Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(द्वितीया तिथि)
  • तिथि- वैशाख कृष्ण द्वितीया
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-सर्वार्थसिद्धि योग/मूल प्रारंभ
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

क्या है हिन्दू धर्म की सबसे बड़ी ताकत, जानिए 8 बातें

हमें फॉलो करें क्या है हिन्दू धर्म की सबसे बड़ी ताकत, जानिए 8 बातें

अनिरुद्ध जोशी

पिछले लगभग 20 हजार वर्षों से हिन्दू धर्म विद्यमान हैं। हो सकता है कि इससे भी ज्यादा वर्ष हो गए हो, लेकिन ब्रह्मा से लेकर राम तक लगभग 400 पीढ़ियां बीत चुकी है और भगवान राम का जन्म 5114 ईसा पूर्व हुआ था। कुश से अब तक कुल 309 पीढ़ियां हो चुकी है।
 
 
जयपुर राजघरा की महारानी पद्मिनी और उनके परिवार के लोग की राम के पुत्र कुश के वंशज है। महारानी पद्मिनी ने एक अंग्रेजी चैनल को दिए में कहा था कि उनके पति भवानी सिंह कुश के 309वें वंशज थे। इस मान से कुल 709 पीढ़ियों से हिन्दू धर्म प्रचलन में हैं। जिस तरह हमें राम के पूर्वजों के बारे में बताया उसी तरह चंद्रवंशी, अग्निवंशी, ऋषिवंश, पुलस्त्य, पुलह एवं क्रतुवंश, ययातिवंश, गर्गवंश, चित्रगुप्तवंश आदि अनेक वंशों की भी 700 से ज्यादा पीढ़ियां गुजर चुकी है। इसमें सोचने वाली बात यह है कि एक हजार वर्ष पहले लोगों की उम्र 100 वर्ष से ज्यादा होती थी। खैर।
 
 
बहुत से लोग हिन्दू धर्म को मूर्तिपूजकों, बहुदेववादी, अनेकेश्वरवादी या सर्वेश्वरवादियों का धर्म मानते हैं जो कि उनके अल्पज्ञान को प्रदर्शित करता है। वे इस धर्म को विरोधाभासी, बहुत सारी किताबों का धर्म भी मानते हैं। वे पुराणों को अप्रमाणिक मानकर इसकी सत्यता की भी प्रश्न उठाते हैं। दरअसल, हिन्दू धर्म को आसानी से समझा नहीं जा सकता क्योंकि यह उन धर्मों की तरह नहीं है जिन्होंने कि धर्म को एक सामाजिक और कानूनी ढांचे में ढालकर धर्म की हर बात को श्रेणिबद्ध कर दिया और धर्म को धर्म की बजाए एक व्यवस्था ज्यादा बना दिया है।
 
 
हिन्दू धर्म क्या है यह चार उदहारण से समझ सकते हैं। फिर आप जानेंगे कि हिन्दू धर्म की ताकत क्या है...
 
 
1.एक जंगल है जिसमें नदी, झील, तालाब, पहाड़ और झरनों के बीच कई तरह के पेड़-पौधे, तरह-तरह के फूल, कई प्रजातियों के पशु-पक्षी, जीव-जंतु आदि अनेक प्रजातियां हैं जो कि भिन्नता और विचित्रता लिए हुए हैं। कई रास्ते हैं। आप किसी भी रास्ते से जाकर किसी भी अन्य रास्ते से जंगल से बाहर निकल सकते हैं। आपको भटकने की पूरी छूट है।
 
 
2.दूसरी ओर एक चिढ़ियाघर है, जहां कुछ खास किस्म के ही पेड़-पौधे हैं और हर तरह के पशु-पक्षियों को एक पिंजरे में रखा गया है। वहां नदी और पहाड़ नहीं है। नकली झरने बनाए गए हैं। छोड़ी-सी पतली-सी निर्धारित सड़क है। उस पर चलकर सभी को दूसरे प्रवेश द्वार से बाहर निकलना है।
 
 
3.एक सुंदर-सा बगीचा है। उस बगीचे में तरह-तरह के पेड़-पौधे और फल-फूल लगाए हैं। छोटा-सा तालाब और नकली झरना है। वहां किसी भी प्रकार के पशु या प्राणी नहीं है लेकिन पक्षी जरूर हैं। छोड़ी-सी पतली-सी निर्धारित सड़क है। उस पर चलकर सभी को दूसरे प्रवेश द्वार से बाहर निकलना है।
 
 
4.एक बगीचा है जिसमें सिर्फ एक ही तरह के फूल उगे हुए हैं। न झरना है, न तालाब और न ही अन्य तरह के पेड़-पौधे। बस एक ही तरह के फूलों को लाइन से उगा रखा है। आप उन्हें छू नहीं सकते। आपको अनुशासन में रहकर एक निर्धारित रास्ते पर चलकर चुपचाप दूसरे द्वार से बाहर निकल जाना है।
 
