Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

अप्सरा घृताची के बारे में 10 रोचक बातें जानकर चौंक जाएंगे

हमें फॉलो करें अप्सरा घृताची के बारे में 10 रोचक बातें जानकर चौंक जाएंगे

अनिरुद्ध जोशी

शास्त्रों के अनुसार देवराज इन्द्र के स्वर्ग में कई अप्सराओं में से 11 अप्सराएं प्रमुख सेविका थीं। ये 11 अप्सराएं हैं- कृतस्थली, पुंजिकस्थला, मेनका, रम्भा, प्रम्लोचा, अनुम्लोचा, घृताची, वर्चा, उर्वशी, पूर्वचित्ति और तिलोत्तमा। इन सभी अप्सराओं की प्रधान अप्सरा रम्भा थीं। अलग-अलग मान्यताओं में अप्सराओं की संख्या 108 से लेकर 1008 तक बताई गई है। आओ जानते हैं घृताची अप्सरा के बारे में रोचक 10 बातें।
 
 
1. पौराणिक कथा अनुसार यह कश्यप ऋषि तथा प्राधा की पुत्री थीं।
 
2. यह अप्सरा सभी अप्सराओं से बहुत ही सुंदर और कामुक थीं।
 
3. पौराणिक मान्यता के अनुसार घृताची ने कई पुरुषों के साथ समागम किया था
 
4. घृताची ने कई ऋषियों और राजाओं के साथ समागम करके लगभग 100 पुत्रों और इतनी ही पुत्रियों को जन्म दिया था।
 
5. कहते हैं कि विश्वकर्मा से भी घृताची के पुत्र हुए थे।
 
6. रुद्राश्व से घृताची को दस पुत्र और दस पुत्रियां उत्पन्न हुई थीं। 
 
7. कन्नौज के नरेश कुशनाभ ने इसके गर्भ से सौ कन्याएं उत्पन्न की थीं।
 
8. महर्षि च्यवन के पुत्र प्रमिति ने घृताची के गर्भ से रूरू नामक पुत्र उत्पन्न किया था।
 
9. घृताची की खूबसूरत काया को निहारने मात्र से वेदव्‍यास ऋषि कामाशक्‍त हो गए थे जिसके चलते शुकदेव उत्‍पन्‍न हुए।
 
 
10. घृताजी एक बार गंगा में स्नान करके भीगे वस्त्रों में बाहर निकली तो भरद्वाज ऋषि की नजरें उन पर पड़ गई। भीगे वस्त्रों में उसके कामुक तन और भरे पूरे अंगों को देखकर भारद्वाज मुनी वहीं रुक गए। आंखें खोलकर वे उसके रूप और सौंदर्य को निहारने लगे। कामवासना से पीड़ित भारद्वाज का देखते ही देखते वीर्यपात हो गया था। तभी वीर्य को उन्होंने एक द्रोणि (मिट्टी का बर्तन) में रख दिया जिससे द्रोणाचार्य का जन्म हुआ था।
 
 
अन्य अप्सराएं : कृतस्थली, प्रम्लोचा, अनुम्लोचा, वर्चा, पूर्वचित्ति, अम्बिका, अलम्वुषा, अनावद्या, अनुचना, अरुणा, असिता, बुदबुदा, चन्द्रज्योत्सना, देवी, घृताची, गुनमुख्या, गुनुवरा, हर्षा, इन्द्रलक्ष्मी, काम्या, कर्णिका, केशिनी, क्षेमा, लता, लक्ष्मना, मनोरमा, मारिची, मिश्रास्थला, मृगाक्षी, नाभिदर्शना, पूर्वचिट्टी, पुष्पदेहा, रक्षिता, ऋतुशला, साहजन्या, समीची, सौरभेदी, शारद्वती, शुचिका, सोमी, सुवाहु, सुगंधा, सुप्रिया, सुरजा, सुरसा, सुराता, उमलोचा, शशि, कांचन माला, कुंडला हारिणी, रत्नमाला, भू‍षणि आदि।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

काल भैरव अष्टमी पर करें इस तरह भैरवनाथ की पूजा तो होंगे वे प्रसन्न