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प्राचीन काल में इस तरह जवान बने रहते थे लोग, जानिए 7 रहस्य

हमें फॉलो करें प्राचीन काल में इस तरह जवान बने रहते थे लोग, जानिए 7 रहस्य

अनिरुद्ध जोशी

आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार मनुष्य की आयु लगभग 120 वर्ष बताई गई है लेकिन वह अपने योगबल, संयमित आहार और विहास के बल से लगभग 150 वर्षों से ज्यादा जी सकता है। कहते हैं कि प्राचीन भारतीय मानव की सामान्य उम्र 300 से 400 वर्ष हुआ करती थी। हिमालय में आज भी ऐसे कई ऋषि और मुनि हैं जिनकी आयु लगभग 600 वर्ष से अधिक होने के दावा किया जाता है। बाइबल के मुताबिक आदम 930 साल, शेत 912 साल और मतूशेलह 969 साल जीए थे यानी मतूशेलह अगर 31 साल और जीता, तो पूरे 1,000 साल का हो जाता! (उत्पत्ति 5:5,8,27) इस तरह नूह या नोहा 950 वर्ष तक जिंदा रहे थे। नूह और वैवस्वत मनु की कहानी मिलती-जुलती है।
 
 
उपरोक्त उदाहरणों से सिद्ध होता है कि प्राचीन काल में मनुष्य की सामान्य उम्र 500 वर्ष तक रही होगी। वर्तमान में यह घटकर 100 हो चली है। सौ वर्ष भी बहुत कम लोग ही जी पाते हैं। अधिकतर तो 70 से 90 के बीच मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। उसमें भी कई तो वक्त के पहले ही बुढ़े नजर आते हैं। उम्र के घटने और वक्त के पहले बुढ़े होकर मर जाने के कई कारण है। इसमें सबसे बड़ा कारण है जलवायु और खानपान। वर्तमान का मनुष्य प्रदूषण भरे वातावरण में नकली या अपौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन कर कई तरह के रोग से ग्रस्त होकर वक्त के पहले ही मर जाता है। आओ हम जानते हैं कि ऐसे कौन सा रहस्य है कि आज भी आप लंबी उम्र प्राप्त करके बहुत लंबे समय तक जवान बने रह सकते हैं?
 
 
1. पहला रहस्य- कछुए की तरह सांस लें 
कछुए की श्वांस लेने और छोड़ने की गति इंसानों से कहीं अधिक दीर्घ है। व्हेल मछली की उम्र का राज भी यही है। बड़ और पीपल के वृक्ष की आयु का राज भी यही है। वायु को योग में प्राण कहते हैं। वायु का शुद्ध होना जीवन की दीर्घता के लिए बेहद जरूरी है। 
 
 
वायु, प्राण, व्यान, अपान, समान आदि वायुओं से मन को रोकने और शरीर को साधने का अभ्यास करना ही असल में प्राणायाम है। प्राणायाम में अनुलोम-विलोम करें। जलनेति से भी प्राणवायु ठीक होती है। 
 
 
वायु प्रदूषित है तो आप बाहर आते या जाते वक्त मास्क का उपयोग करें। यदि आपके शहर में अधिक वायु प्रदूषण है तो आप उससे बचने के उपाय करें।  यदि आप शुद्ध वायु ग्रहण नहीं कर रहे हैं तो कोई गारंटी नहीं कि अच्छा भोजन और कसरत करने के बाद भी आपको कोई बीमारी न हो। 
 
 
उपाय : 'वनों से वायु, वायु से आयु' कहना किसी भी तरह से गलत न होगा इसलिए अपने घर के आसपास अधिक से अधिक वृक्ष लगाएं। पीपल और बड़ का वृक्ष आपकी आयु बढ़ाने में ज्यादा सक्षम हैं। नियमित तुलसी के 1 पत्ते का सेवन करें। पंचामृत बनाकर पीएं। सिर पर चंदन का टीका लगाएं।
 
 
2. दूसरा रहस्य : जल को चबाते हुए पीएं
शुद्ध वायु के बाद शुद्ध जल जरूरी है। जल का अलग-अलग तरह से सेवन करने से सभी तरह के रोग में लाभ मिलता है। कहते हैं जल को आराम से घुंट घुंण कर ग्रहण करना चाहिए। जल योग न केवल उच्च रक्तचाप, कब्ज, गैस आदि बीमारियों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि यह हमारी हड्डियों, मस्तिष्क और हृदय को मजबूत बनाने में भी खास भूमिका निभाता है।
 
