History of Geeta Press Gorakhpur : गीता प्रेस गोरखपुर की स्थापना उस मुश्किल वक्त में हुई जबकि अब्राहमिक (ईसाई और इस्लाम) धर्म का प्रचार प्रसार जोरों पर था। हिन्दू धर्म के संबंध में भ्रांतियां फैलाई जा रही थी। ऐसे में गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित किताबों को प्रामाणिक तौर पर जाना जाता है। आओ जानते हैं इसका संक्षिप्त इतिहास।
स्थापना और स्थापक: गीता प्रेस की स्थापना मई 1923 में हुई थी। 1923 को जयदयाल गोयन्दका ने केवल संस्कृत भाषा में इस धार्मिक पुस्तक गीता का प्रकाशन किया था जो आज देश की 15 भाषाओं में प्रकाशित हो रही है। इसके संस्थापक जयदयाल गोयनका का एक ही उद्देश्य था भगवद् गीता का प्रचार। इस प्रकाशन की शुरुआत तो कोलकाता से हुई थी परंतु आज इस प्रकाशन का मुख्य केन्द्र गोरखपुर में है।
गीता और रामचरित मानस : वैसे तो अन्य तमाम धार्मिक पुस्तकें यहां से छप रही है लेकिन गीता की बिक्री कई रिकॉर्ड तोड़ चूकी है। इसके बाद गीता प्रेस की रामचरितमानस सबसे अधिक बिकती है। यहां के कुल प्रकाशन का 35-40 प्रतिशत हिस्सा रामचरितमानस का है। रामचरितमानस को 9 भाषाओं में प्रकाशित किया जाता है।
2 रुपए की किताब : गीता प्रेस से छपने वाली किताबों के दाम इतने सस्ते होते हैं कि कोई भी सोचने पर मजबूर हो जाए कि इतनी मोटी, जिल्द चढ़ी किताब इतने सस्ते में कैसे बिक सकती है। गीता प्रेस की स्थापना का मुख्य उद्देश्य सस्ती, सचित्र, शुद्ध, सजल्दि और सुंदर पुस्तकें छापने के लिए किया गया था। गीता प्रेस में आज आधुनिकतम मशीनों पर लगभग 200 लोग काम करते हैं। प्रकाशन ने मात्र दो रुपये में दो इंच की धार्मिक पुस्तक का प्रकाशन किया। जैसे हनुमान चालीसा, गीता सार, अन्य देवी देवताओं की चालीसा, दोहे, आरती, स्त्रोत आदि।
चित्रों का अनोखा संग्रह : गीता प्रेस की एक बड़ी धरोहर है भगवान राम और कृष्ण के जीवन से जुड़े चित्र। पौराणिक चरित्र, कथाओं से जुड़े चित्र। इन चित्रों की अमूल्य धरोहर को अब सहेज कर रखने की कोशिश की जा रही है।
करोडों किताब छप चुक है अब तक : गीता प्रेस के धार्मिक पुस्तकों के विभिन्न संस्करणों में अब तक 46 करोड़ के करीब पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं जिनमें श्रीमद्भगवद्गीता के बाद, पुराण, उपनिषद आदि ग्रन्थ क्रमवार गिने जा सकते हैं। इसी के साथ ही यहां पर महिलाओं एवं बाल उपयोगी लाखों किताबें, भक्त चरित्र एवं भजन माला, तुलसी साहित्य लाखों पुस्तकें शामिल हैं|
मासिक पत्रिका कल्याण : यहां से प्रकाशित होने वाला सबे चर्चित ग्रंथ है कल्याण, युग कल्याण एवं कल्याण कल्पतरू। ये गीता प्रेस द्वारा तीन मासिक पत्र प्रकाशित किए जाते हैं। पत्रिका का प्रकाशन 86 वर्ष पूर्व मुम्बई में शुरू हुआ था और वर्तमान में सबसे अधिक बिकने वाली तथा सबसे पुरानी आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक पत्रिका बन गयी है।