मुंबई। शेयर बाजार के कामकाज पर नजर रखने वाली संस्था सेबी ने अपने कुछ नियमों में बदलाव किया है। नए नियम 1 सितंबर से लागू हो गए। शेयर बाजार में शेयर खरीदते और बेचते वक्त आमतौर पर ब्रोकर्स मार्जिन्स देते है। आसान शब्दों में कहा जाए तो तो 10 हजार रुपए आपने अपने ट्रेडिंग अकाउंट में डाले तो आसानी से 10 गुना मार्जिन्स के साथ 1 लाख रुपए तक के शेयर ग्राहक खरीद लेते थे। लेकिन अब ये नियम पूरी तरह से बदल गए हैं। इसे आसानी से समझते हैं।
पीक मार्जिन के नए नियम इंट्राडे, डिलीवरी और डेरिवेटिव जैसे सभी सेगमेंट में लागू होंगे। चार में से सबसे ज्यादा मार्जिन को पीक मार्जिन माना जाएगा। सेबी ने इसके नियमों में बदलाव कर दिया है। पीक मार्जिन के नए नियम इंट्राडे, डिलीवरी और डेरिवेटिव जैसे सभी सेगमेंट में लागू होंगे। उदाहरण के लिए अगर रिटेल निवेशक रिलायंस इंडस्ट्रीज के एक लाख रुपए मूल्य के शेयर खरीदता है तो ऑर्डर प्लेस करने से पहले उसके ट्रेडिंग अकाउंट में 1 लाख रुपए होने चाहिए। सेबी के नए नियम के मुताबिक शेयर बेचते वक्त भी आपके ट्रेडिंग अकाउंट में मार्जिन होना चाहिए।
यह नियम इसलिए लागू किया गया, क्योंकि बीते कुछ महीनों में कार्वी जैसे कई मामले सामने आए है जिसमें आम निवेशकों के शेयर बिना बताए बेच दिए। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि सेबी ने सोच-समझकर यह नियम लागू किया है। उदाहरण के तौर पर समझें तो मान लीजिए आप सोमवार को 100 शेयर बेचते हैं। ये शेयर आपको अकाउंट से बुधवार को डेबिट होंगे। लेकिन अगर आप मंगलवार (डेबिट होने से पहले) को इन शेयरों को किसी दूसरे को ट्रांसफर कर देते हैं तो सेटलमेंट सिस्टम में जोखिम पैदा हो जाएगा। ब्रोकिंग कंपनियों के पास ऐसा होने से रोकने के लिए हथियार होते हैं। 95 फीसदी मामलों में ऐसा नहीं होता है। सेबी ने यह नियम इसलिए लागू किया है कि 5 फीसदी मामलों में भी ऐसा न हो।