संयुक्त राष्ट्र। रूस और यूक्रेन के बीच बीते एक महीने से जारी जंग के बीच संयुक्त राष्ट्र महासभा में बहुमत से एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें रूस को यूक्रेन में पैदा हुए मानवीय संकट के लिए जिम्मेदार ठहराया गया। इस प्रस्ताव के पक्ष में 140 वोट पड़े, जबकि पांच देशों ने रूस का साथ देते हुए इसके खिलाफ मतदान किया। वहीं भारत सहित 38 देश ऐसे रहे, जो इस प्रस्ताव पर वोटिंग से दूर रहे।
युद्ध के कारण यूक्रेन में उत्पन्न मानवीय संकट की स्थिति को लेकर पूर्वी यूरोपीय देश यूक्रेन और उसके सहयोगी देशों द्वारा लाए गए प्रस्ताव के दौरान भारत गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अनुपस्थित रहा। भारत ने कहा कि ध्यान शत्रुता समाप्त करने और तत्काल मानवीय सहायता पर केंद्रित किया जाना चाहिए और मसौदा इन चुनौतियों पर नयी दिल्ली के अपेक्षित ध्यान को पूरी तरह से प्रतिबिंबित नहीं करता।
193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यूक्रेन और उसके पश्चिमी सहयोगियों द्वारा मसौदा प्रस्ताव यूक्रेन पर आक्रमण के मानवीय परिणाम' को पारित किया, जिसमें 140 देशों ने इसके पक्ष में मतदान किया, पांच ने इसके खिलाफ मतदान किया जबकि 38 मतदान से दूर रहे। भारत प्रस्ताव से दूर रहा।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने प्रस्ताव पारित होने के बाद वोट की व्याख्या में कहा कि हम दृढ़ता से मानते हैं कि संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों को संघर्ष को कम करने में योगदान देना चाहिए, बातचीत और कूटनीति को बढ़ावा देने के लिए शत्रुता को तत्काल समाप्त करने की सुविधा प्रदान करनी चाहिए और लोगों की पीड़ा को तत्काल समाप्त करने के लिए पक्षों को एकसाथ लाना चाहिए।
तिरुमूर्ति ने भारत के तत्काल युद्धविराम के लिए आह्वान को दोहराते हुए कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता को रेखांकित करना जारी रखे हुए हैं। भारत प्रस्ताव से दूर रहा क्योंकि अब हमें जो चाहिए वह शत्रुता की समाप्ति और तत्काल मानवीय सहायता पर ध्यान केंद्रित करना है। मसौदा प्रस्ताव इन चुनौतियों पर हमारे अपेक्षित ध्यान को पूरी तरह से प्रतिबिंबित नहीं करता है।
तिरुमूर्ति ने इस बात को रेखांकित किया कि भारत मौजूदा स्थिति पर गहराई से चिंतित है जो शत्रुता की शुरुआत से तेजी से बिगड़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि संघर्ष के परिणामस्वरूप नागरिकों की मौत हुई है और लगभग एक करोड़ लोग या तो आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं या पड़ोसी देशों में चले गए हैं। उन्होंने कहा कि हमने लगातार शत्रुता को समाप्त करने का आह्वान किया है।
उन्होंने चिंता के साथ कहा कि मानवीय स्थिति लगातार खराब हो रही है, खासकर शहरी क्षेत्रों में संघर्ष वाले इलाकों में। उन्होंने कहा कि इस संघर्ष के लंबे समय तक चलने से महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग असमान रूप से प्रभावित हैं।
तिरुमूर्ति ने इस बात पर जोर दिया कि प्रभावित आबादी की मानवीय जरूरतों को पूरा करने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र और उसकी एजेंसियों की पहल का समर्थन करता है और आशा व्यक्त करता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय यूक्रेन के लोगों की मानवीय जरूरतों के लिए सकारात्मक प्रतिक्रिया देना जारी रखेगा, जिसमें महासचिव की अपील और यूक्रेन क्षेत्रीय शरणार्थी प्रतिक्रिया योजना को उदार समर्थन प्रदान करना शामिल है।
उन्होंने रेखांकित किया कि यह महत्वपूर्ण है कि मानवीय कार्रवाई हमेशा मानवीय सहायता के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित हो, जो मानवता, तटस्थता, निष्पक्षता और स्वतंत्रता है। उन्होंने कहा, इन उपायों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।
तिरुमूर्ति ने महासभा को बताया कि भारत अब तक दी गई मानवीय सहायता के नौ अलग-अलग खेप के तौर पर यूक्रेन और उसके पड़ोसी देशों को दवाओं और अन्य आवश्यक राहत सामग्री सहित 90 टन से अधिक मानवीय आपूर्ति पहले ही भेज चुका है।
उन्होंने कहा कि भारत आने वाले दिनों में और आपूर्ति भेजने की प्रक्रिया में है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने 90 उड़ानों से जुड़े ऑपरेशन गंगा के माध्यम से यूक्रेन से लगभग 22,500 भारतीयों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की है।
उन्होंने कहा कि हमने उस प्रक्रिया में 18 अन्य देशों के नागरिकों की भी सहायता की है। हम यूक्रेन और उसके पड़ोसी देशों के अधिकारियों द्वारा प्रदान की गई सुविधा और उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने की गहराई से सराहना करते हैं।
'यूक्रेन में संघर्ष से उत्पन्न मानवीय स्थिति' पर यूएनजीए में दक्षिण अफ्रीका द्वारा एक प्रतिद्वंद्वी प्रस्ताव भी प्रस्तावित किया गया। इसमें रूस का कोई उल्लेख नहीं किया और संघर्ष में "सभी पक्षों" द्वारा शत्रुता को तत्काल समाप्त करने का आह्वान किया गया।
यूक्रेन की आपत्तियों के बाद, सभा ने यह तय करने के लिए मतदान किया कि क्या दक्षिण अफ्रीका के नेतृत्व वाले मसौदा प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में कार्रवाई की जानी चाहिए। 67 सदस्य देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया, 50 ने इसके पक्ष में जबकि 36 इससे अनुपस्थित रहे। चीन द्वारा समर्थित प्रस्ताव को मतदान के लिए नहीं रखा गया और उस मसौदे पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। भारत ने इस मतदान से भी परहेज किया।
बुधवार को भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) 12 अन्य सदस्यों के साथ यूक्रेन में मानवीय संकट पर रूस द्वारा एक प्रस्ताव लाए जाने पर अनुपस्थित रहा था। यूएनएससी में प्रस्ताव पारित नहीं हो सका क्योंकि उसे इसके लिए आवश्यक नौ मत नहीं मिल सके। केवल रूस और चीन ने इसके पक्ष में मतदान किया।