राम जन्मभूमि आंदोलन में गूंजने वाला सबसे अहम नारा रहा- राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे। 1990 के दौर में यह नारा देश के गांव गांव में गूंज गया था। बच्चा बच्चा ये नारा लगाता था। आखिर यह नारा किसने दिया था?
कहते हैं कि यह कारसेवकों के किसी शिविर में यह नारा पहली बार बाबा सत्यनारायण मौर्य ने दिया था। यह नारा बाद में हर रामभक्त की जुबान पर चढ़ गया था। 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या के कार्यक्रम में सबसे पहले मंच संचालन उन्होंने ही किया। राम जन्मभूमि आंदोलन को लेकर उनके गाने की कैसेट भी तब खूब चली थी।
कहते हैं कि उज्जैन में 1986 में बजरंग दल के शिविर में पहली बार बाबा सत्यनारायण मौर्य ने यह नारा दिया था। इस शिविर से निकलकर यह नारा संपूर्ण देश में आग की तरह फैल गया और यह बाद में रामजन्मभूमि आंदोलन का एक अहम नारा बन गया था।
कहते हैं कि 23 दिसंबर, 1949 की सुबह अयोध्या और आसपास के इलाकों में ये खबर आग की तरह फैल गई थी कि राम जन्मभूमि पर रामलला फिर से प्रकट हुए हैं। वहां पर रात को खुद से रामलला प्रकट हो गए हैं। दावा किया गया कि चबूतरे पर जो रामलला की मूर्ति रहती थी, वो वहां से गायब होकर अपने आप गुंबद के ठीक नीचे यानि कि गर्भगृह पहुंच गई है और ये सब अपने आप हुआ है। इस खबर के सामने आने के बाद हजारों की संख्या में लोग रामलला के दर्शन करने पहुंचने लगे।
इसके बाद 6 दिसंबर से ही रामलला एक टेंट में रह रहे थे। वर्तमान में राम मंदिर निर्माण हेतु उन्हें वहां से हटाकर दूसरी जगह शिफ्ट किया गया है। रामलला जिस टेंट में रहते थे, उसे पिछले 27 साल में सिर्फ दो बार बदला गया था। यहां सुबह-शाम उनकी आरती होती है, गो लगता है और श्रृंगार होता है।
रामलला, यह भगवान का बालरूप है। जब 27 साल 3 महीने और 20 दिन बाद (25 मार्च 2020) भगवान राम को टेंट से अस्थायी मंदिर में ले जाया गया हैं जहां पहुंचकर प्रधानमंत्री ने उनके समक्ष साष्टांग दंडवत करके दर्शन किए और इसके बाद राम जन्मभूमि पर भूमि पूजन किया।