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Mandir Mystery : इस मंदिर के सामने ट्रेन की स्पीड हो जाती है अपने आप ही कम

हमें फॉलो करें Mandir Mystery : इस मंदिर के सामने ट्रेन की स्पीड हो जाती है अपने आप ही कम
, सोमवार, 22 नवंबर 2021 (11:49 IST)
Hanuman Mandir Bolai
Hanuman Temple Bolai : नमस्कार! 'वेबदुनिया' के मंदिर मिस्ट्री चैनल में आपका स्वागत है। इस चैनल में हम आपको मंदिरों के अनसुलझे रहस्यों के बारे में बताते रहे हैं। इस बार हम एक ऐसे रहस्यमयी मंदिर के बारे में बताएंगे जिसके रहस्य को जानकार आपका भी वहां जाने का मन करेगा। यह मंदिर मध्यप्रदेश के शाजापुर के बोलाई गांव में स्थित है, जिसे ‘सिद्धवीर खेड़ापति हनुमान मंदिर’ कहा जाता है। आओ जानते हैं कि क्या है इस मंदिर का रहस्य?
 
अद्भुत रहस्य- भविष्य बताते हैं हनुमानजी
 
ट्रेन की स्पीड हो जाती है कम : यह हनुमान मंदिर रतलाम-भोपाल रेलवे ट्रैक के बीच बोलाई स्टेशन से करीब 1 किमी दूर है। कहा जाता है कि मंदिर के सामने से निकनले से पहले ट्रेन की स्पीड कम हो जाती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्षों पहले रेलवे ट्रैक पर दो मालगाड़ी आपस में टकरा गईं थी। बाद में दोनों गाड़ियों के पायलट ने बताया था कि उन्हें घटना के कुछ देर पहले ही इस अनहोनी का पूर्वाभाष हो गया था। उन्हें ऐसा लगा था मानों कोई उन्हें ट्रेन की रफ्तार कम करने के लिए कह रहा हो। लेकिन उन्होंने रफ्तार को कम नहीं किया और इस कारण टक्कर हो गई। तभी से यहां से गुजरने वाली ट्रेनों की रफ्तार कम की जाने लगी। कहा जाता है कि यदि कोई ड्राइवर इसे नजरअंदाज करता है तो ट्रेन की स्पीड अपने आप ही कम हो जाती है। 
 
भविष्य बताते हैं हनुमानजी : स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां जो भी आता है उसे उसके जीवन में क्या घटेगा उसका पूर्वाभाष हो जाता है। कहते हैं कि मंदिर में विराजमान हनुमानजी भक्तों को उनका अच्‍छा या बुरा भविष्य बता देते हैं जिसके चलते भक्त सतर्क हो जाते हैं। कई लोगों का दावा है कि उन्हें अपने भविष्‍य का अहसास हुआ है। इस अजीब रहस्य के कारण इस मंदिर और यहां के हनुमानजी के प्रति लोगों की आस्था बढ़ गई है और यहां पर दूर दूर से लोग हनुमानजी के दर्शन करने आते हैं। 
 
300 साल पुराना है मंदिर : कहते हैं कि यह मंदिर करीब 300 साल पुराना है। यहां पर हनुमानजी भगवान गणेशजी के साथ विराजमान हैं। कहते हैं कि मंदिर का निर्माण ठा. देवीसिंह ने करवाया था। यहां वर्ष 1959 में संत कमलनयन त्यागी ने अपने गृहस्थ जीवन को त्याग कर उक्त स्थान को अपनी तपोभूमि बनाया और यहां पर उन्होंने 24 वर्षों तक कड़ी तपस्या कर सिद्धियां प्राप्त की थी। इसलिए यह मंदिर बहुत ही सिद्ध मंदिर माना जाता है।
 
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