व्रत रखने के नियम दुनिया को हिंदू धर्म की देन है। हिंदू धर्म में व्रत रखने के कई नियम है और इसका बहुत ही महत्व है। व्रत रखना एक पवित्र कर्म है और यदि इसे नियम पूर्वक नहीं किया जाता है तो न तो इसका कोई महत्व है और न ही लाभ अलबत्ता इससे नुकसान भी हो सकते हैं। हालांकि आप व्रत बिल्कुल भी नहीं रखते हैं तो भी आपको इस कर्म का भुगतान करना ही होगा। आखिर क्यों व्रत रखना जरूरी है जानिए तीन प्रमुख उदेश्य।
व्रत रखने का पहला उद्येश्य:-
व्रत रखने से दैहिक, मानसिक और आत्मिक ताप कम तो होते ही हैं साथ ही इससे ग्रह-नक्षत्रों के बुरे प्रभाव से भी बचा जा सकता है। हालांकि व्रत रखने का मूल उद्येश्य होता है संकल्प को विकसित करना। संकल्पवान मन में ही सकारात्मकता, दृढ़ता और एकनिष्ठता होती है। संकल्पवान व्यक्ति ही जीवन के हर क्षेत्र में सफल होता हैं। जिस व्यक्ति में मन, वचन और कर्म की दृढ़ता या संकल्पता नहीं है वह मृत समान माना गया है। संकल्पहीन व्यक्ति की बातों, वादों, क्रोध, भावना और उसके प्रेम का कोई भरोसा नहीं। ऐसे व्यक्ति कभी भी किसी भी समय
व्रत रखने का दूसरा उद्येश्य:-
लोग अपनी अपनी श्रद्दा और आस्था के अनुसार अलग-अलग देवी-देवताओं को मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं। इसी क्रम में वे सप्ताह में एक दिन, या खास मौकों या त्योहारों पर अपने देवी-देवताओं के लिए व्रत रखते हैं। जिसमें वे पूरे दिन बगैर अन्न खाए सिर्फ फल खाकर ही रहते हैं। धर्म और मान्यता के अनुसार व्रत रखने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं तथा कष्टों और परेशानियों को दूर करके, मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।
व्रत रखने का तीसरा उद्येश्य:-
इस व्रत या उपवास में व्यक्ति अपने आध्यात्मिक उद्येश्य की प्राप्ति हेतु काया का शुद्धिकरण करता रहता है। यह बहुत कठिन व्रत होते हैं। इसमें धीरे-धीरे व्यक्ति अन्न और फिर जल भी पीना छोड़ देता है। इसके अंतर्गत क्रिया योग भी किया जाता है। यदि आप आध्यात्मिक लक्ष्य प्राप्त नहीं करना चाहते मात्र अपनी सेहत को सुधारना चाहते हैं तो यह व्रत आपके लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होगा। लोग अक्सर अपने वजन को कम करने या पेट को अंदर करने के लिए भी व्रत रखते हैं। यदि आप व्रत नहीं रखेंगे तो आपकी सेहत पर इसका बुरा असर होगा।
दरअसल, आप बचपन से ही खाते आ रहे हैं अर्थात आपकी आंतों सहित आपके शरीर के अन्य अंग लगातर आपके भोजन को पचाने का कार्य करते रहे हैं। ऐसे में उन्होंने एक दिन भी आराम नहीं किया और ही छुट्टी ली। क्या आप चाहते हैं कि वे हमेशा के लिए ही आराम करें। नहीं चाहते हैं तो उन्हें बीच-बीच में छुट्टी देते रहें। व्रत से हमारे शरीर को स्वच्छ होने और आराम करने का समय मिलता है। क्या आप अपनी बाइक या कार को लगातार वर्षभर तक चलाते रह सकते हैं?