अधिक मास में मथुरा परिक्रमा का बड़ा महत्व है। इस परिक्रमा में होते हैं कृष्ण से जुड़े प्रत्येक स्थलों के दर्शन। माना जाता है कि यह परिक्रमा चौरासी कोस की है जिसके मार्ग में अलीगढ़, भरतपुर, गुड़गांव, फरीदाबाद की सीमा लगती है, लेकिन इसका अस्सी फीसदी हिस्सा मथुरा जिले में ही है। मथुरा से चलकर यात्रा सबसे पहले भक्त ध्रुव की तपोस्थली से शुरू होती है परिक्रमा इसके बाद...
1. मधुवन
2. तालवन
3. कुमुदवन
4. शांतनु कुण्ड
5. सतोहा
6. बहुलावन
7. राधा-कृष्ण कुण्ड
8. गोवर्धन
9. काम्यक वन
10. संच्दर सरोवर
11. जतीपुरा
12. डीग का लक्ष्मण मंदिर
13. साक्षी गोपाल मंदिर
14. जल महल
15. कमोद वन
16. चरन पहाड़ी कुण्ड
17. काम्यवन
18. बरसाना
19. नंदगांव
20. जावट
21. कोकिलावन
22. कोसी
23. शेरगढ
24. चीर घाट
25. नौहझील
26. श्री भद्रवन
27. भांडीरवन
28. बेलवन
29. राया वन
30. गोपाल कुण्ड
31. कबीर कुण्ड
32. भोयी कुण्ड
33. ग्राम पडरारी के वनखंडी में शिव मंदिर
34. दाऊजी
35. महावन
36. ब्रह्मांड घाट
37. चिंताहरण महादेव
38. गोकुल
39. लोहवन
40. वृन्दावन
इस यात्रा मार्ग में कई और पौराणिक स्थलों के अलावा 12 वन, 24 उपवन, चार कुंज, चार निकुंज, चार वनखंडी, चार ओखर, चार पोखर, 365 कुण्ड, चार सरोवर, दस कूप, चार बावरी।