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बंगाल के गिरफ्तार मंत्री पार्थ चटर्जी अस्पताल में भर्ती

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, शनिवार, 23 जुलाई 2022 (23:57 IST)
कोलकाता। स्कूल भर्ती घोटाले की जांच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा शनिवार को गिरफ्तार किए गए पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी को बेचैनी की शिकायत के बाद शाम के समय अस्पताल में भर्ती कराया गया।चटर्जी को कई स्वास्थ्य समस्याएं हैं।तृणमूल कांग्रेस के महासचिव की ईसीजी सहित कई जांच की गईं।

एजेंसी के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। चटर्जी को कई स्वास्थ्य समस्याएं हैं। शहर की एक अदालत द्वारा दो दिन की ईडी हिरासत में भेजे जाने के कुछ घंटे बाद उन्हें सरकारी एसएसकेएम अस्पताल के आईसीसीयू में भर्ती कराया गया।

अस्पताल के एक अधिकारी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के महासचिव की ईसीजी सहित कई जांच की गईं। उन्होंने कहा, इस समय उनकी हालत स्थिर है। विभिन्न परीक्षण किए गए हैं और डॉक्टरों की एक टीम उनकी स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए है।

ममता बनर्जी के भरोसेमंद सहयोगी से लेकर 'घोटाले के दागी' मंत्री तक : पश्चिम बंगाल के तृणमूल कांग्रेस नेता पार्थ चटर्जी को 5 दशक लंबे राजनीतिक सफर में बड़ा झटका लगता दिख रहा है, क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राज्य में शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच के संबंध में उन्हें शनिवार को गिरफ्तार कर लिया।

69 वर्षीय चटर्जी, वर्तमान में ममता बनर्जी सरकार में उद्योग और संसदीय मामलों के विभाग को संभाल रहे। वह वर्ष 2014 से 2021 तक शिक्षा मंत्री थे। उनके शिक्षा मंत्री रहने के दौरान शिक्षक भर्ती में कथित अनियमितताएं हुईं।

चटर्जी ने साठ के दशक के उत्तरार्ध में कांग्रेस की छात्र शाखा-छात्र परिषद के नेता के रूप में राजनीति में कदम रखा। तब वह कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे। वह तत्कालीन तेजतर्रार युवा नेताओं सुब्रत मुखर्जी और प्रिय रंजन दासमुंशी से प्रेरित थे।

सत्तर के दशक के मध्य में एक हाई-प्रोफाइल कॉर्पोरेट नौकरी करने का फैसला करने के बाद उनका राजनीतिक करियर रुक गया। ममता बनर्जी के कांग्रेस से अलग होने और एक जनवरी 1998 को तृणमूल कांग्रेस का गठन करने के बाद चटर्जी ने सक्रिय राजनीति में उतरने का फैसला किया।

वह तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर वर्ष 2001 से लगातार पांच बार बेहाला पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। चटर्जी का सियासी सफर वर्ष 2006 में तब शिखर पर पहुंचा, जब विधानसभा में वह तृणमूल कांग्रेस पार्टी के नेता बने और बाद में नेता प्रतिपक्ष बने।

जब ममता बनर्जी ने सिंगूर और नंदीग्राम में कथित जबरन भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर बंगाल की सड़कों पर शक्तिशाली वाम मोर्चा शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी, तो चटर्जी विधानसभा में विपक्ष की आवाज बन गए।

चटर्जी उस समय सबसे आगे थे जब उनकी पार्टी ने भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर विधानसभा में तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य को घेरा। वर्ष 2007 में बनर्जी ने उन्हें तृणमूल कांग्रेस का महासचिव नियुक्त किया। चार साल बाद पार्टी के सत्ता में आने के बाद उन्हें उद्योग और संसदीय मामलों का प्रभार दिया गया।

हालांकि वर्ष 2014 में एक कैबिनेट फेरबदल में उन्हें उद्योग विभाग से हटाकर शिक्षा विभाग दिया गया। वर्ष 2021 में पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटी तो उन्हें उद्योग और संसदीय मामलों का विभाग दिया गया। उन्हें राजनीतिक हलकों में एक मिलनसार नेता के रूप में जाना जाता है।

पार्थ चटर्जी का नाम एक पोंजी योजना में भी आया था, जिसकी जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) कर रही थी। हालांकि उन्होंने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया।(एजेंसियां)

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