Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

ये है साईं बाबा का असली जन्म स्थान

हमें फॉलो करें ये है साईं बाबा का असली जन्म स्थान

अनिरुद्ध जोशी

महाराष्ट्र के पाथरी (पातरी) गांव में साईं बाबा का जन्म 28 सितंबर 1835 को हुआ था। कुछ लोग मानते हैं कि उनका जन्म 27 सितंबर 1838 को तत्कालीन आंध्रप्रदेश के पथरी गांव में हुआ था और उनकी मृत्यु 28 सितंबर 1918 को शिर्डी में हुई। साईं बाबा के बारे में सबसे सटिक जानकारी सत्य साईं बाबा द्वारा दी गई है जिन्हें बाबा का अवतार ही माना जाता है। उन्होंने उनका जन्म स्थान पाथरी गांव ही बताया है, तो वही सर्वमान्य है।


sai baba
शशिकांत शांताराम गडकरी की किताब 'सद्‍गुरु सांई दर्शन' (एक बैरागी की स्मरण गाथा) अनुसार सांई के जन्म स्थान पाथरी (पातरी) पर एक मंदिर बना है। मंदिर के अंदर सांई की आकर्षक मूर्ति रखी हुई है। यह बाबा का निवास स्थान है, जहां पुरानी वस्तुएं जैसे बर्तन, घट्टी और देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी हुई हैं। मंदिर के व्यवस्थापकों के अनुसार यह साईंबाबा का जन्म स्थान है।


कुछ मानते हैं कि साईं को 1852 में पहली बार शिरडी में देखा गया। फिर वे वहां से चले गए थे इसके बाद चार साल बाद लौटे। ज्यादातर जगह पर लिखा है कि साईं बाबा 1854 में पहली बार शिर्डी में देखे गए, तब वे किशोर अवस्था के थे। यदि उनकी उम्र उस वक्त 16 वर्ष थी तो इस मान से 1838 में उनका जन्म हुआ होगा। खुद को सांई का अवतार मानने वाले सत्य साईंबाबा ने बाबा का जन्म 27 सितंबर 1830 को महाराष्ट्र के पाथरी (पातरी) गांव में बताया है। यह सत्य साई की बात माने तो शिरडी में साईं के आगमन के समय उनकी उम्र 23 से 25 के बीच रही होगी। सत्य साईंबाबा का अनुमान सही लगता है क्योंकि उनकी जीवन यात्रा पर विचार करें तो उनका इसी उम्र में शिर्डी में प्रवेश होना चाहिए।


ऐसा विश्वास किया जाता है कि महाराष्ट्र के परभणी जिले के पाथरी गांव में सांई बाबा का जन्म हुआ था और सेल्यु में बाबा के गुरु वैकुंशा रहते थे। यह हिस्सा हैदराबाद निजामशाही का एक भाग था। भाषा के आधार पर प्रांत रचना के चलते यह हिस्सा महाराष्ट्र में आ गया तो अब इसे महाराष्ट्र का हिस्सा माना जाता है।


महाभारत काल में पांडवों ने यहां अश्वमेध यज्ञ किया था, तब अर्जुन अपनी फौज लेकर यहां उपस्थित थे। अर्जुन को पार्थ भी कहा जाता है। यही पार्थ बिगड़कर पाथरी हो गया। अब पातरी व पात्री कहा जाता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi