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New Year Celebration Ideas: इंदौर के इन 5 मंदिरों से करें नए साल की शुरुआत

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New Year Celebration Ideas : अक्सर लोग नए साल की शुरुआत खूबसूरत ढंग से करना पसंद करते हैं। कई लोग नए साल में नए संकल्प के साथ अपनी आदतों को बदलते हैं। साथ ही कई लोग नए साल की छुट्टियों में घूमना भी पसंद करते हैं।

इंदौर में घूमने के लिए जगह कम नहीं हैं और यहां के धार्मिक स्थल भी आपके मूड को तरोताजा करने में सक्षम हैं। भक्त अपने धार्मिक महत्व के लिए इंदौर के इन मंदिरों के दर्शन करना पसंद करते हैं। आइए जानते हैं इन 5 प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में....
 
1. अन्नपूर्णा मंदिर : वास्तुकला की दृष्टि से अन्नपूर्णा मंदिर बहुत खूबसूरत है। यह इंदौर का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है जो अन्न की देवी मां अन्नपूर्णा को समर्पित है। मां अन्नपूर्णा के अलावा यहां भगवान शिव, हनुमान, काल भैरव और 7 वेदों की प्रतिमा भी मौजूद है। इस मंदिर का द्वार बहुत खूबसूरत और आकर्षित है।
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2. रणजीत हनुमान मंदिर : अन्नपूर्णा मंदिर से कुछ ही दूरी पर फूटी कोठी पर मौजूद रणजीत हनुमान मंदिर है। प्रतिदिन सेकड़ों श्रदालु यहां दर्शन करने के लिए आते हैं। रणजीत हनुमान मंदिर विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां हनुमानजी ढाल और तलवार लिए विराजमान हैं। आपको बता दें कि इस मंदिर की स्थापना सवा सौ साल पहले की गई थी। 
 
3. बड़ा गणपति मंदिर : बड़ा गणपति मंदिर इंदौर का सबसे प्रचलित मंदिर में से एक है। इस मंदिर का नाम बड़ा गणपति इसलिए है क्योंकि  यहां सुख और समृद्धि के देवता भगवान गणेश की दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति है, जिसकी ऊंचाई लगभग 25 फीट है। इस नए साल आप अपने दिन की शुरुआत इस मंदिर से कर सकते हैं।
 
4. बिजासन टेकरी : बिजासन माता का एक विनम्र निवास बिजासन टेकरी है। माता बीजासेन को मां दुर्गा का रूप माना जाता है। इंदौर के एयरपोर्ट से कुछ ही दूरी पर यह मंदिर स्थापित है। यह मंदिर 1920 में निर्मित किया गया था और लगभग 800 फीट ऊंची पहाड़ी पर यह मंदिर स्थित है। इस टेकरी से आपको शहर का खूबसूरत नजारा देखने को मिलेगा। 
 
5. खजराना गणेश मंदिर : इंदौर का खजराना मंदिर बहुत प्रचलित है। ऐसा माना जाता है कि यहां प्रार्थना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। यहां स्थापित भगवान श्री गणेश की मूर्ति को अत्याचारी मुगल शासक औरंगजेब से बचाने के लिए एक कुएं में छिपा दिया गया था।1735 में मूर्ति वापिस मिलने के बाद इस मंदिर का निर्माण रानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा किया गया था।

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