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Agahan Maas: पुण्य फलदायक है मार्गशीर्ष अमावस्या, जानें इस माह से जुड़ी पौराणिक कथा, जानकारी

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WD Feature Desk

, बुधवार, 19 नवंबर 2025 (15:40 IST)
story of Agahan month: मार्गशीर्ष अमावस्या का दिन भगवान कृष्‍ण के पूजन के साथ ही पितरों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर भी है, साथ ही यह आत्मिक शांति और पुण्य की प्राप्ति का समय है। यहां मार्गशीर्ष अमावस्या से जुड़ी पौराणिक कथा विस्तार से बताई जा रही हैं...ALSO READ: Margashirsha Amavasya: मार्गशीर्ष की अमावस्या पर करें 5 अचूक उपाय, होगा बहुत ही शुभ लाभ
 
मार्गशीर्ष मास (अगहन) और उसकी अमावस्या तिथि का महत्व हिंदू धर्म ग्रंथों, विशेषकर श्रीमद्भागवत पुराण और विष्णु पुराण में, भगवान श्रीकृष्ण और पितरों से संबंधित है। वैसे तो मार्गशीर्ष अमावस्या की कोई एकल, विशिष्ट कथा नहीं है जो केवल इसी दिन घटित हुई हो, बल्कि इसका महत्व मुख्य रूप से भगवान विष्णु (श्रीकृष्ण) की पूजा और पितृ कर्म यानी पितरों के लिए किए जाने वाले कार्य से जुड़ा है। कथाएं इस तिथि के पुण्य फल को दर्शाती हैं।ALSO READ: Margashirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष अमावस्या के उपायों से जीवन में बनेगा एक नई शुरुआत का संयोग, जानें 8 प्रमुख उपाय
 
1. श्रीकृष्ण और मार्गशीर्ष मास का महत्व: इस मास का महत्व स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता के विभूति योग (अध्याय 10) में बताया है।
 
"मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकरः।" (मैं मासों में मार्गशीर्ष हूं और ऋतुओं में वसंत।)
 
कथा का सार:
 
जब अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि वह सृष्टि के सभी तत्वों में से सबसे महत्वपूर्ण और उत्कृष्ट रूप में कहां विद्यमान हैं, तो श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया कि सभी मासों (महीनों) में, वह स्वयं मार्गशीर्ष हैं।

यह कथन मार्गशीर्ष मास की दिव्यता और पवित्रता को स्थापित करता है। मार्गशीर्ष मास में ही भगवान ने सृष्टि की शुरुआत की थी। इसी कारण इसे देवताओं का महीना भी कहा जाता है। मार्गशीर्ष अमावस्या इस दिव्य महीने की सबसे महत्वपूर्ण तिथि होती है। इस दिन व्रत, स्नान, और दान करने से सीधे भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
 
2. सत्ययुग के समान फल देने वाली अमावस्या: हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या को अत्यंत पुण्य फलदायक माना गया है, क्योंकि इस दिन किए गए पुण्यकर्म सत्ययुग में किए गए पुण्य के समान माने जाते हैं।
 
कथा का सार:
 
प्राचीन काल में, ऋषि-मुनियों ने बताया कि कलियुग में जब धर्म का प्रभाव कम होगा, तब भी कुछ विशेष तिथियां ऐसी होंगी जो भक्तों को अत्यधिक पुण्य प्रदान करेंगी। मार्गशीर्ष अमावस्या उन्हीं तिथियों में से एक है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं।
 
यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो पितृ दोष से पीड़ित हैं। अमावस्या पर किए गए पितृ तर्पण से पितर तुरंत तृप्त होते हैं और अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। कहा जाता है कि इस दिन के व्रत, पूजा और कर्मकांड से व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है, ठीक वैसे ही जैसे सत्ययुग के लोग धर्म का पालन करके प्राप्त करते थे।
 
मार्गशीर्ष अमावस्या की पौराणिक कथा का मूल संदेश यह है कि यह तिथि देवता या श्रीकृष्ण और पितर दोनों को समर्पित है। इस दिन श्रद्धापूर्वक स्नान, दान, तर्पण और पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।ALSO READ: Margashirsha Amavasya 2025: आपका जीवन बदल देंगे मार्गशीर्ष अमावस्या के ये 8 कार्य, हर समस्या का होगा समाधान

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

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