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ये 6 तरह के विनाशकारी शाप फलीभूत हो जाते हैं अपने आप

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आचार्य श्रीराम शर्मा कहते हैं कि मनुष्य भी परमात्मा की तरह का एक छोटा संकल्प है, जिस प्रकार परमात्मा सारे ब्रह्माण्ड को अपने संकल्प में घेरे रहता है, उसी प्रकार एक व्यक्ति एक निश्चित क्षेत्र के प्राणों को अपने संकल्प द्वारा एक तरह के अणुओं में परिवर्तित कर सकता है। यह संकल्प यदि विध्वंसक हो तो उसकी प्रतिक्रिया भी विध्वंस की हो जाती है और यदि सर्जक संकल्प है, तो वह बुरी परिस्थितियों और वस्तुओं को भी अच्छी परिस्थितियों में बदल सकता है।
आशीर्वाद और शाप को दुआ एवं बद्दुआ भी कहते हैं। आपके रह तरह के बोल, वचन या आपके विचार शाप या आशीर्वद ही है। याद रखें 10 आशीर्वादों को मात्र एक शाप नष्ट कर देता है। हो सकता है कि कई लोग खुद के बारे में या दूसरों के बारे में नाकारात्मक सोच रखते हो। यह भी हो सकता है कि गुस्सा आने पर कुछ लोग अपने ही घर परिवार के लोगों या दोस्तों के बारे में गलत सोचते या बोलते रहते हैं। लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम रहता है कि इसका बुरा असर खुद पर भी होने वाला है।
 
प्राचीनकाल में ऋषि मुनि किसी व्यक्ति या देवताओं को शाप या आशीर्वाद दे देते थे जो तत्काल ही फलीभूत हो जाता था फिर वे शाप से मुक्ति का समाधान भी बता देते थे। उसी तरह आज भी आशीर्वाद और शाप फलीभूत होते हैं। हालांकि वर्तमान में ऐसे आशीर्वाद फलीभूत नहीं होते कि जाओ तुम अजर अमर रहोगे या जाओ आज से तुम पशु योनि में जीओगे। सामान्य मनुष्य के ऐसे शाप या आशीर्वाद फलीभूत नहीं होते। वर्तमान में तो सामान्य जीवन से जुड़े आशीर्वाद या शाप भी फलीभूत होते है। किन लोगों के शाप और आशीर्वाद फलीभूत होते हैं यह शोध का विषय हो सकता है। हालांकि एक समय विशेष में दिए गए शाप या आशीर्वाद निश्चित ही फलीभूत हो जाते हैं।

विशेष समय : आठ प्रहर के किसी भी संधिकाल में कहे गए वचन, विचार या खयाल सत्य होने की क्षमता रखते हैं। उक्त संधिकाल में से प्रात: और संध्या की संधि तो सबसे महत्वपूर्ण होती है।
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यही कारण है कि उक्त काल में व्यक्ति को भजन, कीर्तन, पूजा, पाठ या प्रार्थना करने की सलाह दी जाती है। क्योंकि उक्त समय में प्रकृति बहुत ही संवेदनशील रहती है और आपके वचन और विचार को ग्रहण करके वह उसे सत्य करने में लग जाती है। यह आलेख धर्म के कुछ प्रवचनों को सुनकर खिला गया है।

पहला विनाशकारी शाप : भूलकर भी आप अपने या दूसरों के बच्चों को गालियां न दें, ना ही कोसें। अक्सर माता-पिता बच्चों को उनकी आज्ञा न मानने पर, पढ़ाई न पढ़ने पर कहते हैं कि तू न ही होता तो अच्छा था, या घर से चला जा, मर ही जाए तो अच्छा था। पता नहीं कहां से नक्षत्री पैदा हो गया है। नहीं पढ़ेगा तो बर्बाद हो जाएगा।
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उपरोक्त कई तरह की बातें लोग बच्चों को कहते रहते हैं और ऐसा एक बार नहीं कई बार कहते हैं। बच्चों का मन कच्चा होता है उनके मन में ऐसी बातें घर कर जाती है और अंतत: वे उसी अनुसार जीने लगते हैं जैसा कि आपने शाप दिया। इसका प्रभाव यह होता है कि बच्चा खुद को अपराधी महसूस करता तो करता ही है और वह यह भी सोचने लगता है कि अच्‍छा होता कि मैं पैदा ही नहीं होता या दूसरो के घर पैदा होता। इससे धीरे धीरे सचमुच ही उसका पढ़ना, लिखना बंद होने लगता है। ऐसे बच्चे आत्महत्या कर लेते हैं या कि बड़े होकर अपने माता पिता से विद्रोह कर चले जाते हैं।

