Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

बाबाओं के चमचे, कर रहे धर्म और देश का सत्यानाश...

हमें फॉलो करें बाबाओं के चमचे, कर रहे धर्म और देश का सत्यानाश...

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

, शुक्रवार, 25 अगस्त 2017 (14:24 IST)
हिन्दू संत बनना बहुत कठिन है, क्योंकि संत संप्रदाय में दीक्षित होने के लिए कई तरह के ध्यान, तप और योग की क्रियाओं से व्यक्ति को गुजरना होता है तब ही उसे शैव, शाक्त या वैष्णव साधु-संत मत में प्रवेश मिलता है। इस कठिनाई, अकर्मण्यता और व्यापारवाद के चलते ही कई लोग स्वयंभू साधु और संत कुकुरमुत्तों की तरह पैदा हो चले हैं। इन्हीं नकली साधु्ओं के कारण हिन्दू समाज लगातार बदनाम और भ्रमित भी होता रहा है, हालांकि इनमें से कमतर ही सच्चे संत होते हैं।
 
हिंदू संत धारा एक व्यवस्थित धारा है, जो प्रजापतियों के काल से चली आ रही है। समय समय पर इस धारा को नए सिरे से संगठित किया गया। वैष्णव धारा जहां समाज में प्रचलित संस्कारों  (16 संस्कार आदि), तीर्थ, मंदिर, यज्ञ को आदि को संभालती है, वहीं शैव धारा संन्यासी और साधुओं की धारा है जो मोक्ष, आश्रम, धर्म और दर्शन के ज्ञान के लिए उत्तरदायी होती है। लेकिन इन स्वयंभू संतों का क्या करें जो प्रचार माध्यमों के चलते संत बन जाते हैं।
 
हमारे ऋषि-मुनियों ने चार आश्रम की स्थापना की- ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास। ये आश्रम इसलिए स्थापित किए ताकि गृहस्थ और संन्यासी में फर्क किया जा सके, लेकिन आजकल गृहस्थ ही खुद को संन्यासी या संत मानने लगे हैं। वे सभी सुख-सुविधाओं के बीच रहकर उन्हें भोगते हुए खुद को संत या संन्यासी बताते हैं। लोग ऐसे तथाकथित संतों से दीक्षा लेकर उन्हें अपना गुरु मानते हैं। ये ऐसे गुरु घंटाल हैं कि लोगों को देते कुछ नहीं बल्कि लोगों के पास जो है उसे भी छीन लेते हैं।

हेरा-फेरी के दौर में कोई कैसे किसी भी संत पर विश्वास करके उसका परम भक्त बन जाता है, यह आश्चर्य का ही विषय है। ऐसा नहीं है कि अनपढ़ या गरीब लोग ही इन तथाकथित संतों के भक्त बनकर इनके चरणों में साष्‍टांग पड़े रहते हैं, बल्कि बहुत ज्यादा पढ़े-लिखे लोग भी इनके आगे गिड़गिड़ाते नजर आते हैं।
 
इसमें लोगों का दोष नहीं, दरअसल व्यक्ति अपने कर्मों से इतना दुखी हो चला है कि उसे समझ में नहीं आता कि किधर जाएं, जहां उसका दुख-दर्द मिट जाए। व्यक्ति धर्म के मार्ग से भटक गया है तभी तो ठग लोग बाजार में उतर आए हैं और लोगों के दुख-दर्द का शोषण कर रहे हैं। यह सिर्फ हिन्दू धर्म की विडंबना नहीं है, सभी धर्मों में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जिन्होंने धर्म को धंधा बनाकर रख दिया है। वे भोली-भाली जनता को परमेश्वर, प्रलय, ग्रह-नक्षत्र और शैतान से डराकर लुटते हैं।
 
सवाल यह उठता है कि क्या इन्हें रोकने के लिए हिन्दू संत समाज के संत कोई कदम क्यों नहीं उठाते? भारत सरकार क्यों नहीं इनके लिए कोई नीति निर्धारण तय करती? अंधविश्वास संबंधी कोई कानून क्यों नहीं पूरे राष्ट्र में लागू किया जा सकता?
 
