नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में पुरानी आबकारी नीति बहाल होने के पहले दिन गुरुवार को सरकारी दुकानों पर शराब की बोतलें या तो थीं नहीं अथवा काफी कम संख्या में थीं। ज्यादातर ग्राहकों को इन दुकानों से निराश होकर लौटना पड़ा क्योंकि बाजार में उनके पसंदीदा ब्रांड नहीं हैं। कई ने कहा कि उन्हें निजी दुकानों पर मिलने वाली छूट तथा बड़ी दुकानों की याद आ रही है।
शहर में शराब की सरकारी दुकानें खुलने और खुदरा कारोबार से निजी कारोबारियों के हटने के साथ ही पुरानी आबकारी नीति बहाल हो गई है। आबकारी विभाग ने दावा किया कि दिल्ली सरकार के चार उपक्रमों ने शहर में शराब की 300 दुकानें तैयार कर ली हैं। हालांकि विशेषज्ञों ने कहा कि निजी स्टोरों के बंद होने के बाद पहले दिन शराब की करीब 240 दुकानें खुलीं।
दुकानों के प्रभारियों ने कहा कि वे तो समय से पहुंच गए, लेकिन सरकार की ओर से अब तक शराब का स्टॉक उपलब्ध नहीं कराया गया है। शराब की एक दुकान के कर्मी ने कहा कि फिलहाल बहुत कम ब्रांड उपलब्ध हैं और उम्मीद जताई कि लोकप्रिय मांगों को देखते हुए आने वाले दिनों में इनकी संख्या बढ़ेगी।
विष्णु गार्डन में दुकान के प्रभारी राजेश कुमार ने कहा, हम सुबह से खाली बैठे हैं क्योंकि शराबें हैं ही नहीं। स्टॉक अब तक आया नहीं है। ग्राहक खाली हाथ घर लौट रहे है। हमें कल तक स्टॉक आने की उम्मीद है। यह संक्रमणकाल है।
मयूर विहार फेज टू में शराब खरीदने एक दुकान पर गए पुष्पेंद्र ने पसंदीदा ब्रांड नहीं मिलने पर अफसोस व्यक्त किया। उसने कहा, निजी दुकानें बड़ी थीं जबकि यह छोटी दुकान है। सरकार को निजी दुकानों को भी अनुमति देनी चाहिए ताकि लोगों के पास विकल्प हो।(भाषा)