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दुनिया की जटिलतम समस्याओं का समाधान संस्कृत में है : डॉ. विनायक पाण्डेय

संस्कृत भारती मालवा प्रांत के 7 दिवसीय प्रबोधन वर्ग का समापन

हमें फॉलो करें दुनिया की जटिलतम समस्याओं का समाधान संस्कृत में है : डॉ. विनायक पाण्डेय

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, गुरुवार, 23 मई 2024 (20:00 IST)
इन्दौर। विश्व के नेता मानने लगे हैं कि वैश्विक आर्थिक मंदी, आतंकवाद, पर्यावरण प्रदूषण, ग्लोबल वॉर्मिंग सहित दुनिया की जटिल से जटिल समस्याओं का समाधान भारतीय चिंतन में है। पर ये भारतीय चिंतन है क्या? यह कहां उपलब्ध है? इसे कैसे प्राप्त किया जा सकता है?
 
संस्कृत में अनेक जटिल समस्याओं के समाधान उपलब्ध : इन सभी प्रश्नों का एक ही उत्तर है संस्कृत भाषा। इस भाषा में लिखे गए विभिन्न ग्रंथों में वर्तमान ही नहीं भविष्य की आने वाली अनेक जटिल समस्याओं के समाधान उपलब्ध है। किंतु यदि संस्कृत जानने वाले ही नहीं होंगे तो इस भाषा में व्याप्त ज्ञान का प्रकटीकरण भी नहीं हो पाएगा। अत: यहां प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद हम कार्यकर्ताओं का दायित्व है कि जन-जन को इसका महत्व बताएं और धीरे-धीरे इसे सभी को बोलना सिखाएं।
 
संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की मूल : उक्त विचार वरिष्ठ शिक्षाविद् डॉ. विनायक पाण्डेय ने व्यक्त किए। वे संस्कृत भारती मालवा प्रांत के 7 दिवसीय प्रबोधन वर्ग के समापन अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की मूल है। सभी भाषाओं को जब हम ध्यान से अध्ययन करेंगे तो पाएंगे सभी भाषाओं में संस्कृत ही विद्यमान है। हमारे मस्तिष्क में धारणा बना दी गई है कि संस्कृत बहुत कठिन है किंतु ऐसा नहीं है। अभ्यास से सरलता से शीघ्र सीखा जा सकता है।
 
संस्कृत देवों की भाषा है : संस्कृत भाषा वैज्ञानिक भाषा है, जन-जन की भाषा है, प्रकृति की भाषा है, देवों की भाषा है, राष्ट्रभाषा है, अध्यात्म की भाषा है, योग की भाषा है, संस्कारों की भाषा है, भारतवर्ष की भाषा है।
 
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ समाजसेवी एवं उद्योगपति विनय कालानी थे। उन्होंने संस्कृत, संस्कृति और संस्कार को बचाने के लिए इस प्रकार के वर्गों को निरंतर संचालित किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। समारोह की अध्यक्षता संस्कृत भारती की प्रांताध्यक्ष सीमा जिंदल ने की।
 
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आने वाला समय संस्कृत का ही होगा : उन्होंने कहा कि संस्कृत भारती ऐसी कई योजनाओं पर कार्य कर रही है जिसके बल पर आने वाला समय संस्कृत का ही होगा। हम विश्व को संस्कृत की महत्ता मानने पर मजबूर कर देंगे। हमें विश्वास है कि संस्कृत आने वाले समय में जन व्यवहार की भाषा बनेगी। कार्यक्रम में वरिष्ठ अभिभाषक हेमंत मुंगी, धार से शिक्षाविद् केसरसिंह चौहान, संजय कसेरा आदि विशेष रूप से उपस्थित थे। संस्कृत में नाटक, गीत तथा संभाषण करके अपनी दक्षता का प्रदर्शन किया।
 
प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ. अभिषेक पांडेय ने बताया कि 7 दिवसीय इस प्रबोधन में इंदौर-उज्जैन संभाग के विभिन्न हिस्सों से 70 कार्यकर्ताओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। समापन अवसर पर प्रशिक्षणार्थियों ने संस्कृत में नाटक, गीत तथा संभाषण करके अपनी दक्षता का प्रदर्शन किया। इस अवसर पर संस्कृत की वस्तु प्रदर्शनी भी आयोजित की गई थीजिसमें दैनिक कार्य में आने वाली वस्तुओं के नाम संस्कृत में दिए गए थे।
 
ये रहे मौजूद : वर्ग में प्रशिक्षक तथा प्रबंधक के रूप में सनावद से महेंद्र मिसर, सेंधवा से चंद्रमोहन गोयल, आलीराजपुर से लोकेश नरगावां, सेंधवा से चेतन गोयल, इंदौर से स्नेहलता शर्मा, योगेश शर्मा, लोकेश जोशी, यश बैरागी, जगदीश जोशी, भूपेंद्र शर्मा हर्ष शर्मा, कुणाल अग्रवाल, तन्मय भट्ट, पेटलावद से राधेश्याम गरवाल आदि थे।

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