#
इन तथाकथित धर्म के ठेकेदारों के पहवाने और व्यवहार को देखकर दुख होता है कि इन्होंने धर्म का सत्यानाश कर दिया है। कोई इन्हें रोकने वाला नहीं है, क्योंकि हम लोकतंत्र में जी रहे हैं। इनकी अजीब तरह की हरकतों को देखकर लगता है कि कौन विश्वास करेगा धर्म पर? ये फूहड़ तरीके से नाचते हैं, अजीब तरीके के वस्त्र पहनते हैं और अब तो वे फिल्में भी बनाने लगे हैं।
 
हिन्दू जनता भी भ्रमित है। इसे भोली-भाली जनता कहना उचित नहीं होगा। यह जनता जानते-बूझते हुए भी किसी न किसी बाबा के चक्कर काटती रहती है, क्योंकि इस जनता को धर्म का ज्ञान नहीं है। जीवन में कभी गीता नहीं पढ़ी, वेद नहीं पढ़े। कभी राम-कृष्ण पर भरोसा नहीं किया, तो निश्चित ही जीवन एक भटकाव ही रहेगा। मरने के बाद भी भटकाव।
 
यह तथाकथित भोली-भाली, लेकिन समझदार जनता हर किसी को अपना गुरु मानकर उससे दीक्षा लेकर उसका बड़ा-सा फोटो घर में लगाकर उसकी पूजा करती है। भगवान के सारे फोटो तो किसी कोने-कुचाले में वार-त्योहर पर ही साफ होते होंगे। यह जनता अपने तथाकथित गुरु के नाम या फोटोजड़ित लॉकेट गले में पहनती है। यह धर्म का अपमान और पतन ही माना जाएगा।
 
संभवत: ओशो रजनीश के चेलों ने सबसे पहले गले में लॉकेट पहनना शुरू किया था। अब इसकी लंबी लिस्ट है। श्रीश्री रविशंकर के चेले, आसाराम बापू के चेले, सत्य सांई बाबा के चेले, बाबा राम रहीम के चले के अलावा हजारों गुरु घंटाल हैं और उनके चेले तो उनसे भी महान हैं। ये चेले कथित रूप से महान गुरु से जुड़कर खुद में भी महानता का बोध पाले बैठे हैं। किस संत का शिष्य बनना या किस संत से दीक्षा लेना चाहिए यह इन तथा‍कथित चेलों को नहीं मालूम। यह सब हिन्दू धर्म के नियमों के विरुद्ध और हिन्दू धर्म के संहारक ही माने जाएंगे। 
 
#
धार्मिक टीवी चैनलों पर आने वाले तथाकथित साधु, ज्योतिष या भ्रमित करने वाली पुस्तकें लोगों को अनेक मंत्र, देवता आदि के बारे में बताते और डराते रहते हैं किंतु ये सभी भटकाव के रास्ते हैं। भ्रम-द्वंद्व, डर में जीने वाला या भटका हुआ व्यक्ति कभी भी कहीं भी नहीं पहुंच पाता। वह कभी किसी मंत्र या देवता का सहारा लेता है तो कभी किसी दूसरे मंत्र या देवता का। यह नए तरह के अधर्मी हैं।
 
पिछले कई वर्षों में हिन्दुत्व को लेकर व्यावसायिक संतों, ज्योतिषियों और धर्म के तथाकथित संगठनों और राजनीतिज्ञों ने हिन्दू धर्म के लोगों को पूरी तरह से गफलत में डालने का जाने-अनजाने भरपूर प्रयास किया, जो आज भी जारी है। हिन्दू धर्म की मनमानी व्याख्या और मनमाने नीति-नियमों के चलते खुद को व्यक्ति एक चौराहे पर खड़ा पाता है। समझ में नहीं आता कि इधर जाऊं या उधर।
 
भ्रमित समाज लक्ष्यहीन हो जाता है। लक्ष्यहीन समाज में मनमाने तरीके से परंपरा का जन्म और विकास होता है, जो कि होता आया है। मनमाने मंदिर बनते हैं, मनमाने देवता जन्म लेते हैं और पूजे जाते हैं। मनमानी पूजा पद्धति, त्योहार, चालीसाएं, प्रार्थनाएं विकसित होती हैं। व्यक्ति पूजा का प्रचलन जोरों से पनपता है। भगवान को छोड़कर संत, कथावाचक या पोंगा-पंडितों को पूजने का प्रचलन बढ़ता है।
 
वर्तमान दौर में अधिकतर नकली और ढोंगी संतों और कथावाचकों की फौज खड़ी हो गई है। धर्म को पूरी तरह अब व्यापार में बदल दिया गया है। धार्मिक चैनलों को देखकर जरा भी अध्यात्म की अनुभूति नहीं होती। सभी पोंगा-पंडित अपने अपने प्रॉडक्ट लेकर आ जाते हैं। अजीब-अजीब तरह के तर्क देते हैं और धर्म की मनमानी व्याखाएं करते हैं।
 
