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Char dham yatra: गंगोत्री और यमुनोत्री के बारे में 5 रोचक बातें

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WD Feature Desk

, बुधवार, 30 अप्रैल 2025 (15:46 IST)
उत्तराखंड में चार धाम की यात्रा अक्षय तृतीया यानी 30 अप्रैल 2025 बुधवार से प्रारंभ हो गई है। यात्रा की शुरुआत यमुनोत्री से होती है। यमुनोत्री के बाद गंगोत्री, फिर केदारनाथ और अंत में बद्रीनाथ के दर्शन करते हैं। 30 अप्रैल को यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट खुलेंगे। केदारनाथ धाम के कपट 02 मई 2025 को सुबह 07 बजे खुलेंगे बद्रीनाथ के कपाट 04 मई 2025 को खुलेंगे। 30 अप्रैल को यमुनोत्री और गंगोत्री के दर्शन कर सकते हैं। 2 मई को केदारनाथ के, 4 मई को बद्रीनाथ के और 25 मई को हेमकुंड साहिब के दर्शन कर सकते हैं।
 
यमुनोत्री:
1. सबसे पहले यमुनोत्री की यात्रा की जाती है। यमुनोत्री को यमुना नदी का उद्गम स्थल माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन यहां के कपाट खुलते हैं। 
2. यमुना नदी का उद्गम कालिंद नामक पर्वत से हुआ है। कालिंद पर्वत से नदी का उद्गम होने की वजह से ही लोग इसे कालिंदी भी कहते हैं। 
3. यमनोत्री में यमुनाजी का मंदिर है। ऋषिकेश से 220 किमी का सड़क मार्ग तय करने के बाद फूलचट्टी नामक स्‍थान से यमनोत्री की चढ़ाई प्रारंभ होती है। फूलचट्टी तक श्रद्धालु अपनी इच्‍छानुसार बस या निजी वाहन से पहुंच सकते हैं।
4. यमुना नदी गंगा के साथ साथ ही आगे बढ़ती हुई प्रयाग में गंगा के साथ मिल जाती है।
5. यमुना नदी भारत के उत्तरी भाग में गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
 
गंगोत्री:
1. उत्तराखंड के उत्तरकाशी में गंगोत्री नामक वह स्थान है जिसे गंगा नदी का उद्गम स्थल मानते हैं। 
2. यहां गंगा नदी ने धरती को छुआ था। ऋषि भागीरथ के प्रयास से गंगा पहले शिवजी की जटाओं में विराजमान हुई और फिर आगे गंगोत्री से मुख्य धारा बनाकर आगे बढ़ी।
3. किंतु उनका उद्गम गंगोत्री से 19 किलोमीटर और ऊपर श्रीमुख नामक पर्वत से है। वहां गोमुख के आकार का एक कुंड है जिसमें से गंगा की धारा फूटी है। कहते हैं कि शिवजी ने अपनी जटाओं से इस गौमुख में गंगा को छोड़ दिया था।
4. गंगोत्री में माता गंगा का एक पवित्र और प्राचीन मंदिर भी बना हुआ है। यमुनोत्री में यमनुनाजी के दर्शन करने के बाद आप यहां पहुंचे।
5. गंगा का मंदिर तथा सूर्य, विष्णु और ब्रह्मकुण्ड आदि पवित्र स्थल यहीं पर हैं।
 
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री चार धाम हैं. ये धाम साल के 6 महीने खुले रहते हैं' बाद में बारिश और बर्फबारी की वजह से इन्हें नवंबर के आसपास बंद कर दिया जाता है।

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