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Shani Amavasya‬ : शनि अमावस्या पर जानिए 10 सरलतम उपाय

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हमें फॉलो करें Shani Amavasya‬ : शनि अमावस्या पर जानिए 10 सरलतम उपाय
Shani Amavasya upay
हिंदू धर्मशास्त्रों में शनि अमावस्या का दिन बड़ा ही पवित्र माना गया है। अत: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या का विशेष महत्व है। वर्ष 2021 में यह तिथि शनिवार, 13 मार्च 2021 को पड़ रही है। इस दिन यूं तो तेल में बनी सामग्री शनिदेव को अर्पित की जाती है। शनिवार के दिन अमावस्या होने के कारण शनैश्चरी अमावस्या का योग बन रहा है।
 
फाल्गुन अमावस्या पूजन के मुहूर्त- 
 
शुक्रवार 12 मार्च, 2021 को 15:04:32 से अमावस्या आरंभ होगी तथा शनिवार, 13 मार्च, 2021 को 15:52:49 पर अमावस्या समाप्त होगी। 
 
 
शनिवार, शनि अमावस्या, शनि प्रदोष ऐसे अवसर हैं जब शनि महाराज को प्रसन्न किया जा सकता है। सामान्य समय में शनि की शुभता के लिए यह 10 उपाय किए जा सकते हैं। आइए जानें 10 सरलतम उपाय- 
 
1. दोनों समय भोजन में काला नमक और काली मिर्च का प्रयोग करें।
 
2. शनिवार के दिन बंदरों को भुने हुए चने खिलाएं और मीठी रोटी पर तेल लगाकर काले कुत्ते को खाने को दें।
 
3. यदि शनि की अशुभ दशा चल रही हो तो मांस-मदिरा का सेवन न करें।
 
4. प्रतिदिन पूजा करते समय महामृत्युंजय मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करें शनि के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
 
5. घर के किसी अंधेरे भाग में किसी लोहे की कटोरी में सरसों का तेल भरकर उसमें तांबे का सिक्का डालकर रखें।
 
6. शनि ढैया के शमन के लिए शुक्रवार की रात्रि में 8 सौ ग्राम काले तिल पानी में भिगो दें और शनिवार को प्रातः उन्हें पीसकर एवं गुड़ में मिलाकर 8 लड्डू बनाएं और किसी काले घोड़े को खिला दें। आठ शनिवार तक यह प्रयोग करें।
 
7. शनि के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए शनिवार के दिन काली गाय की सेवा करें। पहली रोटी उसे खिलाएं, सिंदूर का तिलक लगाएं, सींग में मौली (कलावा या रक्षासूत्र) बांधे और फिर मोतीचूर के लड्डू खिलाकर उसके चरण स्पर्श करें।
 
8. प्रत्येक शनिवार को वट और पीपल वृक्ष के नीचे सूर्योदय से पूर्व कड़वे तेल का दीपक जलाकर शुद्ध कच्चा दूध एवं धूप अर्पित करें।
 
9. शनिवार को ही अपने हाथ के नाप का 29 हाथ लंबा काला धागा लेकर उसको मांझकर(मसलकर) माला की तरह गले में पहनें।
 
10. यदि शनि की साढ़ेसाती से ग्रस्त हैं तो शनिवार को अंधेरा होने के बाद पीपल पर मीठा जल अर्पित कर सरसों के तेल का दीपक और अगरबत्ती लगाएं और वहीं बैठकर क्रमशः हनुमान, भैरव और शनि चालीसा का पाठ करें और पीपल की सात परिक्रमा करें।

 

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