अमावस्या माह में एक बार ही आती है। मतलब यह कि वर्ष में 12 अमावस्याएं होती हैं। प्रमुख अमावस्याएं : सोमवती अमावस्या, भौमवती अमावस्या, मौनी अमावस्या, शनि अमावस्या, हरियाली अमावस्या, दिवाली अमावस्या, सर्वपितृ अमावस्या आदि मुख्य अमावस्या होती है।
अमावस्या के दिन भूत-प्रेत, पितृ, पिशाच, निशाचर जीव-जंतु और दैत्य ज्यादा सक्रिय और उन्मुक्त रहते हैं। ऐसे दिन की प्रकृति को जानकर विशेष सावधानी रखनी चाहिए।
अमावस्या में दानवी आत्माएं ज्यादा सक्रिय रहती हैं, तब मनुष्यों में भी दानवी प्रवृत्ति का असर बढ़ जाता है इसीलिए उक्त दिनों के महत्वपूर्ण दिन में व्यक्ति के मन-मस्तिष्क को धर्म की ओर मोड़ दिया जाता है।
यदि व्यक्ति धर्म के नियमों का पालन नहीं करता है तो उसे परेशानी उठाना पड़ती है।
1. इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।
2. इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं।
3. इस दिन व्यक्ति में नकारात्मक सोच बढ़ जाती है। ऐसे में नकारात्मक शक्तियां उसे अपने प्रभाव में ले लेती है तो ऐसे में हनुमानजी का जप करते रहना चाहिए।
4. अमावस्या के दिन ऐसे लोगों पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है जो लोग अति भावुक होते हैं। अत: ऐसे लोगों को अपने मन पर कंट्रोल रखना चाहिए और पूजा पाठ आदि करना चाहिए।
5. इस दिन हो सके तो उपवास रखना चाहिए। जानकार लोग तो यह कहते हैं कि चौदस, अमावस्या और प्रतिपदा उक्त 3 दिन पवित्र बने रहने में ही भलाई है।