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History of odisha: ओडिशा राज्य के खास पर्यटन स्थल और संक्षिप्त इतिहास

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अनिरुद्ध जोशी

, मंगलवार, 25 जून 2024 (14:51 IST)
उड़ीसा या ओडिशा की वैश्विक पहचान 2 प्रसिद्ध मंदिरों से है। पहला जगन्नाथ का मंदिर और दूसरा कोणार्क का सूर्य मंदिर। इसके अलावा गोवर्धन पीठ और विमला शक्तिपीठ के कारण भी यह प्रसिद्ध है। यहां पर कई सुंदर समुद्री तट, प्राकृतिक स्थल और तीर्थ स्थल मौजूद है। यहां की भाषा उड़िया है। आओ जानते हैं भारत के प्राचीन राज्य ओडिशा के खास पर्यटन स्थल की जानकारी एवं इतिहास।ALSO READ: दर्शन के लिए खुला कोणार्क सूर्य मंदिर, जानिए 7 खास बातें
 
उड़ीसा का इतिहास : ओडिशा उत्तर में झारखण्ड, उत्तर-पूर्व में पश्चिम बंगाल, दक्षिण में आंध्रप्रदेश और पश्चिम में छत्तीसगढ़ से घिरा हुआ है तथा पूर्व में बंगाल की खाड़ी है। छत्तीसगढ़ और उड़ीसा की सबसे बड़ी नदी महानदी का प्राचीन नाम चित्रोत्पला था। इसके अलावा इसे महानंदा और नीलोत्पला के नाम से भी जाना जाता है। उड़िया का लोकनृत्य बहुत ही प्रसिद्ध है जिसे उड़िया नृत्य कहते हैं। यहां के आदिवासी और जनजाति के लोगों के बीच मादल व बांसुरी का संगीत प्रचलित है। बोइता बंदना (नौकाओं की पूजा) का त्योहार यहां प्रसिद्ध है।
 
ओड़िसा का सबसे प्राचीन उल्लेख महाभारत में मिलता है। यहां के एक राजा ने कुरुक्षेत्र के युद्ध में दोनों पक्षों के लिए भोजन की व्यवस्था संभाली थी। कलिंग के राजा श्रुतायुध युद्ध में कौरवों के शिविर में शामिल हो गए और भीमसेन ने अपने दो वीर पुत्रों: भानुमान और केतुमन के साथ युद्ध में उन्हें मार डाला। पुराणों के अनुसार महाभारत युद्ध के बाद 32 क्षेत्रीय राजाओं ने कलिंग पर शासन किया, जो महापद्मनंद के समय तक था, जो 362 ईसा पूर्व में मगध के सिंहासन पर बैठे थे। अंतिम नंद राजा के खिलाफ चंद्रगुप्त के विद्रोह के समय, कलिंग ने खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया और एक विदेशी शक्ति के रूप में अपनी ताकत बनाने की कोशिश की। तब सम्राट अशोक ने कलिंग के साथ भयानक युद्ध लड़ा जिसमें न हार हुई और जीत। हालांकि अशोक ने कई क्षेत्रों को अपने साम्राज्य में मिला लिया ता और आगे विजय का विचार त्याग दिया। पहली शताब्दी ईसा पूर्व के आरंभ में चेदि सरदार महामेघवन के अधीन कलिंग स्वतंत्र हो गया था। महामेघवाहन खारवेल का शासन लंबे समय तक चलता रहा। ALSO READ: History of Jagannath Temple : जगन्नाथ मंदिर का संपूर्ण इतिहास
 
जगन्नाथ मंदिर : उड़ीसा के पुरी नगर में विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर है। यह वैष्णव संप्रदाय का प्रमुख स्थान और हिंदुओं के चार धामों में से एक है। जगन्नाथ को पुरुषोत्तम क्षेत्र मानते हैं। यहां की शक्ति 'विमला' तथा भैरव 'जगन्नाथ पुरुषोत्तम' हैं। 
 
विमला शक्तिपीठ : भारतीय प्रदेश उड़ीसा के विराज में उत्कल स्थित जगह पर माता की नाभि गिरी थी। इसकी शक्ति है विमला और शिव को जगन्नाथ कहते हैं। कुछ विद्वान इसको 'जगन्नाथपुरी' में भगवान श्री जगन्नाथजी के मंदिर के प्रांगण में स्थित भैरव 'जगन्नाथ' को पीठ मानते हैं।
 
