Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

सबसे बड़ा असुर या दैत्य था 'वृतासुर', कांपता था देवलोक

हमें फॉलो करें सबसे बड़ा असुर या दैत्य था 'वृतासुर', कांपता था देवलोक

अनिरुद्ध जोशी

, मंगलवार, 4 फ़रवरी 2020 (15:38 IST)
सतयुग में वृतासुर नाम का सबसे बड़ा असुर था। इस असुर के बारे में ऋग्वेद सहित लगभग प्रत्येक पुराण में इसका उल्लेख मिलता है। लगभग संपूर्ण धरती पर इसका आतंक था। वृतासुर एक शक्तिशाली असुर था जिसने आर्यों के नगरों पर कई बार आक्रमण करके उनकी नाक में दम कर रखा था। लेकिन वह भगवान का परम भक्त भी था।
 
 
वृतासुर के अधीन ही सबसे खतरनाक एक और असुर था कालकेय जिसका नाम था। वृत्रासुर ने इसी के माध्यम से हाहाकार मचा रखा था। दोनों से त्रस्त होकर सभी देवताओं ने मिलकर सोचा वृत्रासुर का वध करना अब बहुत जरूरी हो गया। लेकिन कई बार युद्ध करने के बाद भी देवता या कहें की सूर लोग हार जाते थे।
 
 
अंत: में श्री भगवान ने सभी को बताया कि इसका वध कैसे होगा। उन्होंने बताया कि इसका वध दधीचि की हड्‍डियों से बने हथियार से होगा। इस वृत्तासुर के वध के लिए ही दधीचि ऋषि की हड्डियों से एक हथियार बनाया जिसका नाम वज्र था। लोकहित के लिए महर्षि दधीचि ने तो अपनी अस्थियां तक दान कर दी थीं, क्योंकि वे जानते थे कि शरीर नश्वर है और एक दिन इसे मिट्टी में मिल जाना है। अंत में इन्द्र ने मोर्चा संभाला और उससे उनका घोर युद्ध हुआ जिसमें वृत्रासुर का वध हुआ। इन्द्र के इस वीरतापूर्ण कार्य के कारण चारों ओर उनकी जय-जयकार और प्रशंसा होने लगी थी। कहते हैं कि इंद्र का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी वृत्रासुर ही था।
 
 
शोधकर्ता मानते हैं कि वृत्रासुर का मूल नाम वृत्र ही था, जो संभवतः असीरिया का अधिपति था। पारसियों की अवेस्ता में भी उसका उल्लेख मिलता है। वृत्र ने आर्यों पर आक्रमण किया था तथा उन्हें पराजित करने के लिए उसने अद्विशूर नामक देवी की उपासना की थी। इन्द्र और वृत्रासुर के इस युद्ध का सभी संस्कृतियों और सभ्यताओं पर गहरा असर पड़ा था। तभी तो होमर के इलियड के ट्राय-युद्ध और यूनान के जियॅस और अपोलो नामक देवताओं की कथाएं इससे मिलती-जुलती हैं। इससे पता चलता है कि तत्कालीन विश्व पर इन्द्र-वृत्र युद्ध का कितना व्यापक प्रभाव पड़ा था।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Jaya Ekadashi 2020 : इस मुहूर्त में करें जया एकादशी की पूजा, जानें पूजन विधि एवं शुभ समय