Amarnath Cave Shivling Mythology: अमरनाथ यात्रा आषाढ़ माह की एकादशी से प्रारंभ होती है जो श्रावण मास की पूर्णिमा को समाप्त होती है। इस बार यात्रा 1 जुलाई से प्रारंभ हुई है जो अब 31 अगस्त तक चलेगी। परंतु क्या आपको पता है कि अमरनाथ गुफा की तरह ही और भी हैं शिवजी की गुफाएं जहां पर बनता है अमरनाथ के बर्फानी शिवलिंग की तरह ही हिमलिंग। यह भी दोनों तरह के शिवलिंग में क्या है फर्क?
छोटा अमरनाथ गुफा:-
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इसे छोटा अमरनाथ और टिंबरसैंण महादेव भी कहते हैं।
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यह स्थान उत्तराखंड के जोशी मठ के पास स्थित है।
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जोशीमठ से 87 किलोमीटर दूर सड़क मार्ग की यात्रा में मलारी, गमशाली होते हुए नीती गांव पहुंचें और फिर नीती गांव से मात्र 1.5 किलोमीटर की पैदल यात्रा करके टिम्मरसैंण महादेव के दर्शन किए जा सकते हैं।
आदि अमरनाथ गुफा:-
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यहां पर भी अमरनाथ गुफा में स्थित बर्फ के शिवलिंग की तर्ज पर प्राकृतिक रूप से शिवलिंग बनता है।
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कहते हैं कि बर्फबारी ठीक हो तो शिवलिंग की ऊंचाई करीब 5 फीट तक भी पहुंच जाती है।
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नीति घाटी इनर लाइन के अधीन होने के कारण यहां पर तीर्थयात्रियों के जाने पर पहले कई बंदिशें थीं।
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सरकार 2018 से इस यात्रा को शुरू करने की तैयारियां कर रही है।
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उत्तराखंड में स्थिति यहां की यात्रा को एक बार शेड्यूल समझना होगा।
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पाकिस्तानी क्षेत्र से तीन ओर से घिरी सीमावर्ती पुंछ घाटी के उत्तरी भाग में पुंछ (पुलस्तय) कस्बे से 23 किमी की दूरी पर स्थित बुड्ढा अमरनाथ का मंदिर की कथा भी अरनाथ की कथा से जुड़ी हुई है।
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मान्यता है कि इस मंदिर के दर्शनों के बिना अमरनाथ की कथा ही नहीं बल्कि अमरनाथ यात्रा भी अधूरी है। कहा जाता है कि भगवान शिव द्वारा सुनाई जाने वाली अमरता की कथा की शुरुआत भी यहीं से हुई थी।
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मंदिर के एक ओर लोरन दरिया भी बहता है जिसे पुलस्तया दरिया भी कहा जाता है, जिसका पानी बर्फ से भी अधिक ठंडक लिए रहता है।
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जिस प्रकार कश्मीर में स्थित अमरनाथ गुफा में श्रावण पूर्णिमा के दिन जब रक्षाबंधन का त्योहार होता है प्रत्येक वर्ष मेला लगता है, ठीक उसी प्रकार इस पवित्र स्थल पर भी उसी दिन उसी प्रकार का एक विशाल मेला लगता है।
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अमरनाथ यात्रा की ही भांति यहां भी यात्रा की शुरुआत होती है और उसी प्रकार छड़ी मुबारक रवाना की जाती है। त्रयोदशी के दिन पुंछ कस्बे के दशनामी अखाड़े से इस धर्मस्थल के लिए छड़ी मुबारक की यात्रा आरंभ होती है।
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बताया जाता है कि जिस चकमक पत्थर से शिवलिंग बना हुआ है, उसकी ऊंचाई करीब साढ़े पांच फुट है मगर उसका कुछ ही भाग ऊपर दिखाई देता है।
श्रीखंड महादेव की गुफा:-
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इसी क्रम में एक और स्थान है श्रीखंड महादेव का स्थान।
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अमरनाथ यात्रा में जहां लोगों को करीब 14000 फीट की चढ़ाई करनी पड़ती है तो श्रीखंड महादेव के दर्शन के लिए 18570 फीट ऊंचाई पर चढ़ना होता है।