कोणार्क सूर्य मंदिर : 1984 में यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत की सूची में शामिल विश्व प्रसिद्ध कोणार्क सूर्य मंदिर को देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं। सूर्य देवता के रथ के आकार में बनाया गया यह मंदिर भारत की मध्यकालीन वास्तुकला, विशिष्ट आकार और शिल्पकला का अनोखा उदाहरण है। 
 
गोवर्धन पीठ : गोवर्धन मठ भारत के पूर्वी भाग में उड़ीसा राज्य के पुरी नगर में स्थित है। गोवर्धन मठ के अंतर्गत दीक्षा प्राप्त करने वाले सन्यासियों के नाम के बाद 'आरण्य' सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है जिससे उन्हें उक्त संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है। इस मठ का महावाक्य है 'प्रज्ञानं ब्रह्म' तथा इस मठ के अंतर्गत 'ऋग्वेद' को रखा गया है। इस मठ के प्रथम मठाधीश आद्य शंकराचार्य के प्रथम शिष्य पद्मपाद हुए।
 
भीतरकणिका राष्ट्रीय पार्क : ओडिसा के केंद्रपाड़ा में स्थित भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान ओडिसा में 672 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है। यह लुप्तप्राय खारे पानी के मगरमच्छों का प्रजनन स्थल है। पार्क में 1500 से ज्यादा मगरमच्छ हैं। भितरकनिका किंगफिशर पक्षियों की आठ किस्मों सहित हजारों पक्षियों का भी अधिवास है।
 
अन्य प्रमुख स्थल : भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर, नंदनकानन, चिलका झील, धौली बौद्ध मंदिर, उदयगिरि-खंडगिरि की प्राचीन गुफाएं, रत्नगिरि, ललितगिरि और उदयगिरि के बौद्ध भित्तिचित्र और गुफाएं, सप्तसज्या का मनोरम पहाडी दृश्य, सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान तथा बाघ परियोजना, हीराकुंड बांध, दुदुमा जलप्रपात, उषाकोठी वन्य जीव अभयारण्य, गोपानपुर समुद्री तट, हरिशंकर, नृसिंहनाथ, तारातारिणी, तप्तापानी, भितरकणिका, भीमकुंड कपिलाश आदि स्थान प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा उड़ीसा में कई छोटे-बड़े वन्यजीव अभ्यारण्य है। यंहा के वन्यजीव अभ्यारण्यों में भीतरकर्निका, चिल्का, किरपाडा, गहिरमाथा, नंदन कानन सिमलीपाल, अम्बापानी आदि प्रमुख है।
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उड़ीसा के समुद्री तट : ( Orissa coast or beach )
1. पुरी (Puri Beach) का समुद्री तट जिसे सुंदर पुरी तट कहते हैं। यह बहुत ही मनोरम और सुंदर है। 
 
2.गोपालपुर (Gopalpur Beach) समुद्री तट भुवनेश्वर से 170 किलोमीटर और बेरहपुर से 15 किमी दूर है।
 
3. चंडीपुर (Chandipur Beach) समुद्री तट बेरासोर से 16 किमी दूर है।
 
4. कोणार्क (konark) समुद्र के किनार बसा कोणार्क पुरी से 35 किमी. और भुवनेश्वर से 65 किमी. की दूरी पर है।
 
5. बालेश्‍वर या बालासोर उड़ीसा का तटीय जिला है। इसके अलावा कटक, अंगुल आदि बंदरगाह भी प्रसिद्ध है।
 
उड़ीसा में लभग 500 किमी लंबी समुद्रतट रेखा है। जिसके कारण यहां बहुत से खूबसूरत समुद्र तट है। यहां के प्रमुख समुद्र तटों में पुरी, गोपालपुर, चंडीपुर, चंद्रभंगा, आर्यापल्ली, पाराद्वीप आदि है। 'गोपालपुर समुद्र तट' उड़ीसा के प्रमुख बंदरगाहों में से एक है। एक समय यह ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रमुख बंदरगाह हुआ करता था। परंतु ब्रिटिशों के भारत छोड़कर जाने के बाद गोपालपुर उड़ीसा का एक शांत व सुरम्य समुद्र तट बन गया।

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