Vrindavan dham : श्रीराधा की नगरी वृंदावन की 10 रोचक बातें
वृंदावन नगरी के बारे में 10 खास जानकारी, विदेशी क्यों करना चाहते हैं यहां?
10 interesting facts about Vrindavan: वृंदावन श्रीकृष्ण की प्रेम लीला का धाम है और यह श्रीराधा का क्षेत्र है। वर्तमान में यह क्षेत्र श्रीकृष्ण धर्म के प्रचार और प्रसार का प्रमुख केंद्र बन गया है। यहां पर विदेशी भक्तों की संख्या बढ़ती जा रही है। हर कोई चाहता है कि वह वृंदावन में रहे। आओ जानते हैं वृंदावन के बारे में 10 रोचक बातें।
1. बांकेबिहारी मंदिर : श्रीकृष्ण जब थोड़े बड़े हुए तो वृंदावन उनका प्रमुख लीला स्थली बन गया। उन्होंने यहां रास रचा और दुनिया को प्रेम का पाठ पढ़ाया। यहां भगवान बांकेबिहारी मंदिर में कृष्ण जन्मोत्सव की धूम रहती है। इसके अलावा यहां पर इस्कॉन मंदिर में भी भव्य रूप से जन्मोत्सव मनाया जाता है।
2. चंद्रोदय मंदिर : वृंदावन में बन रहा है दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर। यह दुनिया की सबसे ऊंची इमारत होगी। यह मंदिर है, वृंदावन में बनने वाला चंद्रोदय मंदिर, जो कि दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा और मुकेश अंबानी के एंटीलिया से भी ऊंचा होगा। बताया जा रहा है कि इस्कॉन संस्था द्वारा वृंदावन में बनाया जाने वाले 70 मंजिला है। इस चंद्रोदय मंदिर की ऊंचाई 210 मीटर होगी और यह एक पिरामिड के आकार में बनाया जाएगा। इसे बनाने की तैयारियां 2006 से की जा रही है। यह इमारत लगभग 55 मीटर गहरी होगी और इसका आधार 12 मीटर तक ऊंचा होगा, जबकि दुबई स्थित दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा की गहराई मात्र 50 मीटर है। अत: चंद्रोदय मंदिर की गहराई बुर्ज खलीफा से भी 5 मीटर अधिक है।
3. निधिवन : कहते हैं कि आज भी समय-समय पर प्रभु वृंदावन के निधिवन और मथुवन में रास भी करते हैं। वहां के मंदिरों में भ्रमण भी करते हैं। कहते हैं कि श्रीकृष्ण वृंदावन के निधिवन में रासलीला करने आते हैं और उनके साथ श्रीराधा सहित उनकी अष्ट सखियां भी आती हैं। लोगों का मानना है कि यहाँ हर रात आरती के बाद श्री कृष्ण, राधा और उनकी गोपियाँ रास रचाते हैं। आस-पास रहने वाले कई लोगों का कहना है कि उन्हें कई बार घुंघरूओं की आवाज़ सुनाई देती है, लेकिन कोई इस रास-लीला को अपनी आँखों से देखने की हिम्मत नहीं रखता, और देख ले तो फिर दुनिया में कुछ और देखने-समझने के लायक नहीं रहता। यानी अंधा हो जाता है। इसलिए अब निधिवन के दरवाज़े शाम 7 बजे बंद कर दिया जाते हैं।
4. रंग महल : वृंदाव में रंग महल है। प्रतिदिन मंदिर के अंदर स्थित रंगमहल में कृष्ण−राधा का पलंग लगा दिया जाता है और पूरा रंगमहल सजा दिया जाता है तथा राधाजी का श्रृंगार सामान रख कर मंदिर के दरवाजे बन्द कर दिए जाते हैं। जब प्रातः दरवाजे खुलते हैं तो सारा सामान अस्त−व्यस्त मिलता है। मान्यता है कि रात्रि में राधा−कृष्ण आकर इस सामान का उपयोग करते हैं। हालांकि शाम के बाद यह मंदिर बंद हो जाता है और यह भी कहा जाता है कि अगर यहां कोई छुपकर रासलीला देखता है तो वह अगले दिन पागल हो जाता है।