दूसरा विनाशकारी शाप : कुलहंता उसे भी कहते हैं तो अपने कुल के नाश के बारे में सोचता रहता है। घर में थोड़े से भी वाद विवाद पर सभी मर जाएं तो अच्छा है- ऐसे वचन बोलता रहता है। महाभारत में ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं जिसमें वे किसी न किसी के नाश के बारे में ही सोचते रहते हैं। अंतत: सभी का नाश हो जाता है। सर्वनाश हो जाता है।
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नाश हो जाने या विनाश हो जाने की कल्पना करना, इसके बारे में सोचना या अपने ही घर परिवार के विनाश का शाप देना बहुत ही विनाशकारी साबित होता है। यह अंत: तरह ऐसी परिस्थितियां निर्मित करता है जिसका बारे में व्यक्ति ने पहले ही शाप दे रखा है। लेकिन उसे विश्वास तब होता है जबकि वैसा ही घटित होने लगता है। आप जो कहते हैं वही आपकी ओर लौट कर आता है।

तीसरा विनाशकारी शाप : अक्सर किसी समस्या से ग्रस्त या रोगी व्यक्ति समस्या के समाधान या रोग से मुक्ति के विपरित यह सोचते रहते हैं कि अच्छा है कि मुझे मौत आ जाए।
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बहुत ज्यादा गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति के बारे में कुछ लोग यह भी बोलते रहते हैं कि अच्छे है कि भगवन इसे जल्दी उपर उठा ले। यह सोच घातक होती है उन लोगों के लिए भी जो ऐसा दूसरों के बारे में सोच रहे हैं।

चौथा विनाशकारी शाप : ऐसा लोगों की संख्या अधिक है जिन्हें 'काली जुबान' का कहा जाता है जो अक्सर दूसरों के बारे में बुरा-बुरा ही बोलते रहते हैं। ऐसे लोगों से यदि आपका विवाद हो जाए तो वे तुरंत ही आपको शाप देने लगेंगे। अच्छा है कि ऐसे लोगों की पहचान करके उनसे जितनी जल्दी हो सके दूर चले जाएं या उनसे दोस्ती बंद कर दें। ऐसे लोगों को आप कुछ भी कहें वे किसी भी बात में बुराई ढूंढ ही लेंगे।
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ऐसे लोगों की पहचान यह है कि वे अक्सर कहते हैं कि फला फला व्यक्ति का कभी भला नहीं होगा, वो तो तड़फ-तड़फ कर मरेगा, वो तो कुत्ते की मौत मरेगा। अरे वो तो जिंदगी में कुछ नहीं कर सकता। ऐसे लोगों की सोच नकारात्मक होती है। वे आपकी हर बात को काटने में माहिर होते हैं।

यदि आप उनसे कहेंगे कि ये कोर्स कर लेते हैं तो वे कहेंगे कोई फाइदा नहीं, अच्‍छा ये कारोबार कर लेते हैं तो कहेंगे कि उसमें तो तूझे भारी नुकसान होगा। उनसे कहो कि ये नौकरी कर लेते हैं तो कहेंगे नौकरी में कोई दम नहीं। इस तरह से उनके मुंह से सिर्फ नकारात्मक ही वचन निकलेंगे। ऐसा लोग खुद शापित होते हैं और दूसरों को भी शाप देते रहते हैं।
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पांचवां विनाशकारी शाप : इसके लक्षण बताते हैं कि एक दिन ये जेल जरूर जाएगा। किसी व्यक्ति ने कोई छोटा अपराध किया या बड़ा उससे लोग कहते हैं देख तूझे तेरे किए का दंड अवश्य मिलेगा। तूछे जेल जाना होगा। भले ही उस व्यक्ति ने बहुत ही मामूली सा अपराध किया हो लेकिन उसे भयानक दंड मिलने की चेतावनी दी जाती है। उसे सरकार दंड दे या न दे लेकिन उसे फिर दंड जरूर मिलता है।
 
हो सकता है कि वह किसी दूसरे केस में पकड़ा जाए और फिर उस पर केस चला और उसको जेल भी हो गई। उसका शाप सिद्ध हो गया। उसने सच बात कही। अपराधी को अपराध से बचाने के लिए अथवा उसको समझाने के लिए व्यक्ति उसको डांटता है, रोकता है।  फिर भी वह नहीं मानता है तो फिर उसको कहता है कि– देख तू नहीं मानता, तुझे दंड मिलेगा और तू जेल जाएगा, ये तो होगा ही।
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छठा विनाशकारी शाप : यदि आपने किसी गरीब, भिखारी, अबला या बच्चे का दिल दुखाया है तो उसके दिल से आपके लिए जो बद्दुआ निकलेगी उससे आपको कोई नहीं बचा सकता।

जितना असर उसकी दुआ में होता है उतना ही असर उसकी बद्दुआ में होता है। आशीर्वाद और शाप उच्च आत्माओं, पवित्र आत्माओं के लिए कोई बड़ी बात नहीं पर समझदार लोग उसे लाभान्वित भी हो सकते हैं और किसी दीन-दुखी की ‘बद्दुआ’ से बच भी सकते हैं।
 
अंत में जानिए शाप मुक्ति के उपाय..

यहां शाप मुक्ति के कुछ उपाय बताए जा रहे हैं। उनमें से किसी एक उपाय को विद्वान पंडित से विधि जानकर करेंगे तो लाभ मिलेगा।
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1.गायत्री मं‍त्र या गायत्री-शापविमोचन का पाठ
2.दुर्गा सप्तशती का पाठ
3.चण्डिका शाप विमोचन मंत्र का जाप
4.हनुमान चालीसा और बजरंग बाण

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