क्या आप सोते समय अपने पैर दक्षिण या पूर्व दिशा की ओर रखते हैं। हिंदू शास्त्रों और वास्तुविदों के अनुसार यह अनुचित है। आओ जानते हैं इसके 5 नुकसान।
1. इससे आपकी ऊर्जा का क्षरण होगा। उर्जा के अतिरिक्क्त निष्कासन से आपकी मानसिक स्थिति भी बिगड़ सकती है। दक्षिण में यम और यमदूतों का निवास होता है। दक्षिण दिशा में मंगल ग्रह है। मंगल ग्रह एक क्रूर ग्रह है। दक्षिण दिशा में दक्षिणी ध्रुव है जिसका नकारात्मक प्रभाव बना रहता है। दक्षिण दिशा से अल्ट्रावायलेट किरणों का प्रभाव ज्यादा रहता है जो सेहत के लिए ठीक नहीं है।
उल्लेखनीय है कि दक्षिण दिशा में पैर और उत्तर दिशा में सिर- यह ऐसी पोजिशन है जिसमें शवों को रखा जाता है। इसलिए कि उसकी संपूर्ण ऊर्जा बाहर निकल जाए।
2. विज्ञान की दृष्टिकोण से देखा जाए तो पृथ्वी के दोनों ध्रुवों उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में चुम्बकीय प्रवाह विद्यमान है। दक्षिण में पैर रखकर सोने से व्यक्ति की शारीरिक ऊर्जा का क्षय हो जाता है और वह जब सुबह उठता है तो थकान महसूस करता है, जबकि दक्षिण में सिर रखकर सोने से ऐसा कुछ नहीं होता।
3. उत्तर दिशा की ओर धनात्मक प्रवाह रहता है और दक्षिण दिशा की ओर ऋणात्मक प्रवाह रहता है। हमारा सिर का स्थान धनात्मक प्रवाह वाला और पैर का स्थान ऋणात्मक प्रवाह वाला है। यह दिशा बताने वाले चुम्बक के समान है कि धनात्मक प्रवाह वाले आपस में मिल नहीं सकते।
हमारे सिर में धनात्मक ऊर्जा का प्रवाह है जबकि पैरों से ऋणात्मक ऊर्जा का निकास होता रहता है। यदि हम अपने सिर को उत्तर दिशा की ओर रखेंगे को उत्तर की धनात्मक और सिर की धनात्मक तरंग एक दूसरे से विपरित भागेगी जिससे हमारे मस्तिष्क में बेचैनी बढ़ जाएगी और फिर नींद अच्छे से नहीं आएगी। लेकिन जैसे तैसे जब हम बहुत देर जागने के बाद सो जाते हैं तो सुबह उठने के बाद भी लगता है कि अभी थोड़ा और सो लें।
जबकि यदि हम दक्षिण दिशा की ओर सिर रखकर सोते हैं तो हमारे मस्तिष्क में कोई हलचल नहीं होती है और इससे नींद अच्छी आती है। अत: उत्तर की ओर सिर रखकर नहीं सोना चाहिए। दक्षिण दिशा में पैर करके सोने से हमारे शरीर की ऊर्जा को दक्षिणी ध्रुव खींच लेता है।
4. पश्चिम दिशा में सिर रखकर नहीं सोते हैं क्योंकि तब हमारे पैर पूर्व दिशा की ओर होंगे जो कि शास्त्रों के अनुसार अनुचित और अशुभ माने जाते हैं। पूर्व में सूर्य की ऊर्जा का प्रवाह भी होता है और पूर्व में देव-देवताओं का निवास स्थान भी माना गया है। अत: यह ऊर्जा के प्रवाह नियम के विरुद्ध भी है।
5.लगातार दक्षिण या पूर्व दिशा में पैर रखकर सोने से व्यक्ति के जीवन में निराशा, भय, आशंका, आलस्य, बुरे स्वपन, अपच और रोग का क्रमिक विकास होता है। अंतत: व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में खुद को असफल ही पाता है। आपको यह याद रखना चाहिए भरपूर ऊर्जा से ही जीवन में उत्साह और सकारात्मक विचारों का प्रभाव पैदा होता है। यही सफलता का अधार भी है।
1.ऊर्जा का क्षरण, 2.नींद की कमी, 3. निराशा और आलस्य की अधिकता, 4.शारीरिक रोग और 5.नकारात्मक विचारों का संचार।