पेरेंटिंग स्टाइल सिर्फ आपके बच्चे ही नहीं भविष्य में बच्चे के बच्चे की परवरिश में भी बड़ा योगदान निभाएगी, क्योंकि आपका बच्चा आज जो आप से सीखेगा भविष्य में अपने बच्चों पर भी वही लागू करेगा।
दिलचस्प बात यह है कि बच्चों की परवरिश करने के भी दुनिया में अलग-अलग तरीके हैं। रिसर्च में भी यह सामने आया है कि माता पिता अपने बच्चों को अलग-अलग तरह से पालते हैं। वैसे बच्चों को पालने के कोई निर्धारित नियम नहीं होते हैं, लेकिन रिसर्च के मुताबिक मोटे तौर पर पेरेंटिंग के चार मुख्य तरीके होते हैं।
अथॉरिटेरियन पेरेंटिंग
अथॉरिटेरियन पैरंट ये मानते हैं कि बच्चों को हर नियम और कायदा बिना किसी सवाल के मानना चाहिए। इन पेरेंट्स का सबसे फेवरेट वाक्य होता है, क्योंकि मैंने कहा है इसीलिए तुम्हें मानना पड़ेगा। जब भी बच्चा उनके पेरेंटिंग स्टाइल को क्वेश्चन करता है तो वह यही कहकर अपने बच्चों को चुप कराते हैं। ऐसे पेरेंट्स बच्चों पर अपने रूल्स थोपते हैं। इसके अलावा वह बच्चों के ओपिनियन जानने में भी कोई खास रुचि नहीं लेते। अथॉरिटेरियन पेरेंट्स बच्चों को गलती होने पर सजा देते हैं।
अथॉरिटेटिव पेरेंटिंग
अथॉरिटेटिव पैरंट अपने बच्चों के लिए रूल्स बनाते हैं और उन पर लागू भी करते हैं, लेकिन इसके दौरान वह बच्चों के भावनाएं और उनके ओपिनियन भी ध्यान में रखते हैं। वो अपने बच्चों की फीलिंग को समझते हैं और उन्हें यह भी बताते हैं कि फिलहाल बच्चों की देखभाल और उनके लिए फैसले लेने के लिए माता-पिता मौजूद है।
अथॉरिटेटिव पेरेंट्स अपने बच्चों के स्वभाव और हरकतों को समझने और उन्हें बेहतर बनाने में समय और एनर्जी व्यतीत करते हैं। इस बात की भी पूरी कोशिश करते हैं कि बच्चों को पॉजिटिव डिसिप्लिन सिखाया जा सके!
परमिसिव पेरेंटिंग
परमिसिव पैरंट अक्सर बहुत रिलैक्स और लीनियंट होते हैं। वह बच्चों के मामले में तभी इन्वॉल्व होते हैं जब कोई सीरियस समस्या हो। वह अक्सर यही रवैया अपनाते हैं कि बच्चे तो बच्चे ही रहेंगे। वह बच्चों को अगर सजा देने की कोशिश करते भी हैं तो बच्चों के रोने-धोने पर उन्हें माफ कर देते हैं। परमिसिव पेरेंट्स अक्सर पैरंट ना होकर एक दोस्त की भूमिका निभाने की कोशिश करते हैं। लेकिन इस वजह से वो बच्चों को एक इमोशनल सपोर्ट देने में असफल हो जाते हैं।
अनइंवॉल्वड पेरेंटिंग
अनइंवॉल्वड पेरेंट्स को अपने बच्चों के बारे में बहुत कम जानकारी होती है। वह बच्चों को बस उनकी मूलभूत जरूरत है जैसे रोटी, कपड़ा, मकान आदि दे देते हैं, लेकिन वह अपने बच्चों के बारे में या उनकी भावनाओं को बहुत अधिक ना जानते हैं, ना समझने की कोशिश करते हैं। अक्सर ये पेरेंट्स जानबूझकर ना सही लेकिन अनजाने में ही अपने बच्चों को लगातार निगलेक्ट करते रहते हैं। इस वजह से वह बच्चे की शारीरिक और मानसिक जरूरतें पूरी नहीं कर पाते। ऐसे बच्चे अक्सर अपने जीवन में सेल्फ एस्टीम और मानसिक समस्याओं से जूझते हैं। यह बच्चे स्कूल में अच्छे से परफॉर्म नहीं कर पाते और उनमें गुस्सा और अग्रेशन भी बहुत देखा जाता है।