 
अब आप सोचिए कि आप कहां घूमना पसंद करेंगे? दरअसल, हिन्दू धर्म उस जंगल की तरह है जहां आपके लिए सबकुछ है और जहां घुमने के लिए आप पूर्णरूप से स्वतंत्र हो। आप किसी भी रास्ते से जाकर अपनी मंजिल पर पहुंच सकते हो। भिन्नता और विरोधाभाष ही जीवन का महत्वपूर्ण रहस्य और रोमांच है। जीवन में हर तरह के रंग होना चाहिए। अब हम देखते हैं कि हिन्दू धर्म की ताकत क्या है।
 
 
1.ध्यान और योग
हिन्दू धर्म में जागरण, ज्ञान, योग, स्तुति, ध्यान, तप, जप, संकल्प और समर्पण इन नौ को सबसे बड़ा माना गया है। इस पर चलकर ही आप सिद्धि या मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं। यदि आपकी रुचि सिद्धि या मोक्ष में नहीं है तो इसके माध्यम से आप स्वस्थ रह सकते हैं और आप जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

 
2.रहस्य और रोमांच
हिन्दू धर्म में रहस्य को महत्व दिया गया है। जीवन में यदि रहस्य नहीं है तो रोमांच और उत्साह भी नहीं रहेगा। हर वक्त किसी बात की खोज करना ही रोमांच है। इसीलिए हिन्दू धर्म एक रहस्यवादी धर्म है। जीवन, आत्मा, पुनर्जन्म, परमात्मा और यह ब्रह्मांड एक रहस्य ही है। इस रहस्य को जानने का रोमांच मनुष्‍य में आदि काल से ही रहा है। जिस मनुष्य की इस रहस्य को जानने में रुचि नहीं है वह पशुवत समान ही है। जीवन समझो व्यर्थ ही गया। हिन्दू धर्म मानता है कि मनुष्य का जन्म खुद को जानने के लिए ही हुआ है।

 
3.स्व-अनुशासन और स्वतंत्रता
हिन्दू धर्म में स्व-अनुशासन को बहुत महत्व दिया गया है। यह आपकी और दूसरों की स्वतंत्रका को कायम रखने और धर्म, देश एवं समाज को व्यवस्थित रखने के लिए जरूरी है। यदि देश के नागरिकों में स्व-अनुशासन नहीं है तो वह देश नहीं बल्की एक भीड़ है जिसे कोई भी कभी भी किसी भी तरीके से संचालित कर सकता है।

 
हिन्दू धर्म 'व्यक्ति स्वतंत्रता' को महत्व देता है, जबकि दूसरे धर्मों में सामाजिक बंधन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लागू हैं। हिन्दू धर्म मानता है कि व्यक्ति स्वतंत्रता से ही व्यक्ति की आत्मा का विकास होता है। यही कारण रहा कि हिन्दुओं में हजारों वैज्ञानिक, समाज सुधारक और दार्शनिक हुए जिन्होंने धर्म को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। लेकिन इस स्वतंत्रता का यदि दुरुपयोग हो रहा है या दूसरों की स्वतंत्रता का हनन किया जा रहा है तो ऐसे व्यक्ति को दंड देना जरूरी है। इसीलिए स्व-अनुशासन, सह-अस्तित्व और स्वीकार्यता पर जोर दिया गया है।

 
4.तत्व ज्ञान और दर्शन-
हिन्दू धर्म में क्या है यह जानने के लिए धर्म के तत्व ज्ञान को जानना जरूरी है। तत्व ज्ञान हमें ईश्‍वर, आत्मा, ब्रह्मांड, पुनर्जन्म और कर्मों का सिद्धांत के बारे में सही-सही जानकारी देकर हमारी सोच को विकसित करता है। वेदों में तत्व ज्ञान की बाते कही गई है। वेदों के अलाव उपनिषद और गीता में तत्व ज्ञान को बताया गया है। उक्त तीन ही हिन्दू धर्म के धर्मग्रंथ है।

 
तत्व ज्ञान दर्शन का ही एक अंग है। वेद और उपनिषद को पढ़कर ही 6 ऋषियों ने अपना दर्शन गढ़ा है। इसे भारत का षड्दर्शन कहते हैं। ये छह है-1.न्याय, 2.वैशेषिक, 3.सांख्य, 4.योग, 5.मीमांसा और 6.वेदांत। इसके अलावा वेदों के अंग हैं- 1.शिक्षा, 2.छंद, 3.व्याकरण, 4.निरुक्त, 5.ज्योतिष और 6.कल्प। इसके अलावा उपवेद हैं- ऋग्वेद का आयुर्वेद, यजुर्वेद का धनुर्वेद, सामवेद का गंधर्ववेद और अथर्ववेद का स्थापत्य वेद- ये क्रमशः चारों वेदों के उपवेद बतलाए गए हैं। उक्त सभी को जान लिया तो हिन्दू धर्म को जा लिया समझो।

