प्याज को ग्रामीण क्षेत्रों में कांदा भी कहते हैं। अंग्रेजी में इसे ओन्यन या अन्यन (onion) कहते हैं। यह कंद श्रेणी में आता है जिसकी सब्जी भी बनती है और इसे सब्जी बनने में मसालों के साथ उपयोग भी किया जाता है। इसे संस्कृत में कृष्णावल कहते थे। हालांकि आजकल यह शब्द प्रचलन में नहीं है। कृष्णावल कहने के पीछे एक रहस्य छुपा हुआ है। आओ जानते हैं कि प्याज को क्यों कहते हैं कृष्णावल।
1. दक्षिण भारत में खासकर कर्नाटक और तमिलनाडु के ग्रामीण क्षेत्रों में प्याज को आज भी कृष्णावल नाम से ही जाना जाता है।
2. इसे कृष्णवल कहने का तात्पर्य यह है कि जब इसे खड़ा काटा जाता है तो वह शंखाकृती यानी शंख के आकार में कटता है। वहीं जब इसे आड़ा काटा जाता है तो यह चक्राकृती यानी चक्र के आकार में कटता है।
3. आप जानते ही हैं कि शंख और चक्र दोनों श्रीहरि विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण के आयुधों से संबंधित हैं।
4. शंख और चक्र के कारण ही प्याज को कृष्णावल कहते हैं। कृष्ण और वलय शब्दों को मिलाकर बना है कृष्णावल शब्द है।
5. कृष्णावल कहने के पीछे सिर्फ यही एक कारण नहीं है बल्कि यदि आप प्याज को उसकी पत्तियों के साथ उलटा पकड़ेंगे तो वह गदा का भी रूप ले लेता है। यह भी रोचक है कि बगैर पत्तों के वह पद्म यानी कमल का आकार लेता है। गदा और पद्म भी भगवान विष्णु चक्र और शंख के साथ धारण करते हैं।...तो है ना रोचक जानकारी।
उल्लेखनीय है कि हाल ही है इस संबंध में यह जानकारी सोनी टीवी पर प्रसारित 'देवी अहिल्या' धारावाहिक में बताई गई है। अहिल्या से उनकी सास गौतमा रानी ने पूछा था कि घर में कृष्णावल नाम की कौन सी चीज होती है।
(यह सामग्री परम्परागत रूप से प्राप्त जानकारी पर आधारित है, वेबदुनिया इसकी पुष्टि नहीं करता, पाठक स्वविवेक से निर्णय लें।)