदु अधिकारी से कहा कि नोटबंदी से देश का प्रत्येक नागरिक प्रभावित हुआ है। आम आदमी को परेशानी हो रही है। इसके अलावा नोटबंदी से हमारा चुनाव प्रचार भी प्रभावित हुआ है। तमलुक में बहुत से ग्रामीण इलाकों में अब भी बैंकिंग सुविधा नहीं है। गरीब किसान क्या करेगा? माकपा और कांग्रेस नेताओं के अनुसार पार्टियों के लिए नोटबंदी अचानक चुनावी मुद्दा बन गया है। लोग इस नए आदेश के कारण परेशानी पैदा होने की शिकायत कर रहे हैं।
माकपा के नेता सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि नोटबंदी प्रमुख मुद्दा बन गया है, क्योंकि इस आदेश से लोगों को बहुत परेशानी हो रही है तथा ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी खराब है, वहीं दूसरी ओर भाजपा ने कहा है कि ये उपचुनाव सभी पार्टियों के लिए अग्निपरीक्षा की तरह हैं। राज्य भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि तृणमूल, कांग्रेस और माकपा जो कह रही हैं, वह ठीक नहीं है। बंगाल के लोग इस निर्णय से खुश हैं और वे हमारे प्रत्याशियों को विजयी बनाएंगे। (भाषा)