 
5.संस्कार और कर्तव्य-
हिन्दू धर्म ने मनुष्य की हर हरकत को वैज्ञानिक नियम में बांधा है। यह नियम सभ्य समाज की पहचान है। इसके लिए प्रमुख कर्तव्यों का वर्णन किया गया है जिसको अपनाकर जीवन को सुंदर और सुखी बनाया जा सकता है। जैसे 1.संध्यावंदन (वैदिक प्रार्थना और ध्यान), 2.तीर्थ (चारधाम), 3.दान (अन्न, वस्त्र और धन), 4.व्रत (श्रावण मास, एकादशी, प्रदोष), 5.पर्व (शिवरात्रि, नवरात्रि, मकर संक्रांति, रामनवमी, कृष्ण जन्माष्टमी और कुंभ), 6.संस्कार (16 संस्कार), 7.पंच यज्ञ (ब्रह्मयज्ञ, देवयज्ञ, पितृयज्ञ-श्राद्धकर्म, वैश्वदेव यज्ञ और अतिथि यज्ञ), 8.देश-धर्म सेवा, 9.वेद-गीता पाठ और 10.ईश्वर प्राणिधान (एक ईश्‍वर के प्रति समर्पण)।

 
उपरोक्त सभी कार्यों से जीवन में एक अनुशासन और समरसता का विकास होता है। इससे जीवन सफल, सेहतमंद, शांतिमय और समृद्धिपूर्ण बनता है अत: हिन्दू धर्म जीवन जीने की कला सिखाता है। इसीलिए धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष।
 
 
6.चार पुरुषार्थ ही लक्ष्य है-
1.धर्म (religion 0r righteouseness), 2.अर्थ (wealth), 3.काम (Work, desire and Sex) और 4.मोक्ष (salvation or liberation)। उक्त चार को दो भागों में विभक्त किया है- पहला धर्म और अर्थ। दूसरा काम और मोक्ष। काम का अर्थ है- सांसारिक सुख और मोक्ष का अर्थ है सांसारिक सुख-दुख और बंधनों से मुक्ति। इन दो पुरुषार्थ काम और मोक्ष के साधन है- अर्थ और धर्म। अर्थ से काम और धर्म से मोक्ष साधा जाता है।

 
7.प्रकृति से निकटता-
अक्सर हिन्दू धर्म की इस बात के लिए आलोचना होती है कि यह प्रकृ‍ति पूजकों का धर्म है। ईश्वर को छोड़कर ग्रह और नक्षत्रों की पूजा करता है। यह तो जाहिलानापन है। दरअसल, हिन्दू मानते हैं कि कंकर-कंकर में शंकर है अर्थात प्रत्येक कण में ईश्वर है। इसका यह मतलब नहीं कि प्रत्येक कण को पूजा जाए। इसका यह मतलब है कि प्रत्येक कण में जीवन है। वृक्ष भी सांस लेते हैं और लताएं भी। दरअसल, जो दिखाई दे रहा है पहला सत्य तो वही है। प्रत्येक व्यक्ति करोड़ों मिल दूर दिखाई दे रहे उस टिमटिमाते तारे से जुड़ा हुआ है इसलिए क्योंकि उसे दिखाई दे रहा है। दिखाई देने का अर्थ है कि उसका प्रकाश आपकी आंखों तक पहुंच रहा है। हमारे वैदिक ऋषियों ने कुदरत के रहस्य को अच्छे से समझा है। वे कहते हैं कि प्रकृति ईश्वर की अनुपम कृति है। प्रकृति से मांगो तो निश्चित ही मिलेगा।
 
 
8.उत्सवप्रियता-
हिन्दू धर्म उत्सवों को महत्व देता है। जीवन में उत्साह और उत्सव होना जरूरी है। ईश्वर ने मनुष्य को ही खुलकर हंसने, उत्सव मनाने, मनोरंजन करने और खेलने की योग्यता दी है। यही कारण है कि सभी हिन्दू त्योहारों और संस्कारों में संयमित और संस्कारबद्ध रहकर नृत्य, संगीत और पकवानों का अच्छे से सामंजस्य बैठाते हुए समावेश किया गया है। उत्सव से जीवन में सकारात्मकता, मिलनसारिता और अनुभवों का विस्तार होता है।
 
 
अंत में- तत्व ज्ञान और दर्शन ही हिन्दू धर्म की सबसे बड़ी ताकत है जिसके आधार पर संपूर्ण धर्म खड़ा है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

8 मई 2019 का राशिफल और उपाय