ओस की बूंद आकाश से गिरकर,
फूलों और पत्तियों पर ठहर जाएगी।
रातभर रोया है चांद किसी की याद में,
यह कहानी धरा और जगत को सुनाएगी।
कुछ प्रेम पत्र सही पता न मिल पाने पर,
वापस लौट आएंगे।
विरह की आग में तपता हुआ बसंत,
प्रेम पत्रों को तकिये के सिरहाने रख आंसू बहाएगा।
और आंसुओं की बूंदों पर कैनवस पर,
लिख दी होगी कोई रूमानी कविता।
जिसने कहा होगा कोई संदेशा कोई मनुहार,
जो नहीं पहुंच पाया होगा तुम्हारे पास।
और वह निराश गीत-गज़ल के शब्द,
लौट आए होंगे करके मनुहार।
चांद थककर बादलों की छांव में सो जाएगा,
और मैं लिखता रहूंगा कविता यूं ही,