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यहां की यात्रा जुलाई में प्रारंभ होती है जिसे श्रीखंड महादेव ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया जाता है।
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स्थानीय मान्यता अनुसार यहीं पर भगवान विष्णु ने शिवजी से वरदान प्राप्त भस्मासुर को नृत्य के लिए राजी किया था।
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नृत्य करते करते उसने अपना हाथ अपने ही सिर पर रख लिया और वह भस्म हो गया था। मान्यता है कि इसी कारण आज भी यहां की मिट्टी और पानी दूर से ही लाल दिखाई देते हैं।
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इस प्रकार उत्तराखंड के रुद्र प्रयाग में कोटेश्वर गुफा है, जो अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। 15-16 फीट लंबी और दो-छह फीट ऊंची इस प्राकृतिक गुफा में कई शिवलिंग है।
विदेशों में अमरनाथ की तरह की गुफाएं:
ऑस्ट्रिया : योरपीय देश ऑस्ट्रिया के सल्जबर्ग के पास वरफेन की दुनिया की सबसे बड़ी गुफाओं में से एक गुफा में बाबा बर्फानी जैसी एक आकृति बनती है। इस गुफा को 1879 में खोजा गया था।
स्लोवाकिया : योरपीय देश स्लोवाकिया के दोबसीना स्थित दोबसिंस्का गुफा में भी बाबा बर्फानी जैसी प्राकृतिक हिमलिंग बनती है। साल 1870 में माइनिंग इंजीनियर ई. रुफीनी द्वारा खोजी गई इस गुफा को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में शामिल किया गया है।
स्विट्जरलैंड: योरपीय देश स्विट्जरलैंड के मिटेलालालिन शहर में स्थित फेयरी ग्लेशियर के नाम से विख्यात क्षेत्र की गुफा में भी अमरनाथ जैसा ही एक हिमलिंग बनता है। यहां बर्फ से और भी कई तरह की प्राकृतिक आकृतियां बनती हैं।
अलास्का : उत्तर अमेरिका का देश अलास्का में सालभर बर्फ देखी जा सकती है। यहां के शहर मेंडेनहाल में छोटे-बड़े कई तरह के शिवलिंग देखने को मिलते हैं। साथ ही यहां पर सांप, मछलियां जैसी आकृतियां भी देखने को मिलती हैं।
अमरनाथ गुफा का महत्व:
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अमरनाथ की गुफा की तरह हिमालय के क्षेत्र में और भी कई गुफाएं हैं परंतु उनका महत्व कम भी है क्योंकि वहां के शिवलिंग और अमरनाथ के शिवलिंग में बहुत फर्क है।
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इस गुफा में भगवान शंकर ने कई वर्षों तक तपस्या की थी और यहीं पर उन्होंने माता पार्वती को अमरकथा सुनाई थी, अर्थात अमर होने के प्रवचन दिए थे।
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अमरनाथ गुफा के शिवलिंग को 'अमरेश्वर' कहते हैं। पौराणिक मान्यता अनुसार इस गुफा को सबसे पहले भृगु ऋषि ने खोजा था। तब से ही यह स्थान शिव आराधना और यात्रा का केंद्र है।
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गुफा की परिधि लगभग 150 फुट है और इसमें ऊपर से सेंटर में बर्फ के पानी की बूंदें टपकती रहती हैं। टपकने वाली हिम बूंदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है। हालांकि बूंदें तो और भी गुफाओं में टपकती है लेकिन वहां यह चमत्कार नहीं होता।
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बर्फ की बूंदों से बनने वाला यह हिमलिंग चंद्र कलाओं के साथ थोड़ा-थोड़ा करके 15 दिन तक बढ़ता रहता है और चन्द्रमा के घटने के साथ ही घटना शुरू होकर अंत में लुप्त हो जाता है।
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आश्चर्य की बात यही है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है, जबकि अन्य गुफाओं में टपकने वाली बूंदों से कच्ची बर्फ बनती है जो हाथ में लेते ही भुरभुरा जाती है। मूल अमरनाथ शिवलिंग से कई फुट दूर गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग-अलग हिमखंड बन जाते हैं।