Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

Sheetala Saptami 2025: शीतला सप्तमी कब है, जानें महत्व, मुहूर्त और पूजा विधि

Advertiesment
हमें फॉलो करें Sheetala Saptami 2025: शीतला सप्तमी कब है, जानें महत्व, मुहूर्त और पूजा विधि

WD Feature Desk

, सोमवार, 17 मार्च 2025 (13:20 IST)
Sheetala Saptami : शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी को बसौड़ा भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यतानुसार बसौड़ा/ बासोड़ा पूजा, देवी शीतला को समर्पित पूजा-पर्व है, जो होली के उपरांत चैत्र मास की कृष्ण पक्ष सप्तमी-अष्टमी पर मनाया जाता है। मान्यतानुसार यह पर्व होली के 7वें और 8वें दिन पर पड़ता है। यह पर्व उत्तर भारतीय राज्यों यानी गुजरात, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में सबसे अधिक लोकप्रिय कहा गया है। ALSO READ: बसौड़ा 2025: शीतलाष्टमी का व्रत कब रखा जाएगा?
 
महत्व: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार इस बार बसौड़ा या शीतला सप्तमी का व्रत 2025 में 21 मार्च, शुक्रवार को रखा जाएगा तथा शीतलाष्टमी पर्व 22 मार्च, शनिवार को मनाया जाएगा। शीतला सातम के नाम से पहचाने जाने वाले इस पर्व में ताजा भोजन नहीं पकाया जाता है, बलिक बासी यानी ठंडे भोजन से माता को भोग चढ़ाकर उसे परिवारजनों से खाया जाता है।

माना जाता है कि इस दिन देवी शीतला का पूजन करने से वे चेचक, खसरा आदि रोगों से अपने भक्तों को दूर रखती है तथा हिन्दू समाजवासी इन रोगों के प्रकोप से सुरक्षा हेतु शीतला माता की चैत्र कृष्ण सप्तमी और अष्टमी पर पूजा-आराधना करते हैं। इस दिन पूजन के पश्चात ही घरों में अग्नि या गैस, चूल्हा आदि जलाया जाता है। 
 
जानें 2025 में शीतला सातम/ शीतला सप्तमी के पूजन मुहूर्त के बारे में...
 
शीतला सप्तमी : 21 मार्च 2025, शुक्रवार के पूजन मुहूर्त 
 
शीतला सप्तमी पूजा मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 24 से शाम 06 बजकर 33 मिनट तक।
पूजा की अवधि- 12 घंटे 09 मिनट्स
 
चैत्र कृष्ण सप्तमी तिथि का प्रारम्भ- मार्च 21, 2025 को तड़के 02 बजकर 45 मिनट से,
सप्तमी तिथि की समाप्ति- मार्च 22, 2025 को तड़के 04 बजकर 23 मिनट पर।
 
शीतला सप्तमी पूजा विधि : 
 
- शीतला सप्तमी/ चैत्र कृष्ण सप्तमी के दिन सुबह जल्दी उठकर माता शीतला का ध्यान करें। 
- व्रतधारी प्रातः कर्मों से निवृत्त होकर स्वच्छ व शीतल जल से स्नान करें।
- तत्पश्चात निम्न मंत्र से संकल्प लें- 'मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्ये'
- इसके बाद विधि-विधान से तथा सुगंधयुक्त गंध-पुष्प आदि से माता शीतला का पूजन करें।
- महिलाएं इस दिन मीठे चावल, हल्दी, चने की दाल और लोटे में पानी लेकर शीतला माता का पूजन करें।
- पूजन के समय 'हृं श्रीं शीतलायै नम:' मंत्र जपते रहें।
- माता शीतला को जल अर्पित करने के पश्चात जल की कुछ बूंदे अपने ऊपर भी छिड़कें।
- फिर एक दिन पहले बनाए हुए (ठंडे) खाद्य पदार्थों, मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी, दाल-भात, मीठे चावल तथा गुड़-चावल के पकवान आदि का माता को भोग लगाएं। 
- तत्पश्चात शीतला स्तोत्र का पाठ पढ़ें और कथा सुनें।
- माता शीतला का वास वटवृक्ष में माना जाता है, अतः इस दिन वट का पूजन करना ना भूलें।
- तत्पश्चात माता को चढ़ाएं जल में से बह रहे जल में से थोड़ा जल अपने लोटे में डाल लें तथा इसे परिवार के सभी सदस्य आंखों पर लगाएं और थोड़ा जल घर के हर हिस्से में छिड़क दें, मान्यतानुसार यह जल पवित्र होने से इससे घर की तथा शरीर की शुद्धि होती है। 
- शीतला सप्तमी के दिन बासी भोजन को ही ग्रहण करें। 
- ज्ञात हो कि इस व्रत के दिन घरों में ताजा यानी गर्म भोजन नहीं बनाया जाता है, अत: इस दिन एक दिन पहले बने ठंडे या बासी भोजन को ही मां शीतला को अर्पित करने तथा परिवारसहित ठंडा या बासी भोजन ग्रहण करने की परंपरा है। 
 
मंत्र- शीतले त्वं जगन्माता, शीतले त्वं जगत् पिता। 
शीतले त्वं जगद्धात्री, शीतलायै नमो नमः।।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: शीतला सप्तमी-अष्टमी पर बासी खाने का भोग क्यों लगाया जाता है? क्या है इस दिन का आपकी सेहत से कनेक्शन
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मीन राशि पर बुध अस्त : जानें किन किन राशियों को मिलेंगे शुभ अशुभ परिणाम