शिव महापुराण कथा के अनुसार मनुष्य को पूजा पूरे मन व प्रेम से करना चाहिए। पूजा के लिए जरूरी नहीं है कि आप बहुत समय व अधिक से अधिक सामग्री चढ़ाएं।
जब तक आपका मन अच्छा नहीं होगा, तब तक आप पूजा मन लगाकर नहीं कर सकते। भगवान की पूजा हमेशा करना चाहिए। घर के मंदिर में शिवालय अवश्य रखना चाहिए, अन्यथा भगवान की पूजा अधूरी मानी जाती है। मनुष्य को जीवन में ॐ नमः शिवाय, गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र व राम नाम मंत्र का जाप करते रहना चाहिए।
महिलाओं को हमेशा ॐ नमः शिवाय की जगह ॐ शिवाय नमः बोलना चाहिए। शिव की आराधना, साधना, उपासना करके मनुष्य अपने पापों एवं संतापों से इसी मानव जन्म में मुक्ति पा सकता है।
अन्य देवी-देवताओं के पूजन, आराधना, उपासना में विविध प्रकार की सामग्रियों की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन भगवान शिव को मात्र एक लोटा जल चढ़ाकर, बेलपत्र, मंत्र बोलकर ही प्रसन्न किया जा सकता है। ऐसा करने से मनुष्य को अपने पाप कर्मों से सहज मुक्ति प्राप्त हो जाती है।
भगवान शिव हम सभी के ईष्ट हैं। वे सभी की पीड़ा, दर्द को समझते हैं। श्रावण मास में उनका ध्यान करने से तथा अभिषेक में अपनी श्रद्धा व निष्ठा समर्पित करने से हर भक्त की मनोकामना निश्चित रूप से पूर्ण करते हैं।