कविता : हे भारत मां, तुझे करोड़ों हाथों से वंदन है...
- उमा शिव जागवंशी
जिसकी गोदी में
गौतम-गांधी का जीवित दर्शन है
हे भारत मां तेरा अभिनंदन है।
तुझे करोड़ों हाथों का यह वंदन है।
तन-मन-धन तुझपे वारे, यह शीश झुकाए रहते हैं।
हम तेरे ही बालक माता, यह बड़े गर्व से कहते हैं।
इस माटी से जब तिलक करूं तो लगती ये चंदन है।
हे भारत मां तेरा अभिनंदन है।
मधुवन पे अपने गीत लिखूं, ये ही आशीष पलेगा।
मां की ममता को पाकर ही, ये जीवन-पुष्प खिलेगा।
ये अखिल विश्व तो स्वार्थों का, पूरा-पूरा मंचन है।
हे भारत मां तेरा अभिनंदन है।
तुझे करोड़ों हाथों का यह वंदन है।
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