संयुक्त राष्ट्र। भारत ने आगाह किया है कि अगर यूक्रेन संघर्ष के मद्देनजर बातचीत और कूटनीति के सार्थक मार्ग की ओर तुरंत नहीं बढ़ा गया तो वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसके गंभीर परिणाम होंगे तथा खाद्य सुरक्षा और भुखमरी मिटाने के प्रयास बेपटरी हो जाएंगे।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन में प्रथम सचिव स्नेहा दुबे ने सोमवार को कहा, कोविड-19 महामारी के वैश्विक प्रभाव और यूक्रेन सहित अन्य संघर्षों से आम लोगों के जीवन पर खासकर विकासशील देशों में प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और ऊर्जा एवं जरूरी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के साथ ही वैश्विक रसद आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान पैदा हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद और विश्व खाद्य सुरक्षा समिति द्वारा आयोजित एक उच्चस्तरीय विशेष कार्यक्रम में दुबे ने कहा कि वैश्विक दक्षिण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। वैश्विक दक्षिण का इस्तेमाल अक्सर लातिनी अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ओशिनिया जैसे पिछड़े क्षेत्रों के लिए किया जाता है।
दुबे ने कहा कि यदि संघर्ष के मद्देनजर तुरंत संवाद और कूटनीति से रास्ता नहीं बनता है तो वैश्विक अर्थव्यवस्था में गंभीर परिणाम होंगे और उससे वैश्विक दक्षिण में खाद्य सुरक्षा और 2030 तक भुखमरी को मिटाने के प्रयास पटरी से उतर जाएंगे। उन्होंने कहा कि वास्तव में इसके उन बहुआयामी प्रभावों पर विचार करने का समय आ गया है जो वैश्विक दक्षिण खासकर संवदेनशील कमजोर विकासशील देशों पर पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि कम आय वाले कई समाज बढ़ती कीमतों और खाद्यान्न तक पहुंच में कठिनाई की दोहरी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, यहां तक कि भारत जैसे देशों में, जिनके पास पर्याप्त भंडारण है, वहां खाद्य कीमतों में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। यह स्पष्ट है कि जमाखोरी हो रही है।
दुबे ने जोर दिया कि इन चुनौतियों का हल वैश्विक सामूहिक कार्रवाई में निहित है। उन्होंने आश्वासन दिया कि भारत वैश्विक खाद्य सुरक्षा को आगे बढ़ाने में अपनी उचित भूमिका निभाएगा।(भाषा)