 
जल को पीतल या तांबे के गिलास में ही पीना चाहिए। सुबह ब्रश और शौचादि से पूर्व ताम्बे के लोटे में रात्रि को रखा पानी पीएं, इससे मल खुलकर आता है तथा कब्ज की शिकायत नहीं होती है। जल न कम पीएं और न ही अत्यधिक। कहीं का भी जल न पीएं। जल हमेशा छानकर और बैठकर ही पीएं। जल पूर्णत: शुद्ध होना चाहिए। अशुद्ध जल से लिवर और गुर्दों का रोग हो जाता है। यदि उक्त दोनों में जरा भी इंफेक्शन है तो इसका असर दिल पर भी पड़ता है। लगभग 70 प्रतिशत रोग जल की अशुद्धता से ही होते हैं। भोजन के बाद कभी पानी ना पीएं।
 
 
उपाय : जल से ही योग में गणेश क्रिया, जलनेति, धौति क्रिया और वमन क्रिया की जाती है। शरीर में 10 छिद्र हैं। 2 आंखें, नाक के 2 और कान के 2 छिद्र के अलावा मुंह, लिंग और गुदा के छिद्र मिलाकर कुल 10। इन छिद्रों को 10 बार पानी से अच्छे से धोने से उनमें किसी भी प्रकार का विकार नहीं रह जाता। 'उत्कट' आसन : रात में 'तांबे के बर्तन' में जल रखकर प्रात:काल बासी मुंह से 'उत्कट' आसन में बैठकर उसका सेवन करना चाहिए। इस जल से हमारे शरीर में वात-पित्त और कफ का नाश होता है। इस आसन के लिए शुरू-शुरू में 2 गिलास तक जल पीएं। उसके बाद धीरे-धीरे 5 गिलास तक पीने का अभ्यास करें। जल का सेवन करने के बाद शौच आदि के लिए जाएं। इस योग से शरीर में कॉपर की मात्रा जाती रहती है जिससे शरीर को हड्डियों और मांसपेशियों को लाभ मिलता है।
 
2. तीसरा रहस्य- उचित आहार और उपवास 
उत्तम, सात्विक और स्वादिष्ट खाने के बजाए आजकल फास्ट फूड, जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक की ओर रुझान बढ़ गया है। भोजन से केवल भूख ही शांत नहीं होती बल्कि इसका प्रभाव तन, मन एवं मस्तिष्क पर पड़ता है। 'जैसा खाओ अन्न वैसा बने मन'। आहार का चयन करना जरूरी है। आप क्या खा रहे और क्या पी रहे हैं इस पर जरूर ध्यान दें। शरीर को क्षरण से बचाना है तो आहार में फल, फलों का रस, दही, शहद, लहसुन, अखरोट, गाय का दूध, गाय का घी और अंजीर सहित सभी सूखे मेवे का नियमित इस्तेमाल करें।
 
 
इसके अलावा सप्ताह में एक दिन उपवास जरूर करना चाहिए। उपवास से शरीर शुद्ध और निर्मल बनता है। उपवास के दौरान संतरे, नींबू और मौसंबी का रस ही पीना चाहिए। इस दौरा कुछ भी खाना नहीं चाहिए। यूनिवर्सिटी कालेज लंदन स्थित इंस्टिट्यूट औफ हैल्थ ऐजिंग के बुढ़ापे से निबटने के मकसद से आनुवंशिकी और लाइफस्टाइल फैक्टरों का अध्ययन कर रहे वैज्ञानिक भी उपवास के महत्व को मानते हैं।
 
 
इंस्टिट्यूट में रिसर्च टीम से जुड़े प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. मैथ्यू पाइपर का कहना है कि आहार पर नियंत्रण जीवन को दीर्घायु बनाने का एक असरदार तरीका है। डॉ. पाइपर के मुताबिक यदि आप किसी चूहे के आहार में 40% की कमी कर दें तो वह 20 या 30% ज्यादा जीवित रहेगा। उनके जैसी राय रखने वाले कई अन्य वैज्ञानिकों का दावा है कि आहार पर नियंत्रण से मनुष्य का जीवनकाल भी बढ़ाया जा सकता है।
 
