पुराणों के अनुसार महर्षि पिप्लाद ने शनिदेव की संतुष्टि के लिए उनके 10 नामों की रचना की है। जनमानस में यह बात मानी जाती हैं कि शनि का जिक्र होते ही व्यक्ति के मन में भय व शंका का भाव आता है। जबकि सच यह है कि शनि ग्रह थोड़ी-सी स्तुति से तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं।
अगर आप शनिदेव के इन नामों का उच्चारण प्रतिदिन प्रातःकाल में स्नान करके करते हैं तो वह व्यक्ति शनि की प्रतिकूलता, साढ़ेसाती, ढैया आदि किसी भी प्रकार का कष्ट दूर होकर शनि कृपा होती है। अगर आप शनिश्चरी अमावस्या (Shanichari Amavasya) पर शनि के इन 10 नामों का उच्चारण निरंतर करते हैं तो यह सोने पे सुहागा वाली बात होगी यानी कि शनिदेव प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाएंगे।
शनिदेव के 10 नाम
नमस्ते कोण संस्थाय पिंगलाय नमोऽस्तुते।
नमस्ते बभ्रुरुपाय कृष्णाय नमोऽस्तुते॥
नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चांतकायच।
नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो॥
नमस्ते मंदसंज्ञाय शनैश्चर नमोऽस्तुते।
प्रसादं कुरू देवेश दीनस्य प्रणतस्य च॥