लखनऊ। उत्तर प्रदेश में निजीकरण के विरोध में बिजली विभाग के कर्मचारी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए हड़ताल कर रहे थे, जिसके कारण पूरे प्रदेश में हाहाकार की स्थिति पैदा हो गई। प्रदेश के कई इलाकों में बिजली व्यवस्था पूर्ण रूप से बिगड़ गई। इसके चलते प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण को लेकर होने वाले फैसले को योगी सरकार ने 3 महीने के लिए टाल दिया है।
प्रदेश के कई जिलों में फाल्ट के चलते घंटे बिजली नहीं आए और आम जनमानस को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ा जिसके बाद बिजली व्यवस्था धड़ाम होने की खबर ने जहां आम जनमानस को हिलाकर रख दिया तो वही प्रदेश में योगी सरकार को भी पूरी तरीके से हिलाकर रख दिया जिसके चलते प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण को लेकर होने वाले फैसले को योगी सरकार ने 3 महीने के लिए टाल दिया गया है और कहा गया है कि 3 महीने के बाद समीक्षा की जाएगी और फिर कोई फैसला सरकार लेगी।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को निजी हाथ में सौंपने के फैसले की जानकारी होते ही बिजली विभाग के कर्मचारी सड़कों पर उतरकर निजीकरण के मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं जिसके चलते प्रदेश के कई जिलों में विद्युत व्यवस्था अव्यवस्थित हो गई थी और प्रदेश के लगभग 25 से 30 जिलों में बिजली को लेकर हाहाकार मच गया था और आम जनमानस को भी दिक्कतें शुरू हो गई थीं।
जिसके बाद देर शाम उत्तर प्रदेश सरकार और बिजली विभाग के अधिकारियों के बीच अहम बैठक हुई और इस दौरान फैसला लिया गया कि विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण को 15 जनवरी, 2021 तक टाला जाता है और 15 जनवरी के बाद एक बार फिर समीक्षा कर आगे का फैसला लिया जाएगा।
फैसले की जानकारी होते ही बिजलीकर्मियों की अनिश्चिकालीन हड़ताल को कर्मचारी संगठनों ने वापस ले लिया है और एक बार फिर से विद्युत व्यवस्था को व्यवस्थित करने में कर्मचारी जुट गए हैं।