5. हरिदास भक्त : वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर से कई कथाएं जुड़ी हुई है। कहते हैं कि श्री हरिदासजी बांके बिहारी के सबसे बड़े भक्त थे जिनकी भक्ति और चमत्कारों की कई कथाएं प्रचलित हैं। भगवान की भक्त में डूबकर हरिदास जी जब भी गाने बैठते तो प्रभु में ही लीन हो जाते। इनकी भक्ति और गायन से रिझकर भगवान श्री कृष्ण इनके सामने आ जाते।
6. अपने आप बंद होता और खुलता मंदिर : वृन्दावन में श्रीकृष्ण का एक ऐसा मंदिर है जो अपने आप ही खुलता और बंद हो जाता है।
7. वृंदावन और तुलसी का रहस्य : वृंदा तुलसी को कहा जाता है। यहां तुलसी के पौधे अधिक हैं, इसलिए इसे वृंदावन नाम दिया गया। यानी वृंदा (तुलसी) का वन। कहते हैं कि यहां तुलसी के दो पौधे एक साथ लगे हैं। रात के समय जब राधा और कृष्ण रास रचाते हैं तो यही तुलसी के पौधे गोपियां बनकर उनके साथ नाचते हैं। इन तुलसी का एक भी पत्ता यहां से कोई नहीं ले जाता है। जिसने भी गुपचुप यह कार्य किया वह भारी आपदा का शिकार हो जाता है।
8. अजीब हैं पेड़ : मंदिर के परिसर में उगने वाले पेड़ और निधिवन में उगने वाले पेड़ भी अजीब है। यहां के पेड़ की शखाएं नीचे की ओर बढ़ती है। जहां आमतौर पर पेड़ ऊपर की तरफ बढ़ते हैं वहीं निधिवन में मौजूद पेड़ों की ऊंचाई बेहद कम हैं और इनकी शाखाएं इसकी जड़ों की ओर बढ़ती है। यहाँ पेड़ भी आपस में गुथे हुए हैं जो इस जगह को देखने में भी रहस्यमयी बनाती है।
9. मंदिर में करते हैं शयन : मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण रोज रात को खुद शयन करने आते हैं। उनके सोने के लिए मंदिर के पुजारी रोज पलंग लगाते हैं और जिस पर साफ-सुधरी गादी एवं बिस्तर के ऊपर चादर बिछाते हैं। लेकिन कहते हैं कि जब मंदिर खुलता है तो उस बिस्तर की हालत देखकर सभी अचंभित हो जाते हैं, क्योंकि उसे देखकर लगता है कि यहां कोई सोया था। सबसे आश्चर्य की बात यह भी कि यहां प्रतिदिन माखन मिश्री का प्रसाद चढ़ाया जाता है और जो बच जाता है उसे मंदिर में ही रख दिया जाता है, लेकिन सुबह तक वह प्रसाद भी समाप्त हो जाता है। आखिर कौन खा जाता होगा वह प्रसाद? रात में यहां कोई भी नहीं रुकता है। स्थानीय लोगों के अनुसार ऐसा बरसों से होता आ रहा है। कुछ लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं और कुछ लोग इसे श्रीकृष्ण का चमत्कार।
10. घरों की खिड़कियां कर देते हैं बंद : यहां के आसपास के अधिकतर घरों में खिड़कियां नहीं हैं और जिनके घरों में हैं वे शाम की आरती के बाद खिड़कियां इस डर से बंद कर देते हैं कि कोई मंदिर की दिशा में देखे नहीं, अन्यथा वह अंधा हो जाएगा।