Nagpanchami 2022: 2 अगस्त 2022 मंगलवार को यानी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नागपंचमी का पर्व मनाया जाएगा। देशभर में यूं तो सैंकड़ों प्राचीन नाग मंदिर है। जैसे नागचंद्रेश्वर मंदिर उज्जैन, कर्कोटक मंदिर उज्जैन, वासुकि नाग मंदिर प्रयागराज, तक्षकेश्वर नाथ प्रयागराज, मन्नारशाला नाग मंदिर, केरल, कर्कोटक नाग मंदिर भीमताल, नाग मंदिर, पटनीटॉप जम्मू कश्मीर, नागपुर इंदौर का नाग मंदिर, भीलट देव का मंदिर- बड़वानी आदि। लेकिन उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के नाग धाम में धौलीनाग का मंदिर बहुत खास माना जाता है।
1. धौलीनाग का मंदिर उत्तराखंड के बागेशवर जिले में स्थित है जो सबसे प्राचीन माना जाता है। यह मंदिर विजयपुर के पास एक पहाड़ी पर स्थित है।
2. प्रत्येक नागपंचमी को मंदिर में मेला लगता है।
3. धवल नाग (धौलीनाग) को कालिया नाग का सबसे ज्येष्ठ पुत्र माना जाता है। यहां कालिया नाग ने शिव की तपस्या की थी।
4. कुमाऊं क्षेत्र में नागों के अन्य भी कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। जैसे छखाता का कर्कोटक नाग मंदिर, दानपुर का वासुकि नाग मंदिर, सालम के नागदेव तथा पद्मगीर मंदिर, महार का शेषनाग मंदिर तथा अठगुली-पुंगराऊं के बेड़ीनाग, कालीनाग, फेणीनाग, पिंगलनाग मंदिर पिथौरगढ़, खरहरीनाग तथा अठगुलीनाग अन्य प्रसिद्ध मंदिर हैं। देवभूमि उत्तराखंड में नागों के 108 मंदिर है।
5. स्कंद पुराण के मानस खण्ड के 83वें अध्याय में धौलीनाग की महिमा का वर्णन है।
6. प्राचीनकाल में टिहरी गढ़वाल में रहने वाले नागवंशी राजाओं और नागाओं के वंशज आज भी नाग देवता की पूजा करते हैं। प्राचीन समय से इस क्षेत्र में बहुत से सिद्ध नाग मंदिर स्थापित हैं।