 
4. चौथा रहस्य : नियमित अंग संचालन 
कसरत नहीं, जिम वाला व्यायाम नहीं, अखाड़े वाला व्यायाम नहीं, योग के आसन भी नहीं। बस योग का अंग संचालन वाला नियमित व्यायाम करना चाहिए। अंग संचालन के अंतर्गत सभी अंगों को बारी बारी से संचालित किया जाता है। इसके बारे में अच्छे से पढ़ और समझकर आप यह छोटा सा व्यायाम घर में ही कर सकते हैं। यदि यह नहीं कर पाएं तो नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करें। यह भी नहीं कर पाएं तो नियमित रूप से आप कम से कम दो किलोमीटर पैदल चलकर आएं।
 
 
5. पांचवां रहस्य : योग निद्रा और ध्यान
उचित समय पर सोना जाना और उचित समय पर उठना जरूरी है। देर रात तक जागना और देस सुबह तक उठने से हमारी प्राकृतिक नींद गड़बड़ हो जाती है जिसका असर उम्र पर पड़ा है। इसीलिए प्राचीन समय में लोग ब्रह्म मुहूर्त में उठकर संध्यावंद के बाद सो जाते थे। आपकी नींद गड़बड़ है तो योग निद्रा और ध्यान का सहारा लें।
 
 
ध्यान जहां हमारे जागरण को ठीक करता है, वहीं योग निद्रा हमारी नींद को ठीक करती है इसलिए ध्यान और नींद में फर्क करना सीखें। नींद एक डॉक्टर है और दवा भी। आपकी नींद कैसी होगी, यह निर्भर करता है इस पर कि आप दिनभर किस तरह से जीएं। जरूरी है कार्य, विचार, आहार और व्यवहार पर गंभीर मंथन करना। यदि यह संतुलित और सम्यक रहेगा तो भरपूर नींद से स्वास्थ्‍य में लाभ मिलेगा। ज्यादा या कम नींद से सेहत और मन पर विपरीत असर पड़ता है। बेहतर नींद के लिए आप 'योग निद्रा का सहारा लें।
 
 
ध्यान का नियमित अभ्यास करने से आत्मिक शक्ति बढ़ती है। आत्मिक शक्ति से मानसिक शांति की अनुभूति होती है। मानसिक शांति से शरीर स्वस्थ अनुभव करता है। ध्यान से विजन पॉवर बढ़ता है तथा व्यक्ति में निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है। ध्यान से सभी तरह के रोग और शोक मिट जाते हैं। ध्यान से हमारा तन, मन और मस्तिष्क पूर्णत: शांति, स्वास्थ्य और प्रसन्नता का अनुभव करते हैं।
 
 
6. छठा रहस्य : जड़ी बूटियों का सहारा
रूस के साइबेरिया के जंगलों में एक औषधि पाई जाती है जिसे जिंगसिंग कहते हैं। चीन के लोग इसका ज्यादा इस्तेमाल करके देर तक युवा बने रहते हैं। भारत में भी इस तरह की कई जड़ी बूटियों का आयुर्वेद में उल्लेख मिलता है। कई स्टडीज में पाया जा चुका है कि अगर बढ़ती उम्र के असर को उजागर करने वाले जिनेटिक प्रोसेस को बंद कर दिया जाए, तो इंसान हमेशा जवान बना रह सकता है और यह संभव हो सकता है किसी अद्भुत जड़ी बूटियों के प्रयोग से।
 
 
कहते हैं कि सोमवल्ली, इफेड्रा, कीड़ा घास, संजीवनी बूटी, बेल, आंवला, ब्राह्मी, जटामासी, शंखपुष्पी, जपा, हरड़, मयूर कंद, धोली मूसली, मखनफल (एवोकैडो),  आदि आपकी बढ़ती आयु को रोकने में सक्षम है। इनके बारे में विस्तार से जानकर इनका किसी आयुर्वेदाचार्य से सलाह लेकर ही सेवन करना चाहिए। इसके अलावा एक विशेष प्रकार की मछली का सेवन भी जवान बने रहने में लाभदायक होता है।
 
 
7. सातवां रहस्य : पंचकर्म करवाएं
वर्षभर में कम से कम एक बार शरीर रूपी मशीन का शोधन पंचकर्म चिकित्सक के निर्देश में अवश्य करवाएं। इससे लम्बी एवं रोगरहित आयु प्राप्त होती है।
 

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