तरह-तरह के लक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र बेचे जा रहे हैं। कैसा भी दुख हो उसे दूर करने के उपाय बताए जा रहे हैं। हिन्दू धर्म के नाम पर तरह-तरह के अंधविश्‍वास फैलाए जा रहे हैं और लोगों को हर तरफ से डराकर उनके मन में द्वंद्व और दुविधा डालकर उनसे मोटी रकम ऐंठी जा रही है। इनके प्रचार-प्रसार के चलते जनता पहले की अपेक्षा अब ज्यादा अंधविश्वासी हो चली है। समाज भयभीत रहने लगा है।

#
लाखों ज्योतिषियों की फौज है, जो मनगढ़ंत तरीके से भविष्य बताते हैं। अधिकतर हिंदुओं का जीवन तो ग्रह-नक्षत्र ही तय करते हैं- भगवान नहीं, ईश्वर नहीं। ग्रह-नक्षत्रों से डरने वालों की एक अलग ही जमात है, ये क्या भक्ति करेगी? ये नए तरीके से समाज को दूषित करेंगे।

फर्जी बाबाओं की भरमार : देश-विदेश में बहुत सारे फर्जी बाबा हैं, जिनकी समय-समय पर पोल खुली है। बाबाओं की भरमार के बीच कुछ बड़े नाम हैं- जैसे तांत्रिक चंद्रास्वामी, नित्यानंद, भीमानंद, निर्मल बाबा आदि ये वो नाम हैं, जो किसी न किसी कारण विवादों में रहे हैं। इनमें से कुछ पर तो गंभीर आरोप सिद्ध हुए हैं और बहुत से ऐसे बाबा हैं, जिन पर धर्म को धंधा बनाने का आरोप लगता रहता है, जैसे कोई योग बेच रहा है तो कोई जड़ी-बुटी। कोई ध्यान बेच रहा है तो कोई प्रवचन।
 
बहुत से बाबाओं पर तो यौन दुराचार और देह व्यापार करने का आरोप भी लगाया गया है, जैसे- भगवताचार्य राजेंद्र, नित्यानंद, पायलट बाबा, इच्छाधारी बाबा, भीमानंद उर्फ राजीव रंजन द्विवेदी उर्फ शिवमूरत बाबा, बंगाली बाबा ऊर्फ तांत्रिक बाबा आदि। सेक्स रैकेट चलाने वाले साधुओं के नामों की तो लंबी फेहरिस्त है। कथित बाबाओं के सेक्स स्कैंडल आए दिन उजागर होते रहते हैं। 
 
दुनिया भर में बहुत से ईसाई चर्च यौन दुराचार करने के मामले में अव्वल हैं। पिछले कई वर्षों से रोमन कैथलिक धर्मगुरुओं पर आरोप लगते रहे हैं। हाल ही में अमेरिका में कैथलिक ईसाई पादरियों के खिलाफ यौन दुराचार के सात सौ नए आरोप लगाए गए हैं। 

#
बाबाओं के चमचे : चार किताब पढ़कर आजकल कोई भी संत, ज्योतिष, प्रीस्ट बनकर लोगों को ठगने लगा है। लोग भी इनकी बातों को बिलकुल 'वेद वाक्य' या 'ब्रह्म वाक्य' मानकर पूजने लगते हैं। इन संतों से वे ही लोग प्रभावित होते हैं, जिन्होंने कभी खुद के धर्म को खुद आगे रहकर नहीं पढ़ा या जिनका मानसिक स्तर ही इतना है कि हर किसी से वे बहुत जल्द ही प्रभावित हो जाते हैं अर्थात जिनमें तार्किक ‍बुद्धि नहीं है। 
 
भगवान को छोड़कर आजकल लोग अपने-अपने बाबाओं के लॉकेट को गले में लटकाकर घूमते रहते हैं। उसे लटकाकर वे क्या घोषित करना चाहते हैं, यह तो हम नहीं जानते। हो सकता है कि वे किसी कथित महान हस्ती से जुड़कर खुद को भी महान-बुद्धिमान घोषित करने की जुगत में हो। इन तथाकथित बाबाओं के चमचों के घर में जाकर देखोगे तो पता चलेगा कि भगवान के फोटो की बजाय इनके बाबा का फोटो मिलेगा और वह भी इतना बड़ा कि दीवार भी छोटी पड़ने लगे।
 
किसी भी धर्म के संतों का काम होता है समाज को सही दिशा दिखाना, उन्हें शैतान के मार्ग से हटाकर ईश्वर के मार्ग पर लाना, लेकिन आजकल के साधु तो खुद ही शैतान की तरफ से हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

श्री गणेश का विशेष कामना अनुसार कैसे करें पूजन