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रियो ओलंपिक 2016 : पीरियड्‍स में महिलाएं कैसे करें बेहतर प्रदर्शन?

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हमें फॉलो करें रियो ओलंपिक 2016
, मंगलवार, 16 अगस्त 2016 (15:55 IST)
चीन की तैराक, फू यूआनहुई ने पूल के बाहर और भीतर खबरें बनाईं। रविवार को, 20-वर्षीय यूआनहुई और उनकी टीम ने महिला 4×100 मीटर मेडली रिले में चौथा स्थान प्राप्त किया। 
 
रेस के बाद, फू काफी दर्द में दिखीं। एक रिपोर्टर ने उनसे पूछा कि क्या उन्हें पेट में दर्द है तो फू का जवाब था, "मेरे पीरियड कल ही आए हैं। मैं थोड़ी कमजोरी महसूस कर रही हूं, परंतु यह कोई बहाना नहीं है।" 
 
पीरियड आना एक सामान्य शारीरिक प्रोसेस है। प्रजनन की क्षमता वाली उम्र  हर महिला को इससे हर महीने गुजरना होता है। बावजूद इसके, इस पर दबी जुबान से ही बात की जाती है। 
 
महिला खिलाड़ी बहुत ही कम इस दर्द और डिस्कंफर्ट को खेल के दौरान बयां करती हैं। वे इस 'पर्सनल इश्यू' की तरफ किसी का भी ध्यान नहीं खींचना चाहतीं। 
 
पिछले साल, ब्रिटिश टेनिस खिलाड़ी हैदर वॉटसन ने अपने खराब प्रदर्शन के लिए 'गर्ल थिंग' (लड़कियों की समस्या) को दोषी बताया तो इस पर उनकी चौतरफा आलोचना हुई। उनकी साथी महिला खिलाड़ी तक को आश्चर्य हो गया कि इस तरह खुलेतौर पर कैसे कोई इस पर बोल सकता है। 
 
कई महिला खिलाड़ी बर्थ कंट्रोल पिल्स लेकर पीरियड को आगे के लिए टालती हैं। महिला खिलाड़ियों पर किए गए अध्ययन बताते हैं कि पीरियड खिलाडियों की ट्रेनिंग और पर्फोमेंस पर असर डालते हैं। किसी भी सामान्य इंसान की तरह, चैंपियंस को भी कपड़े गंदे होने का डर सताता है। 
 
भारतीय खिलाड़ी अंजु बॉबी जॉर्ज ने भी एक वेबसाइट से बात करते हुए कहा था कि दो लंबी कूद प्रतियोगिताओं में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा क्योंकि उनके पीरियड आ चुके थे। इन प्रतियोगिताओं के बहुत बाद उन्होंने इस बारे में बोला। 
 
इस साल चीनी तैराक फू ने इसे 'गर्ल थिंग' के बदले 'पीरियड' कहकर एक नई शुरुआत की है। हो सकता है अगली बार पीरियड को असली दर्द समझा जाए। 

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