माता कालिका के अनेक रूप हैं जिनमें से प्रमुख है- 1.दक्षिणा काली, 2.शमशान काली, 3.मातृ काली और 4.महाकाली। इसके अलावा श्यामा काली, गुह्य काली, अष्ट काली और भद्रकाली आदि अनेक रूप भी है। सभी रूपों की अलग अलग पूजा और उपासना पद्धतियां हैं। आओ जानते हैं गुह्य काली कौन है और क्या है उनका मंत्र।
गुह्य काली :
1. मां सिद्धिकाली को ही गुह्य काली के नाम से भी जाना जाता है।
2. कहते हैं कि इंद्र, वरुण, कुबेर, यम,, चंद्र, रावण, यम, राजा बलि, बालि, वासव, विवस्वान आदि कई देवी और देवता्ओं ने इनकी उपासना कर सिद्धि और शक्तियां अर्जित की हैं।
3. जो लोग सिद्धि प्राप्त करना चाहिए हैं उन्हें इन माता की पूजा और साधना करना चाहिए।
4. गुह्यकाली के कुछ मंत्र :
1. क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं गुह्ये कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा। गुह्य काली की सिद्धि त्रैलोक्य में अत्यंत दुर्लभ है। यह मंत्र सर्वफलदायक, धर्मार्थकाममोक्षदायक, महापातकनाशक, सर्वसिद्धिदायक, सनातनी एवं भोग तथा मोक्ष देने वाला है। माना जाता है कि इस मंत्र का सवा लाख जप करने से यह सिद्ध होता है।
2.नवाक्षर मंत्र : क्रीं गुह्ये कालिका क्रीं स्वाहा।
3. चतुर्दशाक्षर मंत्र : क्रौं हूं ह्रीं गुह्ये कालिके हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा।
4. पंचदशाक्षर मंत्र : हूं ह्रीं गुह्ये कालिके क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा।
5. अन्य मंत्र : ऊँ क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा।
ध्यान
द्यायेन्नीलोत्पल श्यामामिन्द्र नील समुद्युतिम्। धनाधनतनु द्योतां स्निग्ध दूर्वादलद्युतिम्।।
ज्ञानरश्मिच्छटा- टोप ज्योति मंडल मध्यगाम्। दशवक्त्रां गुह्य कालीं सप्त विंशति लोचनाम्।।
5. गुजयेश्वरी मंदिर, काठमांडू, नेपाल : यहां पर माता सती के शरीर के दोनों घुटने गिरे थे। इस कारण से यह इक्यावन शक्तिपीठ में गिना जाता है। यहां की शक्ति हैं महाशिरा एवं भैरव हैं कपाली। कुछ लोगों का मानना है, कि इसका नाम गुह्येश्वरी मंदिर है।