जालंधर। पंजाब में चुनावी साल में राज्य के नदियों के पानी के मसले पर उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था तथा इस पर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति के बीच आम आदमी पार्टी का विभाजन तथा पार्टी नेताओं पर लगे विभिन्न आरोपों के कारण राज्य की राजनीति पूरे साल सुर्खियों में रही।
चुनावी वर्ष को देखते हुए विपक्षी कांग्रेस, सत्तारुढ़ शिरोमणि अकाली दल ने पंजाब के पानी के मसले को उठाना शुरू किया और आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति के बीच पानी के मामले में वोटों की लड़ाई में कूदे आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल इस पर लगातार रुख बदलते रहे।
एक तरफ जहां पंजाब के नदियों का पानी पड़ोसी राज्यों को नहीं दिए जाने का मसला कांग्रेस ने उठाना शुरू किया वहीं दूसरी ओर इसके लिए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जिम्मेदार बताते हुए सत्तारुढ़ शिरोमणि अकाली दल ने भी पानी के बंटवारे का विरोध करते हुए एक बूंद भी पानी दूसरे राज्य को नहीं देने तथा इसके लिए हर प्रकार की कुर्बानी देने की बात कही। वहीं इस मसले पर आप पूरे साल अपना रुख बदलती रही।
पंजाब के नदियों के पानी को दूसरे राज्यों के साथ बांटने से रोकने के लिए 2004 के पंजाब सरकार के कानून को सर्वोच्च न्यायालय ने असंवैधानिक करार देकर राज्य को एक बहुत बड़ा झटका दिया। इस पर राज्य में सालभर खूब राजनीति हुई और शीर्ष अदालत की व्यवस्था से पहले ही राजनीतिक दलों ने सतलुज यमुना लिंक नहर को तोड़कर जमीन को भी समतल कर दिया था।
एक तरफ कांग्रेस ने जहां यह कहते हुए इसके लिए मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को जिम्मेदार बताया कि नहर निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की इजाजत बादल ने ही दी थी और हरियाणा सरकार से पैसे भी लिए थे वहीं सत्ताधारी शिअद ने इसके लिए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। दूसरी ओर इस लड़ाई में कूदे आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल पानी के मामले में अपने बयानों से पलटते रहे।
उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था आने के बाद अमृतसर से लोकसभा सांसद तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह और राज्य के 42 कांग्रेस विधायकों ने अपने संबंधित सदन की सदस्यता से इसी साल इस्तीफा दे दिया था।
इसी बीच राज्य की गठबंधन सरकार ने ‘जमीन नहीं देने’ तथा ‘किसी को भी नहर निर्माण की अनुमति नहीं देने’ का प्रस्ताव सर्वसम्मति से विधानसभा में पारित कर दिया। इसके अलावा यह व्यवस्था भी अपनाई गई कि ‘पानी पर लेवी’ लगाने के लिए राज्य सरकार मामले को केंद्र और राज्यों के साथ उठाएगी।
कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा देने से पहले विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक तिरलोचन सूंड ने सत्तापक्ष के मंत्री को निशाना बनाते हुए सदन में जूता फेंका। राज्य में जारी अव्यवस्था के विरोध में कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा के भीतर लगातार दो दिन तक धरना दिया। हालांकि धरना के दौरान रात में सदन की बिजली और एसी बंद कर दिए गए।
इसी साल आम आदमी पार्टी ने अपने प्रदेश संयोजक सुच्चा सिंह छोटेपुर पर रिश्वत का आरोप लगाते हुए उन्हें पद से हटा दिया। बाद में छोटेपुर ने नई पार्टी ‘अपना पंजाब’ का गठन कर लिया। (भाषा)