आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि में जलदेवी का पूजन होता है। कहते हैं यह माता दुर्गा का ही एक रूप है। कई राज्यों में जलदेवी की पूजा की जाती है। कई जगहों पर जल देवी के मंदिर भी है। मध्यप्रदेश में भी जलदेवी की पूजा होती है।
1. राजस्थान के राजसमंद के दरीबा के सांसेरा गांव में जलदेवी माता का मंदिर है। राजस्थान ही के टोडारायसिंह से 9 किलोमीटर दूर टोडा-झिराना रोड के ग्राम बावड़ी में जलदेवी दुर्गा माता का मंदिर है।
2. ग्राम बावड़ी का जलदेवी मंदिर काफी प्रसिद्ध है। यहां नवरात्रि में माता का मेला भी लगता है।
3. टोडारायसिंह उपखंड के ग्राम बावड़ी में मातेश्वरी भगवती, जलदेवी दुर्गा के मंदिर का इतिहास भी काफी पुराना है। कहते हैं कि करीब 125 साल पहले यहां पर अकाल पड़ा था और देवी प्रकोप के चलते महामारी भी फैल गई थी, जिसके चलते कई लोग मर गए थे जब इसी गांव के उमा सागर जलाशय पर एक महात्मा समाधिस्थ होकर देवी की प्रार्थना में लग गए थे। उनकी प्रार्थना सुनकर प्रसन्न होकर भगवती दुर्गा ने साक्षात स्वरूप का अर्द्ध-रात्रि में उसे दर्शन दिया।
4. उस समय देवी ने प्रकट होकर वाणी की कि उसकी मूर्ति इस ग्राम के दक्षिण की तरफ कुएं में वर्षों से जलमग्न है, जो कि इस जलाशय के पास है। इस गांव की दुर्दशा मूर्ति की दुर्दशा के कारण हो रही है। उसे जलाशय से निकालकर स्थापित करो।
5. यह वाणी सुनकर उस महात्मा ने तत्कालीन जागीरदार के सहयोग से भगवती देवी की मूर्ति को जलाशय से निकाला तथा विधिपूर्वक यज्ञ करवाकर चबूतरे पर स्थापित किया। बाद में यहां पर मंदिर का निर्माण किया गया।
6. इस मंदिर में पुराने काल के चांदी के सिक्के भी जड़े हुए हैं। यहां एक अक्षय दीपक भी स्थापित किया गया, जो निर्विघ्न एवं अनवरत जलता रहता है।
7. देवी के दर्शन करने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं और मन्नत मांगते हैं। यहां हर समय माता के भजन और कीर्तन चलते रहते हैं।
8. यहां प्रति वर्ष चैत्र शुक्ला पूर्णमासी को विराट मेला भी लगता है और इसके अलावा सभी नवरात्रियों में माता की धूम धाम से पूजा होती है।