गांधीनगर। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने शनिवार को इस्तीफा दे दिया। 2022 में गुजरात में चुनाव होने हैं और माना जा रहा है कि भाजपा विजय रूपाणी के ऊपर दांव नहीं लगाना चाहती है। हालांकि कोरोना के दौरान गुजरात सरकार की नाकामी को भी इस्तीफे का बड़ा कारण माना जा रहा है। रूपाणी के इस्तीफे के बाद राज्य में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा, इसे लेकर भाजपा आज विधायक दल की बैठक करने जा रही है।
गुजरात के नए मुख्यमंत्री की दौड़ में जिन नामों पर चर्चा चल रही है उनमें उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया एवं पुरुषोत्तम रूपाला के नाम दौड़ में सबसे आगे हैं। ये सभी पटेल समुदाय से ही आते हैं। गोरधन झड़ाफिया का नाम भी मुख्यमंत्री पद के लिए चल रहा है, लेकिन इस दौड़ में सबसे आगे मांडविया और नितिन पटेल को माना जा रहा है। इसके साथ एक और नाम दौड़ में बना हुआ, वे गुजरात भाजपा के अध्यक्ष सीआर पाटिल हैं।
पाटिल ने कहा मैं रेस में नहीं : पाटिल नवसारी से तीन बार के सांसद हैं। साथ ही उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विश्वसनीय करीबी माना जाता है। इस बीच सीआर पाटिल ट्विटर पर वीडियो जारी कर कहा कि वे मुख्यमंत्री की रेस में नहीं हैं। पाटिल ने कहा कि मैं इस वीडियो के माध्यम से स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं ऐसी किसी भी दौड़ में नहीं हूं। विजय रूपाणी और पार्टी द्वारा नियुक्त नए मुख्यमंत्री के साथ मिलकर हम अगले विधानसभा चुनाव में 182 में से 182 सीटें जीतने के अपने लक्ष्य को हासिल करेंगे और पार्टी को मजबूत करने का काम करेंगे।
आज विधायक दल की बैठक : गुजरात भाजपा विधायक दल की आज बैठक हो सकती है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता यमल व्यास ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह केंद्रीय पर्यवेक्षकों के साथ विधायक दल की बैठक में शामिल हो सकते हैं। व्यास ने यहां पार्टी मुख्यालय कमलम में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बी एल संतोष और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव सहित वरिष्ठ नेताओं के साथ एक बैठक के बाद संवाददाताओं से यह कहा।
उन्होंने कहा कि भाजपा विधायक दल की रविवार को बैठक होने की संभावना है, लेकिन (पार्टी के) केंद्रीय संसदीय बोर्ड द्वारा बैठक के सटीक समय से हमें अवगत कराये जाने के बाद ही हम इसकी पुष्टि कर सकेंगे। भाजपा के सभी विधायक केंद्रीय पर्यवेक्षकों के साथ बैठक में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि बैठक में नये मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला होगा।
व्यास ने कहा कि रूपाणी ने मुख्यमंत्री के तौर पर कई सारे विकास कार्य कर राज्य को नयी ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उन्होंने कहा कि यह भाजपा में सामान्य प्रकिया है...उन्हें एक नयी जिम्मेदारी दी जाएगी। वह पहले प्रदेश प्रमुख थे, फिर मुख्यमंत्री बने और अब वह नई जिम्मेदारी निभाएंगे।
मोदी-शाह की विफलता : कांग्रेस ने गुजरात के मुख्यमंत्री पद से विजय रूपाणी के इस्तीफा देने के बाद दावा किया कि इस घटनाक्रम से विभिन्न राज्यों में भाजपा की अंदरुनी लड़ाई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृह मंत्री अमित शाह की विफलता सामने आई है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि अब गुजरात को भाजपा से मुक्ति दिलाने का समय आ गया है।
उन्होंने ट्वीट किया कि दो चीजें आज सामने आई हैं। पहली यह कि सभी भाजपा शासित राज्यों में अंदरुनी लड़ाई है, चाहे वह गुजरात हो, उत्तर प्रदेश हो, मध्य प्रदेश हो, असम हो या हरियाणा हो। दूसरी यह है कि भक्त मीडिया भाजपा में चल रही आपसी लड़ाई से बेखबर बना हुआ है क्योंकि उसका काम सिर्फ विपक्षी शासित राज्यों पर ध्यान केंद्रित रहना है।
सुरजेवाला ने दावा किया कि यह मोदी और अमित शाह की विफलता को दिखाता है। उनके द्वारा बनाये गए मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने पांच वर्ष के बाद गुजरात और उसके लोगों को निराश किया। इसकी जिम्मेदारी मोदी जी की भी है। उन्होंने जोर देकर कहा, गांधी-पटेल की कर्मभूमि से कुटिल भाजपा एवं उसके नेतृत्व से मुक्त दिलाने का समय आ गया है। कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने भाजपा पर तंज कसते हुए ट्वीट किया कि त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत, बी एस येदियुरप्पा के बाद अब, विजय रूपाणी भी भाजपा के मार्गदर्शक मंडल में शामिल होंगे।
टीएमसी ने कहा बलि का बकरा बनाया : तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को बलि का बकरा बनाया गया और प्रदेश भाजपा में अत्यधिक अंदरूनी कलह के चलते उन्होंने त्यागपत्र दिया है।
टीएमसी के राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर रॉय ने संवाददाताओं से कहा कि भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में गुजरात में कुशासन रहा है, लेकिन रूपाणी के अचानक इस्तीफा देने के पीछे यह कोई कारण नहीं है और उनका इस्तीफा भगवा पार्टी की प्रदेश इकाई में अत्यधिक अंदरूनी कलह के चलते आया है। उन्होंने कहा कि हम हैरान हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में भाजपा शासन की सभी ओर नाकामी के बावजूद इस्तीफा क्यों नहीं दे रहे हैं?